covid treatment protocol : डॉ. रणदीप गुलेरिया साहब को चिट्ठी, क्यों आप जो कहते हैं उसे न सरकार मान रही, न देश के डॉक्टर

डॉक्टर साहब पहले आपको बधाई सहित धन्यवाद कि आप देश के इस विकट परिस्थिति में कोरोना के खिलाफ डटकर खड़े हैं. आप देशवासियों के लिए इस समय भगवान जैसे हैं.

Update: 2021-05-06 10:24 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| संजय श्रीवास्तव गुलेरिया साहब,नमस्कार ! डॉक्टर साहब पहले आपको बधाई सहित धन्यवाद कि आप देश के इस विकट परिस्थिति में कोरोना के खिलाफ डटकर खड़े हैं. आप देशवासियों के लिए इस समय भगवान जैसे हैं. आप जो कहते हैं उसे पत्थर की लकीर तरह लोग मानते हैं. आप अपनी अहमियत इस तरह समझ सकते हैं कि आपने जब टीके की पहली खुराक ली तो देशवासियों को कोवैक्सीन पर यकीन पैदा हो सका था. पर कहा जाता है कि जो जितना करता है उसके लिए उसकी उतनी ही आलोचना भी होती है. जिसकी आलोचना नहीं होती, कहा जाता है उसने कुछ किया नहीं होगा . शायद आप भी बहुत कुछ कर रहे हैं इसलिए ही आपकी आलोचना भी खूब हो रही है. कोविड प्रोटोकॉल नियमों को लेकर आपके बार-बार आने वालों बयानों को लेकर बहुत से देशवासियों में बहुत कन्फ्यूजन की स्थिति है. कृपया आप बताएं सही क्या है? क्यों कि आप की कही बातों को इस समय न सरकार ही तवज्जो दे रही है और न ही देश के डॉक्टर.

