डा. भीमराव अंबेडकर प्रमुख नेता थे जिनका योगदान हमारे संविधान को बनाने में बहुत बड़ा है। वह एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने समानता, अखंडता, शिक्षा पर अधिक बल दिया और छुआछूत को समाप्त किया। अपने अंतिम भाषण में उन्होंने कहा कि संविधान कितना ही अच्छा हो सकता है, लेकिन अगर इसे लागू करने वाले लोग अच्छे काम करने वाले नहीं हैं तो संविधान बेकार है।
इसके विपरीत यदि संविधान खराब गुणवत्ता का है, लेकिन अगर इसे लागू करने वाले लोग मेहनती हैं और समर्पित हैं तो संविधान सफल होगा। वास्तव में अंबेडकर प्रतिभाशाली थे। भारत में जो आज हो रहा है, उसे उन्होंने उस समय पढ़ लिया था। आज कहा जा रहा है कि भारतीय संविधान विफल हो गया है। वास्तव में इसे लागू करने वाले ही इसके लिए जिम्मेदार हैं।
-नरेंद्र कुमार शर्मा, भुजड़ू, मंडी