फिर डराने लगा है कोरोना
केरल और महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का बढ़ता ग्राफ एक बार फिर तनाव पैदा कर रहा है।
आदित्य चोपड़ा| केरल और महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का बढ़ता ग्राफ एक बार फिर तनाव पैदा कर रहा है। बुधवार को देशभर में कोरोना वायरस के 43654 नए केस सामने आए थे जबकि 640 की मौत गई थी। इसमें से आधे से ज्यादा 22159 केस सिर्फ केरल से हैं। केरल वैक्सीनेशन में अव्वल रहने के बाद भी महामारी के केस बढ़ने पर सवाल तो उठ ही रहे हैं। केरल में संक्रमण की दर 12 फीसदी के पार हो गई है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार संक्रमण दर 5 फीसदी से कम होनी चाहिए।
सरकार द्वारा जारी राज्य स्तरीय सीरो सर्वे का आंकड़ा कुछ और ही कहता है। आईसीएमआर द्वारा कराए गए सर्वे में कहा गया है कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत 8 राज्यों में 70 फीसदी से ज्यादा लोगाें में एंटीबाडी मिली है। यदि किसी व्यक्ति में एंटीबाडी का स्तर बहुुत ज्यादा मिलता है तो उस व्यक्ति को पहले इंफैक्शन हो चुका है। दूसरे अर्थों में सीरो सर्वे कहता है कि केरल में 6 वर्ष से ऊपर की आयु की 44 फीसदी आबादी संक्रमित हुई जबकि राष्ट्रीय औसत 67 फीसदी से ऊपर है। मध्य प्रदेश की 79 फीसदी आबादी पहले ही संक्रमित हो चुकी है। राजस्थान में 76.2 फीसदी, बिहार में 76 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 71 फीसदी आबादी संक्रमित हो चुकी है। महाराष्ट्र में सर्वाधिक कोरोना केस सामने आ चुके हैं, वहां 58 फीसदी जनसंख्या प्रभावित हो चुकी है। उत्तर प्रदेश की आबादी 22 करोड़ है। सीरो सर्वे के मुताबिक 71 फीसदी आबादी संक्रमित हो चुकी है। इसका अर्थ राज्य में 14 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि राज्य ने 17.1 लाख केस ही रिपोर्ट किए गए हैं। सीरो सर्वे बता रहा है कि आंकड़े कितने भयावह हैं। हो सकता है कि राज्य आंकड़े छिपा रहे हों। जहां तक केरल का संबंध है पिछले साल 30 जनवरी को कोरोना का पहला केस इसी राज्य में पाया गया था। तब केरल सरकार ने अत्यधिक सतर्कता से काम लेते हुए ठोस कदम उठाए और उसने संक्रमण पर काबू पा लिया था। तब केरल माडल की देशभर में तारीफ हुई थी। कोरोना की दूसरी लहर की शुरूआत भी केरल और महाराष्ट्र से शुरू हुई थी। मौजूदा समय में राज्य के आंकड़ों को देखते हुए यह आशंका होने लगी है कि क्या कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की शुरूआत केरल से शुरू होने वाली है।
केरल में संक्रमण क्यों बढ़ा उसकी एक बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि पहली लहर के दौरान अगर परिवार में किसी एक शख्स को संक्रमण होता था तो परिवार के दूसरे लोग पॉजिटिव नहीं होते थे लेकिन दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट के चलते संक्रमण की गति बढ़ गई है। एक लहर से दूसरी लहर के बीच कुछ अंतर होता है। एक लहर तब आती है जबकि बहुत सारे संक्रमित लोग एकत्रित हो जाएंगे। अगर संक्रमण वेरिएंट की वजह से है ताे लहर तेजी से फैलेगी। आप उसकी पहचान कर पाते हैं या नहीं यह काफी हद तक टेस्टिंग की स्थिति से तय होगा। केरल में प्राइवेट अस्पतालों में आईसीयू बेड खाली पड़े हैं। अस्पतालों में स्तिथि के सम्भालने की क्षमता है।
केरल में नियम के तहत सप्ताह में तीन दिन दुकानें खुली रहती हैं और इन दुकानों पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं, जहां सोशल डिस्टेसिंग के प्रावधानों का पूरी तरह से पालन नहीं होता। केरल में जीका वायरस संक्रमण के मरीज भी बढ़ रहे हैं। राज्य में बकरीद पर दी गई छूट से भी संक्रमण बढ़ा है। कोरोना की दूसरी लहर के लिए कुम्भ मेले को जिम्मेदार माना गया था। उसके बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और अन्य राज्यों ने कांवड़ यात्रा रद्द कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को चेताया भी था कि जो कांवड़ यात्रा को लेकर उसने आदेश दिए हैं, उनका पालन किया जाए लेकिन केरल ने व्यापारियों के दबाव में या तुष्टिकरण की नीतियां अपनाते हुए बकरीद पर पाबंदियों में ढील दी। ऐसा अन्य राज्यों में भी देखा गया िक लाकडाउन खुलते ही लोग बाजारों में उमड़ पड़े। ऐसा ही केरल में भी देखा गया। जब राज्य में कोरोना के नए-नए वेरिएंट मिल रहे हों तो फिर राज्य सरकार को कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहिए था। महामारी काे नजरंदाज करना केरल को महंगा पड़ रहा है।
सवाल यह भी उठता है कि आखिर कोरोना केरल और महाराष्ट्र के रास्ते क्यों आता है। जब केरल में पहली लहर आई तो उसके लिए विदेश से आने वालों को जिम्मेदार ठहराया। केरल के लाखों लोग खाड़ी देशों और अन्य देश में गए हुए हैं, जहां से उनका आवागमन होता रहा है। दूसरी लहर का कारण विधानसभा चुनाव बताए जाते रहे। महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों के पीछे राज्य की जनसंख्या और कोरोना नियमों की अनदेखी को बताया जाता रहा है। राज्य सरकारें जान लें कि अगर कोरोना प्रोटोकॉल को नहीं अपनाया गया तो तीसरी लहर को कोई नहीं रोक सकता। जीवन फिर थम जाएगा, बाजार बंद करने पड़ेंगे, व्यापार फिर ठप्प हो जाएगा और अर्थव्यवस्था फिर ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच जाएगी। कोरोना के एक मामले से फिर दहशत का माहौल पैदा होता जा रहा है। अच्छा होगा लोग संयम और सतर्कता से काम लें। जब तक जरूरी न हो घरों से बाहर नहीं निकलें। एक तरफ महामारी तो दूसरी तरफ प्रकृति की मार पड़ रही है। लोगों को सहनशीलता के साथ जीवन बिताने के व्यवहार को अपनाना होगा। राज्य सरकारें आंकड़े छिपाने की बजाय स्तिथि की गम्भीरता के समझें और ठोस उपाय करें।