आजादी का बिल
दिन, चार जुलाई, 1947। शाम साढ़े आठ बजे लंदन के ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में करीब एक सौ सदस्य ही उपस्थित थे
दिन, चार जुलाई, 1947। शाम साढ़े आठ बजे लंदन के 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में करीब एक सौ सदस्य ही उपस्थित थे। तीन-चौथाई सीटें खाली थी। स्पीकर डगलस क्लिफटन ब्राउन ने प्रधानमंत्री क्लिमेन्ट एटली का नाम पुकारा। क्लिमेन्ट एटली अपनी कुर्सी से आधा उठे। सिर झुकाया और बैठ गए। फिर पार्लियामेंट के क्लर्क ने बिल का नाम पढ़ा-'इंडियन इंडिपेंडेंस बिल।' कुल समय लगा – डेढ़ सेकंड। और भारतीय स्वतंत्रता का विधेयक वेस्टमिन्स्टर संसद में पेश हो गया। इसमें पंद्रह अगस्त, 1947 से ब्रिटिश राज की समाप्ति और आजाद भारत और पाकिस्तान के जन्म का प्रभाव था। दस जुलाई को 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में भारतीय स्वतंत्रता विधेयक पर चर्चा हुई। ब्रितानी संसद ने पौने चार घंटे की बहस के बाद भारतीय स्वतंत्रता विधेयक के दूसरे चरण को बिना मत विभाजन के मंजूरी दे दी। बहस में क्लिमेन्ट एटली ने रियासतों के लिए साफ तौर पर कहा – ' ब्रिटेन देशी रियासतों को अलग से मान्यता नहीं देगा।