सेना, जासूसी और पेगासस-1

जैसे-जैसे चुनावी शोर बढ़ रहा है उसी रफ्तार से ओमिक्रॉन पर चर्चा कम हो रही है

Update: 2022-02-04 19:17 GMT

जैसे-जैसे चुनावी शोर बढ़ रहा है उसी रफ्तार से ओमिक्रॉन पर चर्चा कम हो रही है। चुनाव आयोग वैसे तो अलग-अलग तरह की हिदायतें और पाबंदियां लगा रहा है, पर फिर भी दशकों से बनी चुनावी रीत को एकदम वर्चुअल प्रचार में तब्दील करना थोड़ा मुश्किल लग रहा है। पंजाब में सिद्धू और मजीठिया का मुकाबला पार्टी विचारधारा से हटकर कहीं हद तक निजी हो चुका है, तो यूपी में योगी की गर्मी और जयंत की चर्बी दोनों प्राइम टाइम डिबेट में चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह से विपक्ष ने टीवी मीडिया की तरफ अपना रवैया बदला है और हर मंच पर एंकर को बीजेपी का प्रचारक बताने की बात हो रही है, उसमें मीडिया को आत्म अवलोकन करने की जरूरत है।

संसद में राष्ट्रपति संबोधन पर चर्चा के दौरान दिए गए राहुल गांधी के भाषण को अगर बिना किसी पूर्वाग्रह और पार्टी विचारधारा से ऊपर उठकर देखा जाए तो उनका हर शब्द देश की मौजूदा समस्याओं, बेरोजगारी, मंहगाई, आंतरिक तथा विदेश नीति के हिसाब से बहुत ही अहम और काबिले तारीफ था। उनके वक्तव्य में एक परिपक्व नायक सी गंभीरता कांग्रेस के लिए संजीवनी सिद्ध हो सकती है। इसके अलावा एक विदेशी अखबार में यह दावा किया गया कि 2017 में भारत ने इजराइल से सेना के लिए पेगासस स्पाइवेयर खरीदा था। सेना में सीमा पर सुरक्षा के लिए तथा कुछ आंतरिक परिस्थितियों को नियंत्रण में रखने के लिए अलग-अलग ढंग से जासूसी की जाती है। वर्तमान समय में जिस तरह से कंपनियों द्वारा नए-नए तकनीक वाले स्मार्टफोन जारी किए जा रहे हैं, नई अपडेट के साथ स्मार्टफोन में बेहतरीन फीचर दी जा रही हैं तथा नए नए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने से उपयोगकर्ता को कई कार्य करने में आसानी होती है, उसी तरह से पेगासस भी एक सॉफ्टवेयर है, जिसके इस्तेमाल से किसी भी व्यक्ति की गुप्त जानकारियों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
पेगासस को इजराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी (एनएसओ) ग्रुप टेक्नोलॉजी द्वारा तैयार किया है। एनएसओ एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी समूह है जो दुनिया भर की सरकारों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपराध और आतंकवाद से लड़ने में मदद करने का दावा करती है तथा दुनिया के 40 देशों में 60 खुफिया एजेंसी द्वारा एनएसओ समूह अपनी सैन्य और कानूनी-प्रवर्तन का दावा करती है। पेगासस सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर या स्मार्टफोन में इस्तेमाल कर इसमें की गई गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं। इसकी मदद से कंप्यूटर या फोन में किस चीज को देखा गया या किन-किन फाइल को ओपन किया गया, इसका भी आसानी से पता किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार स्पाइवेयर द्वारा उपयोगकर्ता के मोबाइल में एक लिंक भेजा जाता है। इसके बाद यदि यूजर उस लिंक पर क्लिक कर देता है तो उसके फोन में मैलवेयर या निगरानी की अनुमति वाला कोड इंस्टॉल हो जाता है और उपयोगकर्ता के फोन की जासूसी करता है। पर अब मैलवेयर के नए अपडेट में किसी लिंक पर क्लिक करने की भी जरूरत नहीं होगी। यदि एक बार पेगासस इंस्टॉल हो जाता है तो निगरानी करने वाला जासूस आपके फोन की संपूर्ण जानकारी को बिना आपकी सहमति से देख सकता है तथा अपनी इच्छा अनुसार उपयोग कर सकता है।
कर्नल (रि.) मनीष धीमान
स्वतंत्र लेखक
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