सौहार्द के सेतु

इस भेंट के गहरे निहितार्थ फलित हो सकते हैं, बशर्ते दोनों पक्ष के पूर्वाग्रही और दुराग्रही तत्त्व व्याप्त रंजिश एवं मनभेद के दारुण दरिया से निकलकर स्वतंत्र मन से अमन-चैन के सूत्र तलाशें। शायद अभी तक संघ के किसी प्रमुख ने ऐसी पहल नहीं की थी।

Update: 2022-09-27 05:34 GMT

Written by जनसत्ता: इस भेंट के गहरे निहितार्थ फलित हो सकते हैं, बशर्ते दोनों पक्ष के पूर्वाग्रही और दुराग्रही तत्त्व व्याप्त रंजिश एवं मनभेद के दारुण दरिया से निकलकर स्वतंत्र मन से अमन-चैन के सूत्र तलाशें। शायद अभी तक संघ के किसी प्रमुख ने ऐसी पहल नहीं की थी।

चूंकि दोनों पक्षों के बीच मतभेद के घनत्व वृद्धि में दोनों ओर का राजनीतिक आचरण मुख्य रूप से उत्तरदायी रहा है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि यह पहल अपने सृजनात्मक लक्ष्य को पाने में उपस्थित हर मुद्दे को गंभीरतापूर्वक विमर्श करे। साथ ही यह भी विचार हो कि समाधान के सूत्र तलाशने में विवादास्पद राजनीतिक नेताओं के प्रवेश पर विराम भी लगे।

अगर पूर्व में प्रबल राजनीतिक इच्छा होती तो भातृत्व भाव की लक्ष्मण रेखा इतनी खंडित नहीं होती। उल्लेखनीय है कि ज्ञानव्यापी मामले में भी मोहन भागवत ने हिंदू धर्मावलंबियों को हिदायत दी थी कि वे हर मस्जिद में मंदिर ढूंढ़ने से परहेज करें। उनकी पहल अत्यधिक सार्थक हो सकती है अगर वे भविष्य में दोनों धर्मों के विशिष्ट व्यक्तियों को आमने-सामने बिठाकर मतभेद के मुद्दे पर खुले मन से विचार-विमर्श कराएं।


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