अनुराग का सियासी निवेश-२

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के बाहर अनुराग ठाकुर के लिए केंद्रीय मंत्री पद का वरदान व आशीर्वाद

Update: 2021-08-25 04:48 GMT

दिव्याहिमाचल।

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के बाहर अनुराग ठाकुर के लिए केंद्रीय मंत्री पद का वरदान व आशीर्वाद, इस बार की यात्रा को राज्य की मुख्यधारा बनाने की कोशिश तथा इसके सफलतम आयाम तक पहुंचाने में मददगार साबित हुआ है। हालिया वर्षों में, ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अलावा और कोई नेता अपनी प्रादेशिक भूमिका में अंगीकार नहीं हुआ है, लेकिन बतौर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की पृष्ठभूमि, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की विरासत और मोदी मंत्रिमंडल का प्रभार गूंज रहा है। अब देखना यह होगा कि राज्य की भूमिकाओं में उनके केंद्रीय दायित्व का ऊंट किस करवट बैठता है। केंद्रीय मंत्री ने इस आशय के संकेत देते हुए शिमला, मंडी से कांगड़ा तक की यात्रा को भविष्य के संकल्प से बांधा, अपनी भूमिका का विजन पेश किया और जमीन से जुड़े रहने की सौगंध में वादों का नक्शा तैयार किया। उनके वादों के नक्शे में हमीरपुर से इतर राज्यव्यापी दृष्टिकोण परिलक्षित होता है। वह प्रदेश के लिए कहने की कोशिश में अपनी स्वीकार्यता का जायजा ले रहे हैं। इस बार शब्द अपनी शरण में क्षेत्रीय संवेदना को प्रश्रय दे रहे हैं।

अनुराग अगर हिमाचल की सांस्कृतिक व कलात्मक पहचान के सारथी बनना चाहते हैं, तो चंबा रूमाल, कांगड़ा पेंटिंग, कुल्लू की शाल, सिरमौरी लोइया तथा हर तरह के रंग में रंगी टोपियां निश्चित रूप से हिमाचल का सिर ऊंचा करेंगी। वह हिमाचल को स्पोट्र्स का हब बनाने की हामी भरते हैं, तो एफएम रेडियो की आवाज को प्रदेश में बुलंद करना चाहते हैं। यात्रा के हर पड़ाव की भूमिका, विश£ेषण और साधना का फलक देखा जा सकता है। वह शिमला व मंडी के महत्त्व में क्रिकेट का महाकुंभ जोडऩा चाहते हैं, तो धर्मशाला के सपनों में हाई अल्टीट्यूड ट्रेनिंग सेंटर की खुमारी भरना चाहते हैं। अनुराग इस बार जीवन के शुरुआती दौर की कहानी में कांगड़ा के वृत्तांत को इतना लंबा करने में सफल रहे कि उसकी सियासत को यहां भी घर दिखाई दे रहा है। इसमें दो राय नहीं कि सियासत जब संप्रदाय हो जाती है, तो हर लम्हा काम आता है। अनुराग ने क्रिकेट में जुनून से राजनीति का सुरूर पाया और इसकी पौध में उगे क्रिकेट स्टेडियम, अकादमी और खेल पर्यटन ने हिमाचल के सोच को बदला। केंद्रीय मंत्री की राजनीतिक रीढ़ में खेलों के प्रति लगाव और कुछ कर दिखाने की इच्छा रही है और अगर इस दिशा में 'डबल इंजन' सरकार का रुतबा कायम होता है, तो हिमाचल वाकई स्पोट्र्स हब बन कर खेल पर्यटन के ऊंचे आयाम पैदा कर सकता है।


स्की विलेज, वाटर स्पोट्र्स तथा साहसिक खेलों के लिए हिमाचल की विविधता काम आएगी, जबकि तमाम खेलों के प्रशिक्षण के लिए यहां की आबोहवा की क्षमता में देश आगे बढ़ सकता है। राज्य और केंद्र के बीच सेतु के रूप में अनुराग अपने विभागीय आंचल भी फैला दे, तो एक साथ कई सूरज निकल सकते हैं। अनुराग के इशारे में प्रदेश के खेल मंत्री को अपनी परियोजनाओं का शृंगार करना चाहिए और इसके लिए लक्ष्य निर्धारित करना होगा। हिमाचल को राष्ट्रीय खेलों का एक आयोजन पूरी तरह खेल हब बना सकता है। राष्ट्रीय खेल आयोजन का मुख्य स्टेडियम अगर धर्मशाला का पुलिस मैदान बनाया जाए, तो अनेक फील्ड स्पोट्र्स व इंडोर खेलों के हिसाब से ऊना, बिलासपुर, चंबा, मंडी, हमीरपुर, कुल्लू, सोलन व कई अन्य शहरों तक ढांचा विकसित होगा। इसके साथ-साथ पौंग, गोबिंदसागर व कोल डैम में वाटर स्पोट्र्स के राष्ट्रीय लक्ष्य चिन्हित होंगे। हिमाचल को खेल हब बनाने के लिए राष्ट्रीय खेलों का आयोजन एक मुकम्मल तस्वीर की तरह सहायक होगा। इसी तरह सूचना-प्रसारण मंत्रालय के तहत नए एफएम रेडियो स्टेशनों के अलावा दूरदर्शन का हिमाचल चैनल तथा रेडियो प्रसारणों में राज्य स्तरीय कार्यक्रमों का नेटवर्क तैयार हो सकता है। केंद्रीय मंत्री प्रत्यक्ष या परोक्ष में जो कह-कर गए हैं, उसे समझने में राज्य सरकार की पहल क्या रंग ला सकती है, आगे विशषण करेंगे। (-जारी)


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