सेना, अंतरराष्ट्रीय विवाद-4

रूस और यूक्रेन के युद्ध को लगभग 15 दिन से ऊपर हो गए हैं और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में खबरें आ रही हैं

Update: 2022-03-11 19:08 GMT

रूस और यूक्रेन के युद्ध को लगभग 15 दिन से ऊपर हो गए हैं और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में खबरें आ रही हैं कि जो रूस की 65 किलोमीटर लंबी टैंक कानवाय कीव के बाहर करीब 8 दिन पहले पहुंच गई थी, अभी तक भी यूक्रेन की राजधानी पर कब्जा क्यों नहीं कर पाई। इस संदर्भ में विश्व में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं कि यह सब पश्चिमी देशों तथा यूएन द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंध तथा यूक्रेन के लोगों का उनके राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ खड़े होने का परिणाम है। चर्चा यह भी है कि रूसी सेना लॉजिस्टिक में कमजोर पड़ रही है। पर इस सब में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि यहां पर भारत का निर्णय क्या होना चाहिए क्योंकि अमेरिका लगातार भारत पर रूस के खिलाफ जाने का दबाव बना रहा है और हर दिन अमेरिकी संसद में इस पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। तो अगर इन सब बातों पर गंभीरता से विचार और मंथन किया जाए तो मेरा मानना है कि पश्चिमी देशों के मीडिया से आने वाली खबरें शायद दुनिया के देशों में एक प्रोपेगेंडा तथा फेक नरेटिव बनाने की कोशिश है, क्योंकि अगर हम कीव के बाहर की 65 किलोमीटर रूसी सेना की टैंक कानवाय की बात करें तो उसके लिए कीव पर कब्जा करना कोई ज्यादा बड़ी बात नहीं होगी। सेना जब लड़ाई के लिए जाती है तो वह सबसे पहले अपनी हवाई सेना का इस्तेमाल करके जिस एरिया को कब्जे में करना है उस को तहस-नहस कर देती है तथा उसके बाद अपने टैंक रसाले को वहां पर भेज कर बचा खुचा विनाश करती है तथा आखिर में पैदल सेना जाकर उस पर पूर्णतया कब्जा कर लेती है।

अगर हम रूस और यूक्रेन के युद्ध को देखें तो इसमें हवाई सेना का इस्तेमाल अभी तक न के मुताबिक किया गया है क्योंकि हवाई सेना के इस्तेमाल से सबसे ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर को खतरा होता है तथा उसी का ही विनाश होता है, शायद रूस नहीं चाहता कि वह हवाई सेना का इस्तेमाल करके यूक्रेन को पूरी तरह से तहस-नहस कर दे और पिछले कुछ दिनों से हुमन कोरिडोर बनाकर सिविलियन को कीव से निकालना भी रूस के इस अच्छे इरादे को सशक्त करता है। जब भी कोई टैंक यूनिट किसी शहर को कब्जा करने के लिए बढ़ती है तो वह उससे पहले उसको चारों तरफ से उसके अंदर आने वाली किसी भी तरह की सहायक सेना को रोकती है तो शायद रूस की टैंक कानवाय का उत्तर की तरफ मूवमेंट कीव को चारों तरफ से घेर कर कब्जा करने के उद्देश्य से है। दूसरा जो यह चर्चा चल रही है कि रूसी सेना शायद लॉजिस्टिक में कमजोर पड़ गई है, इसलिए वहां रुक गई है तो मेरा मानना है कि यह भी तर्कपूर्ण तथ्य नहीं है। मेरे अपने अनुभव के अनुसार रूसी सेना बड़ी ही प्रोफेशनल और अपराइट सेना है और किसी भी सेना के लिए फ्योल, अमनीशन, भोजन और पानी लड़ाई में जाने से पहले एक ऐसी जरूरतें होती हैं जिसका इंतजाम पहले ही कर लिया जाता है और शायद रूसी सेना इसमें धोखा नहीं खा सकती। दूसरा शायद रूस वह सब नहीं चाहता जो अमेरिका ने इराक और अफगानिस्तान में किया था और उसके बाद अभी तक अमेरिका को वहां की आम जनता का विरोध झेलना पड़ रहा है। शायद रूस इसलिए इतना समय ले रहा है।
अगर पूरे सनेरियो को देखा जाए तो यह प्रमाणित होता है कि जब नाटो फोर्स और यूएनए यूक्रेन को वह सहायता नहीं पहुंचा पाए जो यूक्रेन उनकी तरफ टकटकी लगाकर देख रहा था तो इस तरह का झूठ प्रोपेगेंडा करके रूस की इमेज को दुनिया में धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। इस स्थिति में अगर हम भारत का नजरिया देखें तो जो भारत ने अभी तक गुटनिरपेक्षता तथा तटस्थ रहने की स्थिति अपना रखी है हमें उसी पर ही कायम रहना चाहिए, क्योंकि भारत के पास ज्यादातर वायु सेना और थल सेना में हथियार रूस से आते हैं, दूसरा वर्तमान में जिस तरह से चीन और रूस के संबंध आपस में सुदृढ़ हो रहे हैं, भारत को रूस के खिलाफ नहीं जाना चाहिए। शायद हर आदमी मानता है कि युद्ध किसी भी मसले का हल नहीं हो सकता, पर फिर भी सदियों से युद्ध के कारण हुए मानवता के विनाश के बाद भी अपनी जाति महत्त्वाकांक्षा के कारण दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं और देशों ने हर बार अतीत से सबक लिए बिना युद्ध का रास्ता अपना कर मानवता का विनाश किया है।
कर्नल (रि.) मनीष धीमान
स्वतंत्र लेखक
Tags:    

Similar News

हर पल अनमोल
-->