डेल्टा प्लस से खतरा

भारत में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा दरवाजे खटखटाने लगा है। यह न केवल सजगता, बल्कि संकट से उबरने के लिए ज्यादा ईमानदार कदम उठाने का समय है।

Update: 2021-06-24 01:31 GMT

भारत में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा दरवाजे खटखटाने लगा है। यह न केवल सजगता, बल्कि संकट से उबरने के लिए ज्यादा ईमानदार कदम उठाने का समय है। शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट के देश में अब तक 40 मामले मिल चुके हैं। महाराष्ट्र में चिंता सर्वाधिक है। महाराष्ट्र में कोविड कार्यबल का कहना है कि अभी इसे लेकर चिंता करने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं मिल पाए हैं। यह चिंता वाली बात है। अव्वल तो कोरोना के किसी भी मामले को गणना से वंचित नहीं रहने देना चाहिए और शुरुआती रूप से बहुत खतरनाक बताए जा रहे डेल्टा प्लस के मामलों के प्रति तो और सजग रहने की जरूरत है। एक-एक मामला दर्ज होना चाहिए, ताकि उसकी निगरानी व इलाज में सुविधा हो। इस वेरिएंट को फैलने से रोकने के लिए यह जरूरी है कि रोगी को फौरन क्वारंटीन किया जाए, ताकि उसके इलाज और उस पर होने वाले चिकित्सकीय शोध से सुनिश्चित लाभ मिले और इस वेरिएंट को फैलने से रोका जा सके।

ध्यान रहे, डेल्टा वेरिएंट को हम शुरू में रोकने में नाकाम रहे और इसने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया है। डेल्टा प्लस के समय में हमें वही गलती दोहराने से बचना चाहिए। महाराष्ट्र के कोविड-19 कार्यबल के सदस्य डॉक्टर शशांक जोशी ने उचित ही चेताया है कि लोगों को कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करने, मास्क पहनने, भीड़भाड़ से बचने और टीका लगवाने की जरूरत है। लेकिन आज यह बड़ा सवाल है कि क्या लोग दिशा-निर्देशों की पालना कर रहे हैं? कितने लोग मास्क पहन रहे हैं? क्या टीका लगाने या लगवाने में तेजी आई है? यह बहुत अफसोस की बात है कि हम तीसरी लहर की आशंका के बावजूद उतने सतर्क नहीं हैं, जितना हमें होना चाहिए। अत्यधिक संक्रामक माने जा रहे डेल्टा प्लस के 21 मामले अकेले महाराष्ट्र में मिले हैं। सर्वाधिक नौ मामले रत्नागिरि जिले में हैं, जबकि दो मामले मुंबई में। चूंकि महाराष्ट्र व्यावसायिक रूप से देश का नेतृत्व करने वाला राज्य है, इसलिए उसका देश के सभी राज्यों से भरपूर जुड़ाव है। अत: मुंबई और महाराष्ट्र में ही अगर इस वेरिएंट को रोकने की कवायद ईमानदारी से की गई, तो इस वेरिएंट को बेकाबू होने से रोका जा सकेगा। आधिकारिक रूप से मध्य प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में भी डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं। क्या इन राज्यों में सतर्कता बढ़ी है? क्या दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन हो रहा है? लोगों को लगातार जागरूक करते रहना होगा। सबसे जरूरी है कि चिकित्सक सावधान और तैयार रहें। अभी इस वेरिएंट के ज्यादा खतरनाक होने की चर्चा की जा रही है, पर यह कितना खतरनाक होगा, अभी चिकित्सक स्पष्ट नहीं बता रहे हैं। संक्रमित लोगों के आंकड़ों के अध्ययन से ही इस वेरिएंट की गंभीरता का अंदाजा लगेगा। विशेषज्ञ जल्दी से जल्दी इसकी गंभीरता का ठोस पता लगाएं और बचाव व इलाज पर पूरी मुस्तैदी से जोर दिया जाए, तो हम तीसरी लहर को खतरनाक बनने से रोक सकेंगे। कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस स्वरूप भारत के अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल, चीन और रूस में भी मिला है। हमारे देश के डॉक्टरों को यह जरूर देखना होगा कि ये देश कैसे मुकाबला कर रहे हैं।


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