फिर बढ़ता खतरा

राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों का बढ़ता आंकड़ा चिंता पैदा करने वाला है। गुरुवार को तैंतालीस संक्रमित मरीजों की मौत हुई थी। तीसरी लहर में एक दिन में संक्रमण से हुई ये सबसे ज्यादा मौतें हैं।

Update: 2022-01-22 05:30 GMT

राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों का बढ़ता आंकड़ा चिंता पैदा करने वाला है। गुरुवार को तैंतालीस संक्रमित मरीजों की मौत हुई थी। तीसरी लहर में एक दिन में संक्रमण से हुई ये सबसे ज्यादा मौतें हैं। एक जनवरी से अब तक साढ़े तीन सौ से ज्यादा संक्रमितों की जान जा चुकी है। जाहिर है, मामला गंभीर है। हालांकि दिल्ली सरकार ने संक्रमण के मामलों में कमी आने का दावा किया है।

साथ ही सक्रिय मामलों में भी कमी आने की बात कही जा रही है। ऐसे में अगर मौतों का आंकड़ा बढ़ता है तो यह निश्चित ही चिंता की बात है। इससे यह चिंता होना भी स्वाभाविक है कि संक्रमण कहीं ज्यादा घातक रूप न ले ले। वैसे दिल्ली सरकार ने सभी मृतकों की जीनोम अनुक्रमण करवाने को कहा है, ताकि पता चल सके कि विषाणु के किस स्वरूप की वजह से ये मौतें हुईं। हालांकि ऐसा भी कहा जा रहा है कि मरने वाले संक्रमित मरीजों में ज्यादातर लोग किसी न किसी गंभीर बीमारी से पहले से ग्रस्त थे।

जो भी हो, मरने वालों का बढ़ता आंकड़ा एक डर यह तो पैदा कर ही रहा है कि कहीं ओमीक्रान तो मौत का कारण नहीं बन रहा। हालांकि ओमीक्रान का संक्रमण है या नहीं, यह तो जीनोम अनुक्रमण के बाद ही पता चल पाता है। दिल्ली सरकार का दावा है कि तीसरी लहर का उच्चतम स्तर आ चुका है और मामले उतार पर हैं। जहां बारह जनवरी को सत्ताईस हजार पांच सौ इकसठ मामले थे, वहीं बीस जनवरी को ये घट कर बारह हजार छत्तीस रह गए। अगर ऐसे में मौतों का आंकड़ा बढ़ता है तो इसका मतलब यह माना जाना चाहिए कि गंभीर हालत वाले मरीजों की संख्या भी कम नहीं है। कहने को पिछले एक हफ्ते में कोरोना के नए मामलों में कमी देखने को मिली है।

इसकी वजह नए मामलों की जांच में कमी बताई जा रही है। कुछ दिन पहले भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने जांच संबंधी अपने दिशानिर्देश में साफ कहा था कि उन्हीं मामलों की जांच हो, जिनमें लक्षण नजर आ रहे हों। जाहिर है, जांच का दायरा कम होना ही था। और जब जांच कम होगी तो मरीज भी कम ही निकलेंगे और यह दावा किया जाता रहेगा कि महामारी उतार पर है।

राजधानी में जो हालात हैं, उन्हें देखते हुए जांच का काम तेज होना चाहिए। खतरा यह खड़ा हो गया है कि जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिख रहे हैं उनकी जांच नहीं हो रही है और वे दूसरों को संक्रमण दे रहे हैं। दिल्ली में पिछले दस दिनों में जांच में पच्चीस फीसद तक कमी आई है, जबकि इस दौरान पिछले दस दिनों यानी एक से दस जनवरी के मुकाबले नए मामले पच्चीस फीसद तक बढ़ गए।

आने वाले दिनों में भी अगर जांच का काम इसी ढर्रे पर चलता रहा और अचानक से संक्रमण का विस्फोट हो गया, तो हैरानी नहीं होगी। संक्रमण को फैलने से रोकने का एक ही रास्ता है कि हर संक्रमित की जांच हो, चाहे उसमें लक्षण हों या नहीं। वरना कौन संक्रमण का वाहक बना हुआ है और कौन नहीं, पता ही नहीं चलेगा। दिल्ली को संक्रमण से जल्द मुक्ति दिलाने के लिए यह जरूरी है। वरना दिल्ली पाबंदियों में ही चलती रहेगी।


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