हिजाब पर हल्ला
हिजाब विवाद जोर पकड़ रहा है। हिजाब के हिमायती इस बात की वकालत कर रहे हैं कि उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता दांव पर लगी हुई है। उत्तर प्रदेश राज्य में चुनाव चल रहे हैं।
Written by जनसत्ता: हिजाब विवाद जोर पकड़ रहा है। हिजाब के हिमायती इस बात की वकालत कर रहे हैं कि उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता दांव पर लगी हुई है। उत्तर प्रदेश राज्य में चुनाव चल रहे हैं। राजनीतिक पंडित हिजाब विवाद को यूपी चुनाव को प्रभावित करने की रणनीति मानते हैं। यों, भारत सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने ताजा बयान में स्पष्ट किया है कि भारत में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। केवल ऐसे शैक्षणिक संस्थानों में जहां ड्रेस या यूनिफार्म कोड अनिवार्य है, हिजाब पहनना प्रतिबंधित है।
बात सही भी है, क्योंकि अगर छात्रों को यह छूट दी जाए कि उन्हें जैसा भी पसंद है, वैसा परिधान पहनने को वे स्वतंत्र हैं, तो संस्थान में एक तरह से उन्मुक्त वातावरण उभर कर सामने आएगा और संस्थान का अनुशासन दांव पर लग जाएगा। कहने की आवश्यकता नहीं है कि किसी भी शिक्षण संस्थान द्वारा निर्धारित परिधान उस संस्थान की पहचान का प्रतिनिधित्व करता है। संस्थान से बाहर यानी घर-बाहर कुछ भी पहना जा सकता है, मगर संस्थान के भीतर नियम-कायदे तो माने ही जाने चाहिए।
एक बार फिर चुनावी बिगुल बज चुका है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और कर्नाटक में चुनाव हो रहे हैं। इस पर्व को सभी मिल कर मना रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा विधानसभा सीटों वाले उत्तरप्रदेश का मिजाज सही नहीं लग रहा है। लोगों में भाजपा के प्रति खुशी से ज्यादा नाराजगी है। पटना में छात्रों का रेलवे की परीक्षा एनटीपीसी में धांधली का विरोध हो, बारह महीने का किसान आंदोलन हो, लखीमपुरी कांड जिसमें भाजपा के मंत्री के बेटे ने किसान आंदोलन में प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी और चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत और दो लोग घायल हो गए थे, इसे लेकर लोगों में आाक्रोश है। भारतीय जनता पार्टी को अगर जीतना है, तो युवाओं की मांगों को मानना और जनता की नब्ज को पकड़ना पड़ेगा।