टुकड़ों-टुकड़ों में लौटता चीन
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर 12वें राउंड की बातचीत के सार्थक परिणाम आ रहे हैं।
आदित्य चोपड़ा| भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर 12वें राउंड की बातचीत के सार्थक परिणाम आ रहे हैं। दोनों देशों के सैनिक पूर्वी लद्दाख के गोगरा में पीछे हट गए हैं। साथ ही वहां निर्मित सभी अस्थाई ढांचों को भी हटा लिया गया है। इस क्षेत्र में पिछले वर्ष मई में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ गए थे। अब सवाल यह है कि चीन टुकड़ों-टुकड़ों में क्यों लौट रहा है। ऐसा लगता है कि वह हम पर कोई अहसान कर रहा है। कायदे से तो उसे इस साल फरवरी में पैगोंग झील इलाके से सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति बन जाने के बाद अन्य क्षेत्रों में भी आमने-सामने खड़ी सेनाओं को अपने पूर्व के स्थानों पर लौट जाना चाहिए था, लेकिन एेसा नहीं हुआ। इसके लिए चीन का अडियल रवैया जिम्मेदार रहा। चीन की रणनीति यही रहती है कि दूसरे पक्ष पर इतना दबाव बना कर रखा जाए ताकि दूसरा पक्ष थक जाए और वह अपनी रणनीति पर काम करता रहे। यह तथ्य किसी से छिपा हुआ नहीं है कि चीन भारत की घेराबंदी की चौतरफा कोशिश में लगा है। चीन और पाकिस्तान की जुगलबंदी भारत के लिए नित नई चुनौतियां पेश करती रहती है। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन की भारत यात्रा के दौरान आैर उस दौरान दलाई लामा के प्रतिनिधियों से उनकी वार्ता के बाद चीन खासा तिलमिलाया था। ऐसे में साम्राज्यवादी चीन के मंसूबों को समझना कठिन नहीं है। इसके बावजूद सैन्य वार्ता चलती रही। चीन का एक-एक जगह से धीरे-धीरे लौटना इस बात का संकेत है कि इस बार लाख कोेशिशों के बावजूद चीन भारत पर दबाव बनाने में कामयाब नहीं हो सका। अब सवाल यह है कि चीन के सैनिक हाट स्प्रिंग और देपसांग इलाके से कब हटेंगे। भारत सीमा पर 2020 की स्थिति बहाल करना चाहता है। चीन को कभी यह उम्मीद नहीं रही होगी कि भारत से उसे इतने कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है।