आखिर इजरायल की तरह हमें कोरोना महामारी से कब तक मिलेगी मुक्ति ?
कोरोना महामारी
ज्योति रंजन पाठक। इजरायल आजकल कई कारणों से सुर्खियों में है। महामारी के संदर्भ में इस देश को देखें तो यहां अब सार्वजनिक स्थानों पर मास्क लगाना अनिवार्य नहीं रहा। इजरायल विश्व का पहला ऐसा देश बन चुका है, जिसने खुद को कोरोना मुक्त घोषित कर दिया है। वहां बड़े स्तर पर टीका अभियान के बाद एक बार फिर लोगों की जिंदगी पटरी पर लौट रही है। इजरायल द्वारा स्वयं को कोरोना मुक्त देश घोषित करना भारत के लोगों को लालायित कर रहा है। भारतवासी यह सोचने लगे हैं कि क्या हम भी इजरायल की तरह कोरोना से छुटकारा पा सकेंगे?
आज हमारे यहां कोरोना संक्रमण की स्थिति भयावह है। एक ओर लोगों को अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ मन में यह भाव भी उठ रहे हैं कि किसी तरह इस महामारी का कोई स्थायी इलाज हो, ताकि लोग पहले की भांति रोजमर्रा की जिंदगी जी सकें। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए ऐसी उम्मीद करना बहुत कठिन है। आखिर इजरायल की तरह हमें कोरोना से कब तक मुक्ति मिलेगी? वैसे इजरायल जैसा कोरोना मुक्त होने के लिए हमें उसके विषय में जानना अत्यंत आवश्यक है कि कैसे इस छोटे से देश ने अपने परिश्रम, अनुशासन, दृढ़ संकल्प के साथ ऐसा करने में कामयाबी हासिल की है। कोरोना के मामले में इस देश ने बहुत ही अनुशासन दिखाया है। एक बार मास्क लगाने की घोषणा हो गई, तो फिर किसी ने प्रश्न नहीं उठाया है। लोगों ने शारीरिक दूरी का पूरा ध्यान रखा, इसके लिए वहां की पुलिस को हमारे देश की तरह कसरत नहीं करनी पड़ी। इसी तरह की मुस्तैदी और लोगों का अनुशासन टीकाकरण अभियान में भी दिखा। इस देश में 16 से 80 वर्ष तक 81 प्रतिशत से अधिक लोगों का टीकाकरण हो चुका है।
संबंधित परिस्थितियों का मूल्याकंन करने के बाद यह स्पष्ट किया गया कि देश कोरोना संकट से बाहर है और उसके बाद ही मास्क पहनने की अनिवार्यता से छूट दी गई। दूसरी ओर हमारे देश में लोग मास्क लगाने के लिए सड़क पर पुलिस र्किमयों से झगड़ने लगते हैं। हाल में ही इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो में दिख रहा था कि किस तरह दिल्ली में कार से जा रहे एक दंपति को जब पुलिसर्किमयों ने मास्क नहीं होने के कारण रोका तो उन्होंने किस तरह से बदतमीजी की थी। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि इजरायल की आबादी की तुलना भारत से नहीं की जा सकती, क्योंकि वहां की कुल आबादी एक करोड़ से भी कम है। ऐसे में अनुशासन का पालन और टीकाकरण का कार्य उतना मुश्किल नहीं है। इन सभी बातों के लिए जनसंख्या एक अहम कारक है, लेकिन मूल बात राष्ट्र के प्रति संकल्प और अनुशासन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
ऐसा भी नहीं है कि भारत में कोरोना महामारी पर विजय पाने की क्षमता नहीं है। यह बात अलग है कि हम वैसा दृढ़ संकल्प और अनुशासन नहीं अपना रहे हैं जैसा इजरायल और वहां के लोगों में है। हमारे देश में बहुत सारे नागरिक ऐसे हैं जो सरकारी निर्देशों को न मानने की जिद को अपना अधिकार मान बैठते हैं। निश्चित रूप से राज्य सरकारों के कोरोना प्रबंधन कार्यक्रम में कमियां दिखती रही हैं, क्योंकि कोरोना के नए वैरियंट को लेकर देश को आगाह भी किया गया था, परंतु उस दिशा में पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। इस संबंध में हमें इजरायल से सीख लेनी चाहिए कि आपदा के समय में कैसा आचरण करना चाहिए। अगर सभी देशवासी इस समस्या को निपटाने में अपना सहयोग दें, तो निश्चित तौर पर जल्द ही इस महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए केवल हमें अनुशासित जीवनशैली को व्यवहार में लाना ही होगा। इस बात को हम जितनी जल्दी समझेंगे, उतना अच्छा होगा।
[स्वतंत्र पत्रकार]