ओलिंपिक खेलों में भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बाद एशियाई खेलों पर होगी सबकी निगाहें, ई-स्पोर्ट्स को मिले प्रोत्साहन
ओलिंपिक खेलों
रजनीश मिश्र। जापान में हुए ओलिंपिक खेलों में भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बाद निगाहें अगले साल चीन में होने वाले एशियाई खेलों पर होगी। एशियाड में पहली बार पदक स्पर्धाओं में शामिल ई-स्पोर्ट्स में भारत का डंका बजाने का मौका देश के छोटे शहरों की युवा प्रतिभाओं को भी मिल सकता है।
ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में तीर्थ मेहता ने मचाई थी सनसनी
ई-स्पोर्ट्स समेत पूरे आनलाइन गेमिंग क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे भारत के स्टार खिलाड़ी तीर्थ मेहता ने 2018 में इंडोनेशिया में आयोजित एशियाई खेलों में पदक जीत कर सनसनी मचा दी थी। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के दबदबे वाले इस खेल को तब डेमो यानी प्रदर्शन श्रेणी में रखा गया था। तीर्थ ने ई-स्पोर्ट्स की हार्थस्टोन स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था।
अगले साल चीन के हांगझू में होगा एशियाई खेल
अगले साल चीन के हांगझू में होने वाले एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम का चयन ई-स्पोर्ट्स फेडरेशन आफ इंडिया करेगी। इसके निदेशक लोकेश सूजी का कहना है कि टीम चयन से पूर्व आयोजित की जा रही शुरुआती प्रतियोगिताओं में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और पूवरेत्तर के शहरों से भी गजब की युवा प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। मुख्यत: कंप्यूटर और कन्सोल पर खेले जाने वाले इन खेलों में पारंपरिक रूप से बड़े शहरों का दबदबा रहा है, परंतु छोटे स्थानों से प्रतिभाओं के मिलने से उन्हें बहुत हैरत नहीं है।
हाल के वर्षों में ई-स्पोर्ट्स ने तेजी से बनाई जगह
तीर्थ मेहता भी गुजरात के भुज से हैं। भारत में ई-स्पोर्ट्स ने हाल के वर्षो में तेजी से जगह बनाई है। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह साल में ई-स्पोर्ट्स के गेमिंग स्टूडियो की संख्या में पांच गुनी वृद्धि हुई है। अब देश में इसके 14 प्रसारण प्लेटफार्म भी हैं और यह संख्या बढ़ कर 20 हो जाने का अनुमान है। बड़ी युवा आबादी के कारण देश में ई-स्पोर्ट्स के दर्शकों की संख्या भी बहुत है। अभी यह करीब 1.7 करोड़ है और वर्ष 2025 तक इसके पांच गुना बढ़ कर साढ़े आठ करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। खिलाड़ियों की संख्या भी 15 लाख हो जाएगी जिसमें एक बड़ा हिस्सा छोटे शहरों का होगा।
अगले चार सालों में ई-स्पोर्ट्स में 46 फीसद सालाना दर वृद्धि का अनुमान
देश में ई-स्पोर्ट्स के क्षेत्र में अगले चार साल में 46 फीसद सालाना की दर से वृद्धि होने का अनुमान है। तीर्थ मेहता का मानना है कि सुविधाओं में बढ़ोतरी और इस अपेक्षाकृत नए खेल के प्रति सामान्य मानसिकता में बदलाव से छोटे शहरों की प्रतिभाओं को भी उभरने का पूरा मौका मिल सकता है। देशभर से छुपी प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए खेल मंत्रलय और भारतीय ओलिंपिक संघ को भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। हालांकि भारत में ई-स्पोर्ट्स प्रतिभाओं की भरमार है, पर चयन की औपचारिक संस्थाओं का विस्तार नहीं होने से उनकी तलाश एक कठिन काम है। इस क्षेत्र के समक्ष कई चुनौतियां हैं।
