एक अलग वैक्सीन संकट

ये खबर चौंकाने वाली है कि भारत को कोविड-19 वैक्सीन के अपने अतिरिक्त स्टॉक का निर्यात करने में दिक्कतें पेश आ रही हैँ

Update: 2021-12-23 04:45 GMT
भारत के पास घरेलू मांग से कहीं ज्यादा मात्रा में कोविड वैक्सीन उपलब्ध है। मगर लॉजिस्टिक्स से जुड़ी दिक्कतों के कारण इसका निर्यात कर पाना मुश्किल हो गया है। पुणे शहर स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ने कुछ समय पहले एलान किया था कि वह एस्ट्राजेनेका के उत्पादन को आधा कर रही है।
ये खबर चौंकाने वाली है कि भारत को कोविड-19 वैक्सीन के अपने अतिरिक्त स्टॉक का निर्यात करने में दिक्कतें पेश आ रही हैँ। फिलहाल भारत के पास घरेलू मांग से कहीं ज्यादा मात्रा में कोविड वैक्सीन उपलब्ध है। मगर लॉजिस्टिक्स से जुड़ी दिक्कतों के कारण इसका निर्यात कर पाना मुश्किल हो गया है। भारत के पुणे शहर स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक कंपनी है। एस्ट्राजेनेका के अलावा वह नोवावैक्स और स्पूतनिक के शॉट्स का भी उत्पादन कर रही है। एसआईआई ने कुछ समय पहले एलान किया था कि वह एस्ट्राजेनेका के उत्पादन को आधा कर रही है। उत्पादन में लाई गई यह कमी तब तक जारी रहेगी, जब तक नए ऑर्डर नहीं आ जाते। उसने कहा था कि टीका लगाने में ज्यादा समय लग रहा है। कुछ देशों ने अब तक अपनी 10 से 15 फीसदी आबादी को ही टीका लगाया है। यानी मांग अभी भी है, लेकिन मासिक खपत के मुकाबले आपूर्ति ज्यादा हो गई है। नीति आयोग से जुड़े विशेषज्ञ विनोद कुमार पॉल ने भी कहा है भारत वैक्सीन देने की स्थिति में है। लेकिन सवाल है कि क्या इसकी मांग है?
अब मुद्दा यह है कि कुछ देशों, खासकर अफ्रीकी मुल्कों के टीकाकरण कार्यक्रम में कैसे तेजी लाई जाए। खबरों के मुताबिक भारत के पास बचे अतिरिक्त कोविड वैक्सीन की एक वजह कोवैक्स भी है। कोवैक्स को गरीब देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया था। उसके पास कोविशील्ड की करीब 55 करोड़ खुराक खरीदने का विकल्प है। लेकिन वह इस खरीद के लिए अब एसआईआई पर निर्भर नहीं रहा। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत ने अप्रैल 2021 में एकाएक वैक्सीन निर्यात पर रोक लगा दी थी। उसके बाद कोवैक्स ने अपने अलग विकल्प ढूंढ लिए। दरअसल, सरकार की ओर से वैक्सीन निर्यात पर लगाई गई रोक के चलते विदेश जाने वाली खेप प्रभावित हुई। जबकि उस समय तक कोवैक्स प्रोग्राम वैक्सीन की वैश्विक आपूर्ति के लिए बहुत हद तक एसआईआई पर निर्भर था। जानकारों ने कहा है कि अगर भारत चाहता है कि वह दुनिया में अग्रणी दवा निर्यातक बना रहे, तो जरूरी है कि वह मुश्किल हालात में भी आपूर्ति जारी रखे। वरना बाकी देश वैकल्पिक निर्यातकों की तलाश कर लेंगे। इस साल अप्रैल-मई में यही हुआ। उस कारण भारत को एक अलग किस्त के वैक्सीन संकट का सामना करना पड़ रहा है।
नया इण्डिया 
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