Cryptocurrency News: तो क्या वर्चुअल करेंसी को अब भविष्य की मुद्रा मान लेना चाहिए?
दुनिया की मशहूर इलेक्टिक कार कंपनी टेस्ला के एलन मस्क ने हाल ही में बिटकॉइन में डेढ़ अरब डॉलर के निवेश का फैसला लिया।
दुनिया की मशहूर इलेक्टिक कार कंपनी टेस्ला के एलन मस्क ने हाल ही में बिटकॉइन में डेढ़ अरब डॉलर के निवेश का फैसला लिया। इसके बाद वर्चुअल करेंसी को लेकर उद्योग जगत में जो हलचल पैदा हुई, उस पर लगभग 11 साल की उम्र वाली यह वर्चुअल करेंसी सीना फुला सकती है। तो क्या वर्चुअल करेंसी को अब भविष्य की मुद्रा मान लेना चाहिए? क्या इसमें भी बिटकॉइन दुनिया की सबसे दमदार मुद्रा बनने जा रहा है? यदि वर्चुअल करेंसी में निवेश देखें तो बिजनेस इंटेलिजेंस एंड मोबाइल सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोस्ट्रेटजी के पास 71,079 बिटकॉइन हैं, परंतु टेस्ला की तरह किसी जाने-माने उद्योग समूह ने इस तरह एलान कर इस पर दांव नहीं लगाया।
इलेक्टिक कारों से दुनिया में धूम मचाने वाली टेस्ला एलन मस्क को दुनिया के शीर्ष पूंजीपतियों में स्थान दिला चुकी है, तब यह निवेश निश्चित ही बिटकॉइन को सबसे मजबूत ब्रांड इमेज देने वाला है। फैसले की घोषणा के कुछ देर बाद ही बिटकॉइन की कीमत सर्वकालिक उच्च स्तर 47,000 डॉलर पर पहुंचना इसका परिचायक कहा जा सकता है। टेस्ला के फैसले का प्रभाव यह भी होगा कि दुनियाभर के उद्योग और उद्योगपति अब वर्चुअल करेंसी की स्वीकार्यता के लिए तेजी से आगे बढ़़ेंगे। कुछ उद्योग समूहों ने तो इस पर राय-मशविरा भी प्रारंभ कर दिया है। माना जा रहा है कि जल्द ही ऐसी कुछ कंपनियां सामने आ सकती हैं, जो बिटकॉइन या अन्य दूसरी क्रिप्टोकरेंसी खरीदें या फिर इसमें लेन-देन स्वीकार करना शुरू कर दें।
एक दशक की यात्र : पहली वर्चुअल करेंसी या पहला बिटकॉइन पहली बार 31 अक्टूबर 2010 को जारी किया गया था। भारत में बिटकॉइन की लोकप्रियता तब बढ़ी, जब कुछ साल पहले इसकी कीमत चार लाख रुपये पर पहुंच गई। इस पर किसी तरह का टैक्स नहीं होने की वजह से इसकी लोकप्रियता भारत में भी निरंतर बढ़ने लगी। हालांकि वर्ष 2016 में नवंबर में की गई नोटबंदी के दौरान भी बड़े पैमाने पर बिटकॉइन में निवेश की बातें सामने आईं, लेकिन ठोस कुछ नहीं मिला। वर्ष 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्चुअल करेंसी को खतरा करार देकर इसके लेन-देन को गैर कानूनी करार दे रखा है, लेकिन यह फैसला दूरगामी नहीं कहा जा सकता। वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिबंध को गलत बताया। इसके बाद जैब पे और बिटड्रॉप जैसी कंपनियां इसमें निवेश का रास्ता उपलब्ध करा रही हैं। निवेशक भी इसमें पूंजी डाल रहे हैं, परंतु केंद्र सरकार फिर भी मान्यता नहीं दे रही है। एक उच्च स्तरीय समूह की कुछ दिनों पहले आई रिपोर्ट तो ऐसी अन्य वर्चुअल करेंसियों को प्रतिबंधित करने का रास्ता खोल चुकी है।
कुछ अन्य वचरुअल करेंसी : बिटकॉइन के बाद ईथरम, रिपल, कार्डनो, डॉजपे जैसी कई वर्चुअल करेंसी आज लोकप्रिय हैं। विश्वसनीयता तो ये कायम रखे हुए हैं, परंतु निवेश के रिटर्न की बात आती है तो बिटकॉइन का कोई सानी अभी दिखता नहीं। इसकी एक वजह सीमित उपलब्धता और माइनिंग की 2.1 करोड़ की निश्चित सीमा है। इसकी करीब 1.6 करोड़ की माइनिंग हो चुकी है। बढ़ती मांग और सीमित उपलब्धता इसे बाजार में स्पेकुलेशन यानी अधिक कीमत पर बेचे जाने की संभावना के मुफीद भी बना देती है। यह बिटकॉइन की लोकप्रियता ही है कि आज दुनिया की आíथक महाशक्ति चीन अपनी वर्चुअल करेंसी युआन को टेस्टिंग के लिए जारी करने जा रहा है। स्विट्जरलैंड की सरकार ई फ्रेंक जारी करने के लिए विचार कर रही है। यहां तक कि कैरेबियाई देश जमैका और बहामास भी इसके लिए काम कर रहे हैं। मार्शल द्वीपसमूह ने तो अपनी क्रिप्टो मुद्रा लांच भी कर दी है।
भारत से जुड़ी इसकी आशंकाएं : ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन कह रहे हैं कि बिटकॉइन का बुलबुला फूटेगा। सेबी यानी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया इसमें निवेश करने वाली कंपनियों को आइपीओ लाने से रोकने की गाइडलाइन जारी करती है। कुछ विशेषज्ञ इसकी तुलना वर्ष 1636 के डच ट्यूलिप से करते हैं, जो बहुत तेजी से बढ़ा और एक साल बाद ही धराशायी हो गया। भले ही जेपी मॉर्गन इसे धोखा कहे, लेकिन टेस्ला जैसे फैसले बताते हैं कि बिटकॉइन भविष्य का खरा सोना बनेगा। इसमें ज्यादा निवेश होगा तो ऊपर-नीचे भी जाएगा लेकिन बुलबूला नहीं बनेगा। टेस्ला के निवेश ने एक ही दिन में इस मुद्रा की कीमत 17 प्रतिशत तक बढ़ा दी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कुछ वर्षो में सवा लाख की कीमत को भी छू सकता है, जो इसकी मांग को देखकर असंभव भी नहीं लगता। ऐसे में भारत सरकार को भी बिटकॉइन पर रोक लगाने के बजाय इसे वैध बनाने की ओर ध्यान देना चाहिए। सरकार को अपनी वर्चुअल करेंसी भारतकॉइन जारी करनी चाहिए। सिंगापुर लिस्टेड निवेश कंपनी एमडब्लूएच के रजत मेहरोत्र कहते हैं कि यह कागज के नोटों का स्थान तो नहीं ले सकेगी, लेकिन एक नई मुद्रा के रूप में अपनी विश्वसनीयता जरूर कायम करेगी। ब्लॉकचेन तकनीक के लेन-देन के लिए हमारे सिस्टम को तैयार करने में सहयोगी होगी। सरकार को बिटकॉइन की बाजार की हकीकत पर भी नजर डालनी चाहिए। इसे भी लेन-देन में मंजूरी देनी चाहिए, जो आगे लाभदायक ही होगी।