इस रिपोर्ट में आया सामने- आनलाइन गेमिंग में 18 फीसद वृद्धि
लंदन आधारित पेशेवर सेवा प्रदाता 'अन्स्र्ट एंड यंग' और भारतीय व्यापार जगत की अग्रणी संस्था 'फिक्की' की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में आनलाइन गेमिंग क्षेत्र ने वर्ष 2019 के दौरान 40 प्रतिशत और 2020 में 18 प्रतिशत की दर से वृद्धि की। विशेषज्ञों का मानना है कि बेतहाशा बढ़त के बावजूद देश में इसके समक्ष दो प्रमुख चुनौतियां भी हैं। पहला, गेमिंग संबंधी कानूनों को लेकर स्थिति का पूरी तरह स्पष्ट नहीं होना और दूसरा इसी वजह से कई स्थानों पर इस पर कई तरह के प्रतिबंध आदि का लगना।
गेमिंग सेक्टर को प्रतिबंधों नहीं, बल्कि कारगर नियमन की जरूरत
मात्र तीन साल में ही 'यूनिकार्न स्टेटस' यानी एक अरब डालर के बाजार मूल्य के नजदीक पहुंच चुकी एक बड़ी भारतीय गेमिंग कंपनी एमपीएल के नीति और कानून विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डीजे मैनाक का कहना है कि गेमिंग सेक्टर को प्रतिबंधों नहीं, बल्कि कारगर नियमन की जरूरत है। इसके बढ़ने से अर्थव्यवस्था को भी लाभ हो रहा है। कर राजस्व और रोजगार के कई नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
ई-स्पोर्ट्स क्षेत्र में भारतीय प्रतिभाओं के आगे बढ़ने के रास्ते खुले
तेजी से उभर रहे ई-स्पोर्ट्स क्षेत्र में भारतीय प्रतिभाओं के आगे बढ़ने के रास्ते भी खुल रहे हैं। भारत ई-स्पोर्ट्स के क्षेत्र में विश्व फलक पर एक बड़ी ताकत बन सकता है। देश में युवाओं की बड़ी आबादी है और छोटे शहरों के युवा भी उचित मार्गदर्शन मिलने पर बड़ी स्पर्धाओं में अपना हुनर दिखा सकते हैं।
नियमन आवश्यक : भारत के सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट में स्पाट फिक्सिंग और अन्य तरह के कदाचार के मामले जब सामने आए तो खेल पर ही प्रतिबंध नहीं लगा दिया गया। अगर कुछ समस्याएं हैं भी तो उनको उचित नियमन के जरिये ठीक किया जा सकता है। गेमिंग के विज्ञापनों में लत लगने और वित्तीय जोखिम संबंधी अस्वीकरण अनिवार्य करना भी पूरी तरह सही नहीं है। भारत में लोग अपने कुल आनलाइन समय का मात्र छह प्रतिशत ही गेमिंग पर बिताते हैं। कई ऐसी चीजें हैं जो अधिक लत लगाने वाली और वित्तीय जोखिम वाली हैं, पर उन पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
ई-स्पोर्ट्स को एशियाई खेलों में पहली बार पदक श्रेणी में रखा गया
ई-स्पोर्ट्स को एशियाई खेलों में पहली बार पदक श्रेणी में रखा गया है। गेमिंग के प्रति नकारात्मकता से इसमें भारत के प्रदर्शन पर भी असर पड़ सकता है। अगर आप किसी लोकप्रिय चीज को सीधे सीधे प्रतिबंधित करेंगे तो उसके गैर कानूनी स्वरूप ले लेने की भी आशंका रहेगी। भारतीय कानून कौशल आधारित खेलों यानी गेम्स आफ स्किल्स को प्रतिबंधित नहीं करते। केवल गेम्स आफ चांस को ही प्रतिबंधित करते हैं, जिनके परिणाम पूरी तरह संयोग पर निर्भर करते हैं। भारत में ई-स्पोर्ट्स की बढ़ती लोकप्रियता के बीच छोटे शहरों के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि अगले साल चीन में आयोजित एशियाई खेलों में पदक हासिल कर सकें