थल सेनाध्यक्ष जनरल पांडे
जनरल मनोज पांडे ने बीते शनिवार यानी 30 अप्रैल को भारतीय थल सेना की कमान संभाली
कर्नल (रि.) मनीष
स्वतंत्र लेखक
जनरल मनोज पांडे ने बीते शनिवार यानी 30 अप्रैल को भारतीय थल सेना की कमान संभाली। वह जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की जगह थल सेनाध्यक्ष बने। इससे पहले लैफ्टिनैंट जनरल मनोज पांडे के पास सेना के उप प्रमुख की जिम्मेदारी थी। अब वह देश के 29वें थल सेना अध्यक्ष बन गए हैं। उनका कार्यकाल लगभग 2 साल का होगा। जनरल मनोज पांडे का सेनाध्यक्ष बनना इसलिए खास है कि वह आर्मी चीफ के पद पर पहुंचने वाले पहले ऐसे अधिकारी हैं जो कोर आफ इंजीनियर्स से आते हैं। इससे पहले के आर्मी चीफ इन्फेंट्री, आर्टलरी और आर्म्ड कोर से ताल्लुक रखते थे। जनरल मनोज पांडे की सैन्य सेवाओं की बात करें तो उन्होंने ज्यादातर समय भारत की उत्तरी सीमाओं खासकर चीन से सटे सिक्किम और लद्दाख बॉर्डर पर काम किया है और कई ऑपरेशन का नेतृत्व किया है। चीन से जारी तनाव और उत्तर पूर्व बार्डर पर बढ़ रही तल्खियों के बीच उनकी नियुक्ति काफी अहम मानी जा रही है। पिछले ज्यादातर थल सेनाध्यक्षों की तरह मनोज पांडे भी नेशनल डिफेंस एकेडमी के कैडेट रहे हैं। 1982 के बैच के पासआउट मनोज पांडे ने कोर आफ इंजीनियर्स को ज्वाइन किया था।
इन्होंने जम्मू-कश्मीर में एलओसी के पास ऑपरेशन पराक्रम में भी हिस्सा लिया था। यह ऑपरेशन 2001 में संसद पर हमले के बाद चलाया गया था जिसमें आतंकियों को होने वाली हथियारों की सप्लाई का भंडाफोड़ किया गया था। जनरल मनोज पांडे इससे पहले आर्मी की पूर्वी कमांड में कमांडर और ब्रिगेडियर के पद पर काम कर चुके हैं। इसके अलावा लद्दाख में माउंटेन डिवीजन के इंजीनियर अधिकारी के रूप में भी काम कर चुके हैं। जनरल पांडे सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ-साथ नॉर्थ ईस्ट रीजन में चलाए गए अलग-अलग ऑपरेशन में भी हिस्सा लेने के साथ-साथ अंडमान निकोबार में कमांडर के तौर पर काम करने का अनुभव है।
इस तरह अगर देखा जाए तो पिछले 40 साल की सैन्य सेवा के दौरान जनरल पांडे ने हर क्षेत्र में शानदार काम किया है। मनोज पांडे महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले हैं। भारत के अलावा जनरल पांडे संयुक्त राष्ट्र के कई मिशन में सेवा दे चुके हैं तथा उन्हें भारतीय सेना के परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल आदि सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। दुनिया की दूसरी बड़ी सेना की बागडोर संभालना एक फौजी अधिकारी के लिए गर्व की बात है। 1400000 से भी अधिक सक्रिय कर्मियों की ताकत के साथ भारतीय सेना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत है। भारतीय सेना के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट है तथा ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना को विश्व की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। ग्लोबल फायर पावर द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के हवाले से जो सूची तैयार की गई है, उसमें हर देश को उसकी सैन्य शक्ति के आधार पर रैंक दिया गया है, जिसमें अमेरिकी सेना को सबसे ताकतवर तथा भारतीय सेना को चौथे स्थान पर रखा गया है। हमें अपनी सेना पर गर्व है तथा पूरा विश्वास है कि जनरल पांडे जैसे सक्षम नेतृत्व में सेना और मजबूत व ताकतवर बनेगी।