Afghanistan Crisis: दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी संकट का काउंटडाउन

दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी संकट

Update: 2021-08-29 12:09 GMT

धर्मेंद्र द्विवेदी।

6 साल पहले देश-दुनिया की मीडिया में एक तस्वीर ने खलबली मचा दी थी. 3 साल के एक बच्चे आयलान कुर्दी की वो तस्वीर रातों-रात पूरी दुनिया में वायरल हो गई थी..जिसमें आयलान कुर्दी का शव मुंह के बल तुर्की के बोडरम समुद्र तट पर पड़ा हुआ था. सीरियाई मूल के मासूम की मौत ने पूरी दुनिया को दहला दिया था. आयलान की मौत ने पहली बार दुनिया के ताकतवर देशों और संस्थाओं को शरणार्थी संकट की तरफ गंभीरता से सोचने पर मजबूर किया था. आयलान के मां-बाप ISIS से बचने के लिए सीरिया से समंदर के रास्ते भाग रहे थेल, किन नाव पलट गई और आयलान कुर्दी की मौत हो गई. आयलान का जिक्र यहां इसलिए किया क्योंकि अफगानिस्तान में जो हालात बन रहे हैं.वो शरणार्थी संकट के मामले में सीरिया को भी पीछे छोड़ता दिख रहा है. 15 अगस्त 2021 के बाद से हर रोज़ हजारों अफगानी अपना देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट के साथ-साथ इंटरनेशनल बॉर्डर की तरफ भाग रहे हैं. कोई हैरत की बात नहीं है कि जैसे 2015 में लोग सीरिया से भाग रहे थे.आगे उसी तरह का पलायन अफगानिस्तान से भी शुरु हो.