आपने कहा, रेमडेसिविर की कोई जरूरत नहीं है फिर भी सरकार देश में प्रोडक्शन ही नहीं बढ़ा रही है बल्कि विदेशों से भी बड़े पैमाने पर आयात कर रही है. आपने कहा सीटी स्कैन करवाने से कैंसर का खतरा बढ़ रहा है फिर भी सरकार ने अभी तक ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं जारी की कि सीटी स्कैन कम से कम किया जा सके. डॉक्टर साहब आप देश के इतने सम्मानित हॉस्पिटल के मुखियां हैं कि आप की बात लोग बड़े गंभीरता से सुनते हैं फिर जब आपकी बात को सरकार या हमारी बीमारी का ट्र्ीटमेंट कर रहा डॉक्टर नहीं सुनता है तो बहुत निराशा होती है.
रेमडेसिविर पर अब भी बहुत कन्फ्यूजन
आप कहते हैं कि रेमडेसिविर को घर पर बिल्कुल न लें, इस मेडिसिन के खिलाफ आप पहले भी बोल चुके हैं. आपने दुबारा कहा है कि इसके साइडइफेक्ट्स हैं और सिर्फ अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए यह दवा एडवाइज की जा रही है. डॉक्टर साहब आप जानते हैं कि इस देश में कुल मरीजों के एक प्रतिशत से भी बहुत कम को अस्पताल में बेड मिल पा रहा है. ऐसे समय में आप कुछ स्टेंडर्ड क्यों नहीं तैयार करवा रहे हैं कि मरीज अपने डॉक्टर की मर्जी से रेमडेसिविर अपने घर पर रहकर भी ले सके. वैसे भी अगर बिना आपकी बात की परवाह किए केंद्र सरकार लाखों की संख्या में रेमडेसिविर विदेशों से आयात कर रही है वो आखिर किस काम आएगी? अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दूसरे राज्यों से उत्तर प्रदेश के लिए रेमडेसिविर मंगाने के ऑर्डर दिए हैं.
देश के हजारों डॉक्टर जानते हैं कि उनके मरीज को अस्पताल में बेड नहीं मिल सकेगा, और वे यह भी जानते हैं कि रेमडेसिविर मिल गया तो हो सकता है उनके मरीज की जान बच जाए. ऐसी स्थिति में वो बेचारे दिल की सुनते हैं बजाय आपकी सुनने की.
सीटी स्कैन को खतरा बताया पर डॉक्टर नहीं मानते
आपने कुछ दिनों पहले कह दिया कि सीटी स्कैन कराने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. आप नहीं समझेंगे कि अब आपके इस बयान से कितनी विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है. देश के लोगों को समझ में नहीं आता आप सही कह रहे हैं या उनका इलाज कर रहा डॉक्टर सही बोल रहा है. मरीज तो मरीज डॉक्टर भी आपके इस तर्क को शायद नहीं मान रहे हैं इसलिए ही सीटी स्कैन कराने वालों की संख्या में कोई गिरावट नहीं आई है. इस बीच एक और खबर आ गई है कि IRIA ने सीटी स्कैन संबंधी आपके बयान को बिल्कुल गलत बताया है. आपने कहा कि सीटी स्कैन 300 एक्सरे कराने जैसा है इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. द प्रिंट की एक रिपोर्ट में छपे रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग एसोसिएशन के एक बयान के अनुसार सीटी स्कैन कोरोना की गंभीरता का पता लगाने के लिए जरूरी है. सीटी स्कैन यह भी जानने में कारगर साबित होता है कि यह बीमारी आपको कितने गंभीर रूप में जकड़ चुकी है. साथ ही यह उस समय तब बहुत जरूरी हो जाता है जब मरीजों का आरटी पीसीआर टेस्ट कोरोना के म्यूटेंट , लो वायरल लोड और टेक्निकल एरर के चलते नेगेटिव आता है. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि सीटी स्कैन की जिन मशीनों से हानिकारक रेज निकलती थीं वो पुराने जमाने की बात हो चुकी है. नई मशीनों में इस प्रकार का खतरा बिल्कुल भी नहीं . अब आप ही बताइये इस स्थित में जब न डॉक्टर ,न अस्पताल में बेड और न ऑक्सीजन ही मिल रहा है ऐसी स्थित में अगर इलाज को लेकर और कन्फ्यूजन क्रिएट होगा तो मरीज बेचारा क्या करेगा.
आरटी पीसीआर दुबारा न कराने की सलाह समझ में नहीं आई
डॉक्टर साहब मीडिया जगत के कुछ दिग्गजों ने आपकी योग्यता पर संदेह करते हुए पोस्ट लिखी पर मैंने कभी उन्हें तवज्जो नहीं दिया क्योंकि मैं जानता हूं कि आप के 648 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके है. इतना ही नहीं उन शोध पत्रों के कुल 8734 साइटेशन भी हो चुके हैं. आपकी काबिलियत पर मुझे शक नहीं है पर मैं चाहता हूं कि आप आम पब्लिक के बीच जो कन्फ्यूजन पैदा हो रहा है उसे जल्दी से जल्दी दूर करें. अभी हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आपने कहा कि होम आइसोलेशन से बाहर आने के बाद फिर टेस्ट कराने की कोई जरूरत नहीं . आपने कहा कि माइल्ड और एसिम्पोटोमैटिक केसेज में सातवें-आठवें दिन तक वायरस मर चुका होता है. ऐसी स्थित में किसी दूसरे को संक्रमित नहीं करते. डॉक्टर साहब शायद आपको पता नहीं होगा कि अब जो रिपोर्ट मिलती है उसमें केवल पॉजिटिव या नेगेटिव ही बताया जाता है. ये बहुत पुरानी बात हो चुकी है जब रिपोर्ट में संक्रमण का लेवल भी बताया जाता था. फिलहाल अभी यूपी का तो ऐसा ही हाल है देश के अन्य हिस्सों में क्या हो रहा ये मैं नहीं जानता. पर आपके इस बयान से भी तमाम तरह के कन्फ्यूजन पैदा हुए हैं.
सभी लोगों को सलाह देने के लिए कहां हैं डॉक्टर
डॉक्टर साहब आप सब कुछ बताने के बाद कह देते हैं कि इसके लिए आप डॉक्टर से जरूर संपर्क करें. डॉक्टर साहब आपको पता होगा इस समय डॉक्टर लोगों से मिलना कितना कठिन हो गया है. हालत ये है कि वीआईपी लोगों के इलाज के लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं तो आम आदमी को कहां से डॉक्टर मिलेंगे. आप वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर कुछ फिक्स जानकारी क्यों नहीं देते जो सभी मरीजों पर लागू हो सके. वैसे भी डॉक्टरों की हालत ये है कि जितने डॉक्टर उतनी बातें और उतनी तरह की दवाइयां. एक ही मरीज को एक डॉक्टर कहता है कि इन्हें तत्काल रेमडेसिविर की जरूरत है तो दूसरा कहता है कोई जरूरत नहीं है. आम पब्लिक की बात तो छोड़ ही दीजिए कोई ऐसा कोविड प्रोटोकाल क्यों नहीं बन रहा है जो कम से कम सभी डॉक्टर फॉलो कर सकें. आपको शायद ये भी पता ही होगा कि आजकल एक ही डॉक्टर एस साथ सैकड़ों लोगों का ऑनलाइन इलाज कर रहे हैं. सिर्फ लक्षणों के आधार पर और रिपोर्ट के आधार पर वो दवाएं लिखते हैं. अगर डॉक्टर्स के लिए भी कोई गाइ़़डलाइन तय हो जाए और उसके उल्लंघन करने वालों को दंड का भागीदार बनाया जाए तो कैसा रहेगा ?


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