आफत की बारिश: प्रकृति का रौद्र और इनसानी नादानी
ऐसी आपदा से निपटने के लिये तैयार ही नहीं था
ऐसी आपदा से निपटने के लिये तैयार ही नहीं था। उनके लिये बाढ़ का आना ही अचरज भरा है। चीन में कई बांधों के टूटने के बाद तबाही का जो आलम है, वह दुनिया की नंबर एक ताकत बनने को आतुर चीन को आईना दिखा रहा है। अमेरिका के जंगलों में लगी आग, कनाडा में झुलसाती गर्मी और बर्फानी साइबेरिया में लू के थपेड़ों ने कुदरत के कहर की दास्तां लिखी है। पर्यावरण के प्रति जागरूक बिरादरी और विकासशील देश जिस ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिये विकसित व धनाढ्य देशों से गुहार लगाते रहे, उसकी जमीनी हकीकत ये संपन्न मुल्क अब महसूस कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि विश्वव्यापी कोरोना महामारी के बाद ये आसमानी आफत इनसान को उसके बौने कद का अहसास करा रही है। साथ ही भारत जैसे विकासशील देशों के लिये नसीहत भी है कि ग्लोबल वार्मिंग के आसन्न संकटों से निपटने को शासन-प्रशासन की नीतियों को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित किया जाये।