31 अगस्त के बाद बढ़ेगा अफगान से पलायन
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने अफगानिस्तान से होने वाले पलायन को लेकर बड़ी बात कही है…एजेंसी का दावा है कि आने वाले वक्त में 5 लाख से ज्यादा अफगान नागरिक अपना देश छोड़ सकते हैं. जिनमें ज्यादतर महिलाएं और बच्चे शामिल होंगे. इसकी वजह ये है कि तालिबान ने अमेरिका सहित नाटो के सदस्य देशों को अफगानिस्तान छोड़ने के लिए 31 अगस्त की डेडलाइन दी है. जब विदेशी फोर्सेस अफगानिस्तान छोड़ देंगी..आशंका है कि उसके बाद अवाम पर तालिबान की सख्ती बढ़ सकती है. खासतौर पर महिलाओं के लिए जीना मुश्किल हो जाएगा..उन पर सख्ती के साथ शरिया कानून थोपा जाएगा. आज भी तालिबान के डर से सबसे ज्यादा खौफ में जवान लड़कियां और महिलाएं हैं. जाहिर है कि तालिबान से जान बचाने के लिए अफगानियों के सामने देश छोड़ना ही एक विकल्प बचा है.
बेतहाशा बढ़ेगी अफगान शरणार्थियों की तादाद
यूनाइटेड नेशन्स ह्यूमन राइट काउंसिल के आंकड़े के मुताबिक अब तक करीब 50 लाख अफगानी अपने घर और इलाके से बेदखल होकर शरणार्थी बन चुके हैं..इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो अफगानिस्तान में ही हैं..लेकिन लाखों ऐसे भी हैं जो देश छोड़ चुके हैं. अमेरिका ने जो आंकडा दिया है उसके मुताबिक उसने करीब 1.25 लाख अफगानियों को निकाला है…बाकी और देशों के रेस्क्यू ऑपरेशन को जोड़ लिया जाए तो 15 अगस्त से लेकर अब तक करीब 2 लाख अफगान शरणार्थियों को बाहर निकाला चुका है…और लाखों ऐसे हैं जो किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान छोड़ देना चाहते हैं. UNHRC को आशंका है कि आने वाले समय में लाखों लोग अफगानिस्तान छोड़ेंगे. अनुमान है कि ऐसे शरणार्थियों की संख्या 22 लाख तक पहुंच सकती है जो अफगानिस्तान से बाहर दूसरे देशों में शरण लेंगे.
भारत पर भी शरणार्थी संकट का असर
अनुमान है कि भारत में फिलहाल करीब 3 लाख शरणार्थी रहते हैं. जिसमें करीब 18 हजार अफगानी नागरिक हैं.क्योंकि भारत मानवीय आधार पर शरण देने में लचीला रूख अपनाता रहा है इसलिए आशंका है कि अगले कुछ महीनों में भारत पर अफगान शरणार्थियों को शरण देने का दबाव बन सकता है. देश में मौजूद विपक्षी दल ही सरकार पर इसके लिए दबाव बना सकते हैं. हालांकि देश में कोई शरणार्थी कानून ना नीति साफ नहीं है. भारत पर प्रेशर की एक वजह ये है कि अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों जिसमें पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान ने अफगान शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं. पाकिस्तान ने तो बॉर्डर पार करने की कोशिश कर रहे शरणार्थियों की भीड़ पर गोलियां तक चलवा दीं…जिसमें कुछ लोगों की मौत हो गई. गरीबी और भुखमरी से जूझ रही पाकिस्तानी अवाम अफगान शरणार्थियों की सबसे बड़ी दुश्मन बन गई है. पाकिस्तानी नहीं चाहते कि एक भी अफगानी उनके देश में आए और संसाधनों का बंटवारा हो.
कहां मिलेगी शरण, कौन करेगा मदद
जिस तरह का शरणार्थी संकट आने वाले समय में आता दिख रहा है उसके बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि अफगानियों को कौन से देश शरण देंगे. सवाल इसलिए बड़ा है क्योंकि अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों की हालत आर्थिक तौर पर ऐसी भी नहीं है कि वो हजारों-लाखों की तादाद में शरणार्थियों का बोझ उठा सकें. यही वजह है कि अफगानियों को अमेरिका और पश्चिमी देशों में शरण की बहुत ज्यादा उम्मीद है. खासकर अमेरिका और यूरोप में. बीच में ऐसी खबरें भी आईं कि कुछ अफगानियों को भारत ने निकालना चाहा लेकिन अमेरिका और कनाडा जाने की ख्वाहिश रखने वाले लोगों ने आने में आनाकानी की. लेकिन यक्ष प्रश्न ये है कि दुनिया के अमीर देश आखिर कितने लोगों को शरण देंगे. कोई तो सीमा होगी. लिहाजा विश्व बिरादरी के लिए जितना जरूरी शरण देना है उससे ज्यादा जरूरी है अफगानिस्तान के हालात में स्थिरता लाना ताकि शरणार्थी संकट का पक्का इलाज हो सके.
6 साल पहले देश-दुनिया की मीडिया में एक तस्वीर ने खलबली मचा दी थी. 3 साल के एक बच्चे आयलान कुर्दी की वो तस्वीर रातों-रात पूरी दुनिया में वायरल हो गई थी..जिसमें आयलान कुर्दी का शव मुंह के बल तुर्की के बोडरम समुद्र तट पर पड़ा हुआ था. सीरियाई मूल के मासूम की मौत ने पूरी दुनिया को दहला दिया था. आयलान की मौत ने पहली बार दुनिया के ताकतवर देशों और संस्थाओं को शरणार्थी संकट की तरफ गंभीरता से सोचने पर मजबूर किया था. आयलान के मां-बाप ISIS से बचने के लिए सीरिया से समंदर के रास्ते भाग रहे थेल, किन नाव पलट गई और आयलान कुर्दी की मौत हो गई. आयलान का जिक्र यहां इसलिए किया क्योंकि अफगानिस्तान में जो हालात बन रहे हैं.वो शरणार्थी संकट के मामले में सीरिया को भी पीछे छोड़ता दिख रहा है. 15 अगस्त 2021 के बाद से हर रोज़ हजारों अफगानी अपना देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट के साथ-साथ इंटरनेशनल बॉर्डर की तरफ भाग रहे हैं. कोई हैरत की बात नहीं है कि जैसे 2015 में लोग सीरिया से भाग रहे थे.आगे उसी तरह का पलायन अफगानिस्तान से भी शुरु हो.
