कोरोना का डेल्टा वेरिएंट व सावधानियां

देश के 10 राज्यों में कोरोना वायरस के डेल्टा वैरियंट की पुष्टि होने पर स्थिति चिंता वाली बन गई है

Update: 2021-06-27 15:55 GMT

देश के 10 राज्यों में कोरोना वायरस के डेल्टा वैरियंट की पुष्टि होने पर स्थिति चिंता वाली बन गई है। भले ही देश महामारी की दूसरी लहर के शिखर के बाद अनलॉक की तरफ बढ़ रहा है लेकिन इस दौरान डेल्टा की पुष्टि गंभीर होने का संदेश दे रही है। केन्द्र सरकार ने संबंधित राज्यों को नई गाईडलाइन्स जारी कर दी हैं। डेल्टा वायरस के तेजी से फैलने के हो रहे खुलासों के कारण सरकारोें के साथ-साथ आमजन को भी पूरी तरह से जागरूक होना होगा। जिन राज्यों में डेल्टा मामलों की पुष्टि हुई है, उनमें सबसे अधिक प्रभावित महाराष्टÑ व पंजाब शामिल हैं।

खासकर पंंजाब मृत्युदर के मामले में पूरे देश में शिखर पर रहा है। ऐसी परिस्थितियों में किसी भी तरह की लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। दरअसल सरकारों के साथ-साथ आमजन की मानसिकता लापरवाही भरी है। दूसरी लहर भी लापरवाही के कारण बनी थी। जनवरी-फरवरी में कोरोना मामलों में गिरावट आने के बाद सरकारों, राजनीतिक पार्टियों व आम जनता ने लापरवाही की कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। चुनाव रैलियों से लेकर बाजार में भीड़भाड़ व मास्क न पहनने जैसी लापरवाहियों के कारण कोरोना की दूसरी लहर ऐसी आई कि अस्पतालों में आॅक्सीजन व वैंटीलैंटरों की भारी कमी सामने आई। मरीज धड़ाधड़ मौत के मुंह में समाते चले गए। नए मरीजों का प्रतिदिन का आंकड़ा 4 लाख के पार पहुंच गया था।
पूरी दुनिया में इन लापरवाहियों के कारण देश की बदनामी हुई व जिन देशों की हम मदद कर रहे थे उन देशों ने हमें मदद देनी शुरू कर दी थी। जहां तक कोरोना की तीसरी लहर का सवाल है इस संबंधी अभी कुछ भी कहना मुश्किल है लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि तीसरी लहर का इंतजार करने की बजाय सावधानियों को अपनी जिंदगी का अटूट हिस्सा बनाया जाए। सरकारों को टैस्टिंग बरकरार रखनी होगी। दूसरी लहर के कमजोर पड़ने के बाद कई राज्यों ने कोरोना टैस्टिंग बहुत ही कम कर दी है। दूसरी लहर गिरावट की तरफ है, लेकिन गिरावट के दौर में भी वायरस अपना कहर बरपा रहा है, वहीं दूसरी ओर अभी भी आबादी के मुताबिक हर व्यक्ति के टीकाकरण का कोई प्रबंध नहीं हो सका। कोरोना की मौजूदा परिस्थिति में सावधानी अभी भी बड़ा उपचार है। वास्तविकता यह है कि बीमारी फैलने की गति थोड़ी कम हुई है, लेकिन बिल्कुल खत्म नहीं हुुई है। जिंदगी से बढ़कर कुछ भी नहीं। जिंदगी व कामकाज के लिए पाबंदियां हटाई जा रही हैं लेकिन इस दौरान भी जिंदगी को अहमियत देनी होगी।
क्रेडिट बाय सच कहूं 
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