निर्यात बढ़ने का सुकूनभरा दौर

निर्यात बढ़ने का सुकूनभरा दौर

Update: 2021-09-27 10:13 GMT

डा. जयंतीलाल भंडारी।

यदि इन विभिन्न बातों पर सरकार के द्वारा रणनीतिपूर्वक ध्यान दिया जाए और निर्यातकों के द्वारा निर्यात के ऊंचे लक्ष्यों के लिए हरसंभव प्रयत्न किए जाएंगे, तो हम उम्मीद कर सकते हैं कि वित्त वर्ष 2021-22 में वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ेगी और भारत 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर सकेगा…

यकीनन इस समय देश के निर्यात परिदृश्य पर तीन सुकूनभरे बदलाव दिखाई दे रहे हैं। एक, कोरोना संक्रमण के बीच पिछले वर्ष 2020 से तेजी से बढ़ते हुए निर्यात। दो, देश से निर्यात में कृषि निर्यात की बढ़ती हुई भागीदारी और तीन, सरकार के द्वारा निर्यात को रणनीतिक रूप से जो प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं, वे विश्व व्यापार संगठन के निर्यात संबंधी नियमों के प्रतिकूल नहीं हैं। हाल ही में सरकार ने निर्यातकों को प्रोत्साहन देने के लिए दो महत्वपूर्ण योजनाएं घोषित की हैं। इनमें से एक योजना निर्यात की संभावना रखने वाले सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को प्रोत्साहन देने के लिए 'उभरते सितारे' योजना है और दूसरी योजना रेमिशन ऑफ डयूटीज एंड टैक्सेस ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (आरओडीटीईपी) स्कीम है। इसके तहत सरकार द्वारा आगामी तीन वर्ष तक 8555 उत्पादों को तैयार करने वाले निर्यातकों को उनके द्वारा केंद्र, राज्य सरकार तथा स्थानीय निकायों को दिए गए टैक्स का रिफंड दिया जाएगा। खास बात यह है कि आरओडीटीईपी के तहत जो कर छूट दी गई हैं, वे विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप हैं और इन पर कोई आपत्ति नहीं उठाई जा सकेगी। इन दो योजनाओं के अलावा सितंबर 2021 में भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाने हेतु कोई 45 हजार से अधिक छोटे निर्यात कारोबारियों के लिए इस वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत तक 56 हजार 27 करोड़ रुपए की धनराशि का वितरण किया जाना सुनिश्चित किया गया है। निश्चित रूप से इस समय देश से तेजी से बढ़ते हुए निर्यातों को इन नए प्रोत्साहनों से नई गति दी जा सकेगी। गौरतलब है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2021 में भारत से उत्पादों का निर्यात 33.14 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल 2020 की समान अवधि की तुलना में 45.17 फीसदी अधिक है। चालू वित्त वर्ष 2021-22 में अप्रैल-अगस्त के पांच महीनों के दौरान भारत का निर्यात 163.67 अरब डॉलर रहा है, जो एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 66.92 फीसदी अधिक है तथा 2019 की समान अवधि की तुलना में 22.93 फीसदी अधिक है। निर्यात की इस तेज वृद्धि के कारण भारत चालू वित्त वर्ष में अपने 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य का करीब 41 फीसदी मुठ्ठी में कर चुका है।


लगातार पांच महीने से निर्यात में बढ़ोतरी न सिर्फ बेहतर अर्थव्यवस्था का संकेत दे रही है, अपितु यह निर्यात में स्थिरता का भी प्रतीक है। पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग के सामान, फॉर्मा और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में मांग ज्यादा होने की वजह से निर्यात में बड़ी तेजी आई है। उल्लेखनीय है कि सरकार के द्वारा मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से देश के निर्यात बढ़ने लगे हैं। उदाहरण के लिए एक साल पहले देश 8 अरब डॉलर मूल्य के मोबाइल फोन का आयात करता था। अब 3 अरब डॉलर के मोबाइल फोन का निर्यात कर रहा है। यदि हम देश के वर्तमान निर्यात परिदृश्य को देखें तो पाते हैं कि अमेरिका, यूरोप, संयुक्त अरब अमीरात सहित दुनिया के विभिन्न विकसित और विकासशील देशों को निर्यात तेजी बढ़ रहे हैं। यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि कोरोना काल में जब दुनिया के कई खाद्य निर्यातक देश कोरोना महामारी के व्यवधान के कारण कृषि पदार्थों का निर्यात करने में पिछड़ गए, ऐसे में भारत ने इस अवसर का दोहन करके कृषि निर्यात बढ़ा लिया। कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक देश दुनिया के पहले दस बड़े कृषि निर्यातक देशों में चमकते हुए दिखाई दे रहा है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश से 41.25 अरब डॉलर मूल्य के कृषि एवं संबद्ध उत्पादों का निर्यात किया गया। यह सालभर पहले की इसी अवधि के 35.15 अरब डॉलर मूल्य की तुलना में 17.34 फीसदी ज्यादा रहा है।