31 अगस्त के बाद बढ़ेगा अफगान से पलायन
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने अफगानिस्तान से होने वाले पलायन को लेकर बड़ी बात कही है…एजेंसी का दावा है कि आने वाले वक्त में 5 लाख से ज्यादा अफगान नागरिक अपना देश छोड़ सकते हैं. जिनमें ज्यादतर महिलाएं और बच्चे शामिल होंगे. इसकी वजह ये है कि तालिबान ने अमेरिका सहित नाटो के सदस्य देशों को अफगानिस्तान छोड़ने के लिए 31 अगस्त की डेडलाइन दी है. जब विदेशी फोर्सेस अफगानिस्तान छोड़ देंगी..आशंका है कि उसके बाद अवाम पर तालिबान की सख्ती बढ़ सकती है. खासतौर पर महिलाओं के लिए जीना मुश्किल हो जाएगा..उन पर सख्ती के साथ शरिया कानून थोपा जाएगा. आज भी तालिबान के डर से सबसे ज्यादा खौफ में जवान लड़कियां और महिलाएं हैं. जाहिर है कि तालिबान से जान बचाने के लिए अफगानियों के सामने देश छोड़ना ही एक विकल्प बचा है.
बेतहाशा बढ़ेगी अफगान शरणार्थियों की तादाद
यूनाइटेड नेशन्स ह्यूमन राइट काउंसिल के आंकड़े के मुताबिक अब तक करीब 50 लाख अफगानी अपने घर और इलाके से बेदखल होकर शरणार्थी बन चुके हैं..इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो अफगानिस्तान में ही हैं..लेकिन लाखों ऐसे भी हैं जो देश छोड़ चुके हैं. अमेरिका ने जो आंकडा दिया है उसके मुताबिक उसने करीब 1.25 लाख अफगानियों को निकाला है…बाकी और देशों के रेस्क्यू ऑपरेशन को जोड़ लिया जाए तो 15 अगस्त से लेकर अब तक करीब 2 लाख अफगान शरणार्थियों को बाहर निकाला चुका है…और लाखों ऐसे हैं जो किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान छोड़ देना चाहते हैं. UNHRC को आशंका है कि आने वाले समय में लाखों लोग अफगानिस्तान छोड़ेंगे. अनुमान है कि ऐसे शरणार्थियों की संख्या 22 लाख तक पहुंच सकती है जो अफगानिस्तान से बाहर दूसरे देशों में शरण लेंगे.
भारत पर भी शरणार्थी संकट का असर
अनुमान है कि भारत में फिलहाल करीब 3 लाख शरणार्थी रहते हैं. जिसमें करीब 18 हजार अफगानी नागरिक हैं.क्योंकि भारत मानवीय आधार पर शरण देने में लचीला रूख अपनाता रहा है इसलिए आशंका है कि अगले कुछ महीनों में भारत पर अफगान शरणार्थियों को शरण देने का दबाव बन सकता है. देश में मौजूद विपक्षी दल ही सरकार पर इसके लिए दबाव बना सकते हैं. हालांकि देश में कोई शरणार्थी कानून ना नीति साफ नहीं है. भारत पर प्रेशर की एक वजह ये है कि अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों जिसमें पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान ने अफगान शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं. पाकिस्तान ने तो बॉर्डर पार करने की कोशिश कर रहे शरणार्थियों की भीड़ पर गोलियां तक चलवा दीं…जिसमें कुछ लोगों की मौत हो गई. गरीबी और भुखमरी से जूझ रही पाकिस्तानी अवाम अफगान शरणार्थियों की सबसे बड़ी दुश्मन बन गई है. पाकिस्तानी नहीं चाहते कि एक भी अफगानी उनके देश में आए और संसाधनों का बंटवारा हो.
कहां मिलेगी शरण, कौन करेगा मदद
जिस तरह का शरणार्थी संकट आने वाले समय में आता दिख रहा है उसके बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि अफगानियों को कौन से देश शरण देंगे. सवाल इसलिए बड़ा है क्योंकि अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों की हालत आर्थिक तौर पर ऐसी भी नहीं है कि वो हजारों-लाखों की तादाद में शरणार्थियों का बोझ उठा सकें. यही वजह है कि अफगानियों को अमेरिका और पश्चिमी देशों में शरण की बहुत ज्यादा उम्मीद है. खासकर अमेरिका और यूरोप में. बीच में ऐसी खबरें भी आईं कि कुछ अफगानियों को भारत ने निकालना चाहा लेकिन अमेरिका और कनाडा जाने की ख्वाहिश रखने वाले लोगों ने आने में आनाकानी की. लेकिन यक्ष प्रश्न ये है कि दुनिया के अमीर देश आखिर कितने लोगों को शरण देंगे. कोई तो सीमा होगी. लिहाजा विश्व बिरादरी के लिए जितना जरूरी शरण देना है उससे ज्यादा जरूरी है अफगानिस्तान के हालात में स्थिरता लाना ताकि शरणार्थी संकट का पक्का इलाज हो सके.
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