केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय कोरोना संक्रमित होकर एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और एक राज्यमंत्री के संक्रमित होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पृथक्वास में जाना पड़ा है। बंगाल के ही एक अस्पताल में 70 डॉक्टर संक्रमित हुए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के 'जनता दरबार' में 6 लोग संक्रमित पाए गए। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, उनकी पत्नी, बेटी, बहू समेत परिवार के 11 सदस्य संक्रमित दर्ज किए गए हैं। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव संक्रमण की जकड़ में आने के बाद क्वारंटीन में हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी क्वारंटीन में हैं, क्योंकि उनका एक परिजन और स्टाफ का सदस्य संक्रमित पाए गए हैं। मध्यप्रदेश में एक ही दिन में 221 नए संक्रमित मामले दर्ज किए गए हैं। उनमें से आधे मरीज तो अकेले इंदौर में ही हैं। आईआईटी, खडग़पुर में कोरोना विस्फोट ने 31 छात्रों को बीमार कर दिया है। कुछ और स्कूलों और शैक्षिक संस्थानों में सैंकड़ों छात्र संक्रमित हुए हैं। फिल्मी दुनिया में बुजुर्ग अभिनेता प्रेम चोपड़ा और उनकी पत्नी, निर्माता एकता कपूर, अभिनेता जॉन अब्राहम और उनकी पत्नी प्रिया संक्रमित होकर उपचाराधीन हैं। ये कुछ मामलेे कोरोना संक्रमण के विस्तार के सारांश भर हैं। करीब 139 करोड़ के विशालकाय देश में न जाने ऐसे कितने मामले होंगे, जो दर्ज नहीं हुए होंगे अथवा मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाए होंगे! संक्रमण बीते एक सप्ताह के दौरान करीब 200 फीसदी बढ़ा है। देश में सोमवार देर रात्रि तक 36,500 संक्रमित केस सामने आए हैं।
रोज़ाना ऐसे मरीजों की संख्या 6 दिन में 6 गुना से ज्यादा बढ़ी है। यह गति दुनिया के देशों में दर्ज किए जा रहे मामलों में सर्वाधिक है। औसतन राष्ट्रीय संक्रमण दर 5 फीसदी के करीब पहुंच चुकी है। इसे पार करते ही महामारी को 'अनियंत्रित' माना जाएगा। विशेषज्ञ चिकित्सक इसे ही 'सामुदायिक संक्रमण' की स्थिति मान रहे हैं। उन्होंने इसे ही 'तीसरी लहर' की शुरुआत आंका है। विशेषज्ञों के जीनोम सीक्वेंसिंग के विश्लेषणों के बाद आकलन हैं कि संक्रमण के मौजूदा चरण में करीब 86 फीसदी मामले ओमिक्रॉन स्वरूप के हैं। डॉक्टर हल्के लक्षण, अस्पताल में भर्ती होने की दर, ऑक्सीजन, आईसीयू और वेंटिलेटर तक की नौबत, फेफड़ों में संक्रमण नहीं और कम मृत्यु-दर की स्थितियों को 'अद्र्धसत्य' करार दे रहे हैं। उन्होंने आगाह किया है कि 31 जनवरी, 2022 तक का इंतज़ार कर लें। हकीकत देश के सामने होगी। ओमिक्रॉन के अलग से आंकड़े देखें, तो उसके मरीज भी 2000 की संख्या छू रहे हैं। दुनिया भर में कोरोना वायरस के कुल संक्रमित मामले 8.30 लाख को पार कर चुके हैं। अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस सरीखे विकसित देशों में कोरोना की 'उफनती लहर' के हालात हैं, जबकि उन देशों में टीकाकरण के बाद 'बूस्टर डोज़' भी दी जा रही है।
ऐसे हालात में उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ओमिक्रॉन को 'वायरल फीवर' करार दें और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल 'छोटे-मोटे बुखार के लक्षण' मानें, तो उनके बयान हास्यास्पद लगते हैं। राजधानी दिल्ली में संक्रमण दर 7 फीसदी तक पहुंचने को है। हालात 'संपूर्ण कफ्र्यू' के बन चुके हैं। पाबंदियां पहले से ही थोपी जा चुकी हैं। अब 'आंशिक लॉकडाउन' की प्रतीक्षा है। ऐसा नहीं है कि हल्के लक्षण होने के कारण ओमिक्रॉन के केस अस्पताल तक कम जाएंगे। डॉक्टरों का आकलन है कि यदि जनवरी-फरवरी में संक्रमित मामलों की संख्या 4-5 लाख रोज़ाना तक पहुंच गई, तो अस्पतालों में हररोज़ 25-50,000 बिस्तरों की आवश्यकता पड़ेगी। अनुपात में दबाव आईसीयू और वेंटिलेटर पर भी पड़ेगा। वह स्थिति सामान्य नहीं होगी। भारत बीती मई, 2021 में 4.41 लाख से ज्यादा केस रोज़ाना देख चुका है। हालांकि टीकाकरण और व्यापक स्तर पर संक्रमण झेलने के बाद भारतीयों में 'हाईब्रिड इम्युनिटी' मौजूद है। टीके कोरोना वायरस से लडऩे में सहायक साबित हुए हैं। प्रभाव का औसत अलग-अलग हो सकता है, लेकिन हमारे टीके वाकई 'संजीवनी' सिद्ध हुए हैं, लिहाजा अभी तक अस्पतालों में ज्यादातर बिस्तर खाली हैं और मौतें भी अभी तक कुल 118 ही हुई हैं। हम एक दिन में 4000 से ज्यादा मौतों के मंजर देख-झेल चुके हैं। लिहाजा डॉक्टरों की अपील मानिए और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कीजिए। यह दौर भी समाप्त होता लगेगा। यह भी खबर है कि 15 जनवरी आते-आते अकेले दिल्ली में ही रोज 20 हजार से 25 हजार केस आने की संभावना है। अगर यह अनुमान सही रहा, तो निश्चित ही स्थिति काफी जटिल हो जाएगी। इसलिए सतर्क होना पड़ेगा।
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