विमान सेवा उद्योग अंदरूनी समस्याओं से जूझ रहा

Update: 2022-07-29 08:56 GMT

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जब विमान कंपनियों के पास धन की कमी होती है, तो वे अक्सर एक विमान के पुर्जों का इस्तेमाल दूसरे विमानों में करती हैं। इससे सुरक्षा खतरे में पड़ती है। आपात स्थिति में विमान उतारने जैसे मामलों में हुई बढ़ोतरी बताती है कि रखरखाव और निगरानी में कुछ दोष अवश्य हैं।जब से ऊंची श्रेणियों का रेल किराया विमान यात्राओं के लगभग बराबर हुआ है, हवाई यात्रा का विकल्प ही बेहतर समझा जाने लगा है। सड़क हादसों के आंकड़े देखें, तब भी विमान यात्रा ज्यादा सुरक्षित लगती है। लेकिन उड़ते विमान की खिड़की का शीशा चटक जाए, इंजन से लपटें निकलती देख यात्रियों की सांसें अटकने लगें या केबिन से धुआं आने की सूरत में विमानों को आपात स्थिति में दूसरे देशों में उतारने की नौबत आ जाए, तो विमान सेवाओं पर सवाल क्यों नहीं उठेंगे? सुरक्षा से जुड़े ऐसे मुद्दे केवल किसी एक विमानन कंपनी तक सीमित नहीं हैं। हाल में कई कंपनियों के विमानों में उड़ान के दौरान ऐसी गंभीर समस्याएं देखने को मिलीं हैं जो यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद गंभीर हैं।

ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्तियों के मद्देनजर नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) में साफ तौर पर आदेश दे दिए हैं कि अब विमानपत्तनों पर सभी विमानों की जांच एक खास लाइसेंसधारक कर्मचारी ही करेंगे। वही तय करेंगे कि विमान उड़ान भरने योग्य है या नहीं। यही नहीं, खुद डीजीसीए ने भी अपनी ओर से ऐसी जांच शुरू कर दी हैं।
अगर डीजीसीए के हालिया निर्देशों पर गौर करें तो पता चलेगा कि विमान सेवा उद्योग अंदरूनी समस्याओं से जूझ रहा है। हाल में एक निजी विमान कंपनी के कर्मचारियों ने ही विमान निर्माता कंपनी को ही चिट्ठी लिख कर दावा किया कि उसके विमानों का रखरखाव ठीक से नहीं किया जा रहा। यह कारण उचित प्रतीत नहीं होता कि कोरोना काल में करीब दो साल तक हवाई अड्डों में खड़े रहे विमानों में कुछ गड़बड़ियां पैदा हो गर्इं।
जानकारों का मानना है कि विमानों मे छोटी-मोटी दिक्कतें आना आम बात है, लेकिन पिछले कुछ समय में एक के बाद एक ऐसी सूचनाएं मिलना किसी बड़ी गड़बड़ी के संकेत से कम नहीं हैं। डीजीसीए ने एक नियामक की हैसियत से जिन विमान कंपनियों के विमानों की जांच की, उनसे मिले नतीजे खासतौर से रखरखाव में खामियों की ओर इशारा करते हैं। यह भी सामने आया कि विमान सेवा कंपनियों के पास प्रशिक्षत कर्मचारियों की कमी है।
हालांकि डीजीसीए के निर्देशों और जांच के कदमों से कंपनियां दबाव में हैं। इसलिए वे अपनी कमियां छिपाने के लिए कई कारणों का हवाला देती रही हैं।कंपनियों को लग रहा है कि ये निर्देश नए हैं, पहले इनका जिक्र नहीं होता था। या फिर महामारी के दौरान विमानों के खड़े रहने से उनका खर्च बढ़ गया और इस खर्च की भरपाई के लिए उन्हें छूटें नहीं मिल रही है, जिसका असर रखरखाव पर होने वाले खर्च पर पड़ता है।

jansatta

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