अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती
ये प्रक्रिया धीमी गति से आगे बढ़ रही थी, लेकिन अब अचानक इसने दुनिया का ध्यान खींचा है।
ये प्रक्रिया धीमी गति से आगे बढ़ रही थी, लेकिन अब अचानक इसने दुनिया का ध्यान खींचा है। दुनिया में देशों की एक धुरी उभरी है, जो विश्व आर्थिक व्यवस्था को अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व से मुक्त करने की ठोस रणनीति पर चल रहे हैं। ये रणनीति अब एक खास मुकाम पर पहुंच गई है। रूस ने पिछले हफ्ते एलान किया कि वह अपने सॉवरेन वेल्थ फंड को डॉलर से पूरी तरह मुक्त करने जा रहा है। सॉवरेन वेल्थ फंड सरकारी निवेश कोष को कहा जाता है। किसी देश में व्यापार मुनाफे से जो रकम बचती है, उसके एक हिस्से को सरकारें इस कोष में निवेश के लिए रखती हैं। इसके पहले चीन, रूस और ईरान के बीच अपना सारा कारोबार अपनी मुद्राओं के जरिए करने का फैसला हो चुका है। इसी क्रम में रूस का ये खुलान एलान आया कि रूस अपने सॉवरेन वेल्थ फंड में डॉलर के हिस्से को घटा कर शून्य कर देगा। लक्ष्य यह है कि इस काम को जुलाई खत्म होने के पहले पूरा कर लिया जाए। रूस का केंद्रीय बैंक पहले ही डॉलर में अपने निवेश को घटाने में जुटा हुआ है।