कोरोना की आपदा के बावजूद देश में खाद्यान्न की रिकार्ड पैदावार
कृषि मंत्रालय की ओर से जारी चालू फसल वर्ष 2020-21 के लिए मुख्य फसलों के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक कोरोना की आपदा के बावजूद देश में खाद्यान्न की कुल पैदावार रिकार्ड स्तर पर पहुंचते हुए 30.54 करोड़ टन अनुमानित है। इस बार की अनुमानित खाद्यान्न पैदावार पिछले वर्ष की कुल पैदावार 29.75 करोड़ टन के मुकाबले 79.4 लाख टन अधिक है। यह महत्वपूर्ण है कि पिछले वर्ष जब दुनिया के कई खाद्य निर्यातक देश कोरोना संकट के कारण खाद्य पदार्थों का निर्यात करने में पिछड़ गए थे, तब भारत ने विश्व खाद्य आपूर्ति शृंखला में कमी को रोकने का लक्ष्य रखते हुए खाद्य उत्पादों का निर्यात बढ़ा दिया था। पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल से फरवरी के 11 महीनों के दौरान देश से 2.74 लाख करोड़ रुपये के कृषि उत्पादों का निर्यात किया गया। यह साल भर पहले की इसी अवधि के 2.31 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 16.88 फीसद ज्यादा रहा। इसके साथ-साथ प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल-फरवरी के दौरान 26.51 प्रतिशत बढ़कर 43,798 करोड़ रुपये का हो गया। इन उत्पादों में दालें, प्रसंस्कृत सब्जियां, प्रसंस्कृत फल एवं फलों का जूस, मूंगफली, अनाज से बनी वस्तुएं, दुग्ध उत्पादन, अल्कोहल पेय और तेल खली आदि शामिल हैं।
भारत ने कई नए बाजारों में पकड़ बनाई, चीन ने बासमती चावल खरीदना शुरू किया
यह कोई छोटी बात नहीं है कि भारत के कृषिगत निर्यात पश्चिम एशिया, अमेरिका, ब्रिटेन यूरोपीय संघ, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड, इजरायल, दक्षिण कोरिया सहित विभिन्न परंपरागत और नए देशों के बाजारों में अपनी पहचान बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं। भारत ने ब्राजील, चिली जैसे कई नए बाजारों में पकड़ बनाई है। खास बात यह भी है कि चीन ने भी भारत से बासमती चावल खरीदना शुरू किया है।
अच्छे मानसून की संभावना
एक बार फिर अच्छे मानसून की संभावना के कारण आगामी फसल वर्ष में भी अधिक खाद्यान्न उत्पादन होने की संभावना दिखाई दे रही है। कोरोना के कारण र्आिथक मुश्किलों और गिरती विकास दर के बीच कृषि क्षेत्र संजीवनी की तरह उपयोगी दिखाई दे रहा है। कोविड की पहली लहर की चुनौतियों के बीच अर्थव्यवस्था में कृषि ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जिसने वृद्धि की। जहां कृषि क्षेत्र ने भरपूर खाद्यान्न भंडार से देश के लोगों को भोजन की चिंता से बचाया, वहीं अर्थव्यवस्था को ढहने से भी बचाया।
कृषि की विकास दर में करीब 3.4 फीसदी की वृद्धि
महामारी के दौरान जहां देश की जीडीपी में बड़ी गिरावट आई, वहीं कृषि की विकास दर में करीब 3.4 फीसदी की वृद्धि होने से जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी 17.8 फीसदी से बढ़कर 19.9 फीसदी के स्तर पर पहुंचते हुए दिखाई दे सकती है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए स्वीकृत किए गए 10,900 करोड़ रुपये के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए है। इस योजना से देश में मूल्यर्विधत खाद्य उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। इससे विदेशी निवेश और निर्यात में बढ़ोतरी होगी। किसानों को उनकी पैदावार के बेहतर दाम मिलने के साथ ही कृषि उपज की बरबादी को भी कम किया जा सकेगा। इसके साथ ही इससे 2026-27 तक करीब ढाई लाख रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा
देश में जहां खाद्यान्न उत्पादन तेजी से बढ़ाने में एमएसपी और विभिन्न कृषि विकास योजनाओं की अहम भूमिका है, वहीं कृषि निर्यात बढ़ने के भी कई कारण उभरकर दिखाई दे रहे हैं। सरकार ने नई कृषि निर्यात नीति के तहत ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया है। सरकार ने निर्यात किए जाने वाले कृषि जिंसों के उत्पादन और घरेलू दाम में उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाने के लिए रणनीतिक कदम उठाए हैं। इसके साथ ही राज्यों की कृषि निर्यात में ज्यादा भागीदारी, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में सुधार और नए कृषि उत्पादों के विकास में शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया है। पिछले वर्ष से शुरू हुई किसान ट्रेनों ने भी कृषि निर्यात बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
कृषि निर्यात को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए कृषि निर्यात अवरोध दूर किए जाने होंगे
चालू वित्त वर्ष में कृषि उत्पादन के ऊंचाई पर पहुंचने की संभावनाओं के बीच कृषि निर्यात को भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए विभिन्न कृषि निर्यात अवरोध दूर किए जाने होंगे। इसके लिए संबंधित देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से वार्ता तेजी से आगे बढ़ानी होगी। अब कृषि निर्यातकों के हितों के अनुरूप मानकों में उपयुक्त बदलाव भी करना होगा, ताकि कृषि निर्यातकों को कार्यशील पूंजी आसानी से प्राप्त हो सके। सरकार को अन्य देशों की मुद्रा के उतार-चढ़ाव, सीमा शुल्क की मुश्किलें जैसे कई मुद्दों पर भी ध्यान देना होगा।
हम उम्मीद करते हैं कि सरकार कृषि निर्यात की संभावनाओं को साकार करने के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ेगी। कृषि निर्यात बढ़ने से देश के कुल निर्यात में वृद्धि होगी। इससे किसानों की आमदनी और ग्रामीण क्षेत्र की समृद्धि बढ़ने के साथ-साथ रोजगार अवसरों में भी वृद्धि होगी।
( लेखक अर्थशास्त्री हैं )