गौरतलब है कि कोरोना काल में दुनिया के विभिन्न देशों में दिए गए प्रोत्साहन पैकेजों और दुनिया में बाजारों के तेजी से पटरी पर आने से लोगों की मुठ्ठियों में धन बढ़ा है और परिणामस्वरूप भारत से दुनियाभर में विभिन्न उत्पादों के निर्यात की संभावनाएं बढ़ रही हैं। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि देश की अर्थव्यवस्था में निर्यात की भूमिका को प्रभावी बनाने के साथ-साथ निर्यात की प्रचुर संभावनाओं को मुठ्ठियों में करने के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा। गुणवत्तापूर्ण और वैश्विक स्तर के घरेलू विनिर्माण को बढ़ाना होगा। ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स में आने वाली समस्याओं का शीघ्र निराकरण करना होगा। केंद्र व राज्य सरकारों के द्वारा निर्यातकों के लिए समन्वित रूप से काम करना होगा। भारतीय उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार का विस्तार करना होगा। आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना तथा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के कारगर क्रियान्वयन पर अधिक ध्यान देना होगा। यह भी जरूरी है कि सरकार के द्वारा यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों के साथ एफटीए की बातचीत को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। इससे देश के निर्यात में तेजी से वृद्धि होगी। यह भी जरूरी है कि देश से कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए कृषि निर्यात क्षेत्रों में सरकारी और निजी निवेश बढ़ाने, निर्यात से संबंधित प्रमुख फसलों की उत्पादकता और वैल्यूचेन बढ़ाने तथा वैश्विक निर्यात बाजार में कृषिगत वस्तुएं के निर्यात के लिए उचित मूल्य दिलाने हेतु सरकार नई रणनीति के साथ आगे बढ़े। यह भी जरूरी है कि निर्यात प्रतिस्पर्धा के लिए देश में नियामकीय और कारोबारी माहौल में सुधार किया जाए। जीएसटी रिफंड की गति तेज की जाए। जीएसटी का दायरा बढ़ाया जाए।

साथ ही कर व्यवस्था को भी सरल तथा एकीकृत किया जाए। जिस तरह उत्पादों के निर्यात के लिए नई योजनाएं लागू की जा रही हैं, उसी तरह सेवा के निर्यात के लिए भी नई योजना लाई जानी जरूरी है। ऐसी योजना में सेवा निर्यात से संबंधित रिफंड न किए गए करों व शुल्कों को वापस किया जाना सुनिश्चित किया जाना होगा। ऐसी योजना से देश के सेवा निर्यातकों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। सेवा निर्यातों को समर्थन मिलेगा और और रोजगार सृजन भी बढ़ेगा। यह भी उपयुक्त होगा कि सरकार के द्वारा उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के द्वारा हाल ही में प्रस्तुत नई निर्यात रणनीति पर विशेष ध्यान दिया जाए। इस संगठन ने निर्यात बढ़ाने हेतु कृषि एवं खनिज सहित नौ क्षेत्रों के 75 उत्पादों की पहचान की है। कहा गया है कि इन उत्पादों का निर्यात बढ़ाने से भारत के द्वारा वर्ष 2027 तक 750 अरब डालर का निर्यात लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उद्योग संगठन ने इस निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के लिए अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, चीन, मेक्सिको और ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ कई नए देशों के निर्यात बाजारों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई है। यदि इन विभिन्न बातों पर सरकार के द्वारा रणनीतिपूर्वक ध्यान दिया जाए और निर्यातकों के द्वारा निर्यात के ऊंचे लक्ष्यों के लिए हरसंभव प्रयत्न किए जाएंगे, तो हम उम्मीद कर सकते हैं कि वित्त वर्ष 2021-22 में वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ेगी और भारत 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर सकेगा। हम उम्मीद करें कि अब भारत न केवल वस्तुओं के निर्यात के लिए, वरन सेवा क्षेत्र एवं कृषि क्षेत्र के तहत विभिन्न खाद्यान्नों के निर्यात के मद्देनजर भी वैश्विक निर्यात बाजार में चमकीली पहचान बनाते हुए भी दिखाई देगा।


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