जनता से रिश्ता वेबडेसक | अमेरिका से आई एक रिपोर्ट ने चीन के प्रति भारत को आगाह किया है, तो कोई आश्चर्य नहीं। साइबरस्पेस कंपनी, रिकॉर्डेड फ्यूचर ने भारत सरकार को चीन से जुड़े खतरे की सूचना दी है। रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है कि चीन का एक साइबर समूह रेड इको मुंबई में बिजली फेल होने के लिए जिम्मेदार हो सकता है। यह आरोप लगाते हुए रिकॉर्डेड फ्यूचर ने ठोस प्रमाण तो नहीं पेश किए हैं, पर परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के जरिए यह समझाने की कोशिश की है कि चीन खतरा बन सकता है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पावर ग्रिड नेटवर्क का संचालन साइबर आधारित होता जा रहा है। जिस इंटरनेट प्रोग्राम के जरिए पावर ग्रिड को संभाला जाता है, अगर उसमें कोई देश घुसपैठ कर ले, तो वाकई किसी भी देश में बिजली की व्यवस्था को बाधित कर सकता है। अमेरिकी रिपोर्ट ने बताया है कि 12 अक्तूबर, 2020 को मुंबई में बिजली व्यवस्था ठप हो गई थी, यह कारस्तानी चीन के हैकरों की हो सकती है। इस रिपोर्ट के बाद भारत सरकार को पूरी गंभीरता से इस कथित घुसपैठ की जांच करनी चाहिए। संभव है, यह जांच पहले से ही जारी हो और भारतीय साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस तकनीकी आपदा का इलाज खोज लिया हो।
वाकई यह चिंता की बात है, अगर चीन भारतीय बिजली व्यवस्था में घुसपैठ में सक्षम हो चुका है। क्या भारत में ऐसा करने में सक्षम है? विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी ही घुसपैठ रूस ने अमेरिकी पावर ग्रिड में की थी, लेकिन तब अमेरिकी विशेषज्ञों ने भी रूसी पावर ग्रिड में सेंध मारकर रूसियों को सचेत कर दिया था। भारत को आगाह करते हुए रिपोर्ट ने यह स्पष्ट संकेत कर दिया है कि साइबर सेंध से बचने में वही देश कामयाब होगा, जो साइबर सेंध मारने की क्षमता रखेगा। भारत को ऐसे साइबर युद्ध से बचने में पूरी तरह सक्षम होना चाहिए और इसके साथ ही उसको निशाना बनाने वाले दुश्मनों को भी पता होना चाहिए कि सेंधमारी करके वह भी नहीं बचेंगे। दुश्मन आप से उसी हथियार से लड़ना चाहता है, जिसमें वह आपको कमजोर मानता है। हमें देखना होगा कि साइबर सुरक्षा के मामले में अगर चीन हमें कमजोर मान रहा है, तो हम अपनी कमजोरी कैसे दूर करेंगे। एक सवाल यह भी है कि क्या अमेरिका इन दिनों भारत के लिए अतिरिक्त रूप से सचेत है। अमेरिका के भी अनेक पहलू हैं, वहां अनेक तरह की संस्थाएं हैं, जो अपने-अपने ढंग से विश्लेषण करती रहती हैं। हमें अपने स्तर पर भला-बुरा सोचते हुए चलना है। चीन और अमेरिका के बीच बहुत भौगोलिक दूरी है, लेकिन चीन हमारा पड़ोसी है। हम न तो अत्यधिक उदार हो सकते हैं और न अत्यधिक आक्रामक। हमें सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक संतुलन बनाकर चलना होगा। अपनी बिजली व्यवस्था को ही नहीं, अपने पूरे तंत्र को चाक-चौबंद बनाना होगा। प्रौद्योगिकी के स्तर पर किसी भी तरह की सेंध की गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए। बिजली, पानी की आपूर्ति ही नहीं, बल्कि किसी भी तरह की सार्वजनिक सेवा भी साइबर हमले में बाधित नहीं होनी चाहिए। दुनिया के तमाम विकसित देश अपनी-अपनी साइबर सुरक्षा मजबूत करने में लगे हैं, चीन तो खासतौर पर सक्रिय है। हमें मानकर चलना चाहिए कि साइबर मैदान में युद्ध अब निरंतर जारी रहेगा। लुटने से वही बचेगा, जिसके ताले अकाट्य होंगे।