नमक कानून को तोड़कर भारतीयों को उनका हक दिलाने के लिए गांधी जी ने दांडी मार्च किया
2 मार्च, 1930 को लॉर्ड इरविन को लिखे एक पत्र में गांधी जी कहते हैं, 'राजनीतिक दृष्टि से हमारी स्थिति गुलामों से अच्छी नहीं है। हमारी संस्कृति की जड़ें ही खोखली कर दी गई हैं। हमारा हथियार छीनकर हमारे सारे पौरुष का अपहरण कर लिया गया है।' इसी पत्र में वह आगे लिखते हैं, 'इस पत्र का हेतु कोई धमकी देना नहीं है। यह तो सत्याग्रही का साधारण और पवित्र कर्तव्य मात्र है। इसलिए मैं इसे भेज भी खासतौर पर एक ऐसे युवा अंग्रेज मित्र के हाथों रहा हूं, जो भारतीय पक्ष का हिमायती है।' यहां जिस अंग्रेज युवक का गांधी जी जिक्र कर रहे थे, उसका नाम रेजिनाल्ड रेनाल्ड था। वह युवक गांधी जी के साथ आश्रम में रह चुका था। लॉर्ड इरविन को पत्र लिखने के पीछे गांधी जी का उद्देश्य चेतावनी के बजाय सूचना देना था, क्योंकि वह गरीबों की दृष्टि से इस कानून को सबसे अधिक अन्यायपूर्ण मानते थे।
गांधी जी ने अनुयायियों के साथ 12 मार्च को साबरमती आश्रम से दांडी तक की दूरी 24 दिन में पूरी की
तय कार्यक्रम के अनुसार 12 मार्च को साबरमती आश्रम से दांडी मार्च प्रारंभ हुआ। ठीक साढ़े छह बजे गांधी जी ने अपने 79 अनुयायियों के साथ आश्रम छोड़ा और मार्च आरंभ किया। दांडी तक की करीब 388 किलोमीटर की दूरी उन्होंने 24 दिन में पूरी की। इस दौरान गांधी जी जहां पर विश्राम करते, वहीं जनसमूह को संबोधित करते। उनके भाषणों ने लोगों में अंग्रेजों के जुल्म के विरुद्ध माहौल पैदा कर दिया। दांडी यात्रा के दौरान यह तय किया गया कि नमक कानून पर ही लोग अपनी शक्ति केंद्रित रखें। साथ ही उन्हें यह चेतावनी भी दी गई कि गांधी जी के दांडी पहुंचकर नमक कानून तोड़ने से पहले सविनय अवज्ञा शुरू नहीं की जाएगी। गांधी जी की अनुमति से तब सत्याग्रहियों के लिए एक प्रतिज्ञा पत्र बनाया गया। उस पत्र की शर्तों में शामिल था कि मैं जेल जाने को तैयार हूं और इस आंदोलन में और जो भी कष्ट एवं सजाएं मुझे दी जाएंगी, उन्हें मैं सहर्ष सहन करूंगा।
गांधी जी ने 6 अप्रैल को दांडी तट पर हाथ में नमक लेकर नमक कानून तोड़ा, गांधी जी गिरफ्तार हुए
4 अप्रैल, 1930 को रात्रि में पदयात्रा ने दांडी में प्रवेश किया। 5 अप्रैल की प्रात: खादी धारण किए हुए सैकड़ों गांधीवादी सत्याग्रही दांडी तट पर एकत्र हुए। 6 अप्रैल को प्रात: दांडी तट पर हाथ में नमक लेकर गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा। फिर ब्रिटिश कानून के तहत उन्हें हिरासत में लिया गया।
गांधी जी ने संदेश में कहा था- त्याग के बिना मिला हुआ स्वराज टिक नहीं सकता
गिरफ्तारी से पूर्व गांधी जी ने अपने संदेश में कहा था, 'त्याग के बिना मिला हुआ स्वराज टिक नहीं सकता। अत: संभव है जनता को असीम बलिदान करना पड़े। सच्चे बलिदान में एक ही पक्ष को कष्ट झेलने पड़ते हैं। अर्थात बिना मारे मरना पड़ता है।' दांडी यात्रा का वर्णन करते हुए लंदन टेलीग्राफ के तत्कालीन संवाददाता अश्मीद बार्टलेट ने लिखा था, 'कौन जाने यह घटना आगे चलकर ऐतिहासिक बन जाए? एक ईश्वर दूत की गिरफ्तारी कोई छोटी बात है? सच्चे-झूठे की भगवान जाने, परंतु इसमें कोई शक नहीं, गांधी आज करोड़ों भारतीयों की दृष्टि में महात्मा और दिव्य पुरुष हैं।' भारत की आजादी का यह सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव था, जो दांडी यात्रा से निकला था।
गांधी जी का दांडी मार्च आज भी मुश्किल वक्त में सही फैसला करने की राह दिखाता है
गांधी जी की दांडी यात्रा के साथ भारत भर में राष्ट्रीय चेतना की लहर चल पड़ी। भारत की स्वतंत्रता के लिए गांधी जी का दांडी मार्च आज भी मुश्किल वक्त में सही फैसला करने की राह दिखाता है और लोगों को त्याग की अहमियत समझाता है। यही वजह है कि करीब 91 साल बाद जब मैं उसी मिट्टी पर आजादी के 75 साल के अमृत उत्सव के मौके पर पदयात्रा कर रहा हूं, तब देश के हालात बदले हुए हैं।
पीएम मोदी का कथन- भारत का सफर अब स्वावलंबन और स्वाभिमान के साथ तय होगा
इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कथन महत्वपूर्ण है कि भारत का सफर अब स्वावलंबन और स्वाभिमान के साथ तय होगा। अब हम दुनिया के सामने याचक नहीं होंगे। अब हमारी छवि दुनिया अपने कैनवास पर दाता के रूप में बनाएगी। हमने विश्व में संकट के समय में दवा हो या वैक्सीन दूसरे देशों को अपना कुटुंबी मानकर पहुंचाई है। हम श्रम की भाषा इसलिए बोलना चाहते हैं कि हमारी आने वाली नस्लें दीनता की भाषा न बोलें। देश जब आजादी का 100वां महोत्सव मनाएगा तो पूरी दुनिया के सामने हम एक ऐसा उदाहरण होंगे, जिसके विजय गीत दुनिया के हर आंगन में दोहराए जाएंगे और हमारी संस्कृति का वैभव गान हर दिल में होगा। आइए इसे हासिल करने के लिए एकजुट हो जाएं।