एहतियात में खतरनाक ढील

वैज्ञानिक बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोना महामारी खत्म नहीं हुई है

Update: 2021-12-17 05:15 GMT
असावधानी को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि भारत के लोग फिर एक बड़ी मुसीबत को आमंत्रित कर रहे हैँ। यह नहीं भूलना चाहिए कि दुनिया भर में तेजी से फैल रहे ओमिक्रॉन से संक्रमण के मामले भारत में भी बढ़ रहे हैं। जबकि एक बार फिर कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। 
वैज्ञानिक बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोना महामारी खत्म नहीं हुई है। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर राहत की ये खबर आई हो कि यह गंभीर संक्रमण का कारण नहीं बन रहा है, लेकिन अभी कोई विशेषज्ञ यह कहने को तैयार नहीं है कि इससे अब निश्चिंत हो जाना चाहिए। वैसे भी दुनिया में जब तक सबका पूरा टीकाकरण नहीं होता- यानी सबके शरीर में एंटीबॉडीज नहीं बन जाते, तब तक नए वैरिएंट के सामने आने और उनसे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहेगा। इससे बचने का एकमात्र उपाय यही है कि सभी एहतियाती उपायों पर लगातार सख्ती से पालन होता रहे। लेकिन पूरे भारत में ये बात देखने को मिल रही है कि लोगों ने मास्क पहनना छोड़ दिया है। शादियों में खूब भीड़ जुट रही है, जहां सोशल डिस्टेंसिंग या सेनेटाइज करने की जरूरत बिल्कुल महसूस नहीं की जा रही। इस असावधानी को देखते हुए सिर्फ यही कहा जा सकता है कि भारत के लोग फिर एक बड़ी मुसीबत को आमंत्रित कर रहे हैँ। यह नहीं भूलना चाहिए कि दुनिया भर में तेजी से फैल रहे ओमिक्रॉन से संक्रमण के मामले भारत में भी बढ़ रहे हैं। जबकि एक बार फिर कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं।
पिछली बार पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के चुनावों में लोगों ने असावधानी बरती, जिसकी बहुत महंगी कीमत देशवासियों को चुकानी पड़ी। अब फिर से राजनीतिक रैलियों में लोगों को बिना मास्क पहने या मास्क को अपनी ठोढ़ी पर पहने एक दूसरे के पास खड़े या बैठे देखा जा सकता है। अब बेशक नए संक्रमण के मामले काफी कम हो चुके हैं। फिर भी भारत सरकार और उसकी स्वास्थ्य एजेंसियों ने लोगों को आगाह किया है कि वे मुंह ढक कर चलें। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने तो हाल में ये कहा था कि मास्क के इस्तेमाल का गिरता हुआ ग्राफ हमें महंगा पड़ सकता है। इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के डेटा के मुताबिक सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने के स्तर में गिरावट आई है। अनुमान है कि इस समय मास्क सिर्फ 59 प्रतिशत लोग पहन रहे हैं, जो कि लगभग पिछले मार्च के स्तर जितना ही है। मार्च के तुरंत बाद महामारी की दूसरी लहर आई थी। तब मास्क का इस्तेमाल बढ़ गया था। मई में यह 81 प्रतिशत तक पहुंच गया था। लेकिन अब लगता है कि उस सबक को देश के लोगों ने भुला दिया है।
नया इण्डिया 
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