डायनासोर (Dinosaurs) के बारे में सबसे ज्यादा जो जानकारी लोगों के पास है, वह यही है कि 6.6 करोड़ साल पहले एक क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकाराने के बाद आए जलवायु परिवर्तन (Cliamte change) से वे विलुप्त हो गए थे. इसी विषय पर सबसे ज्यादा अध्ययन भी हुए हैं. डायनासोर जीवाश्म विज्ञान का एक लोकप्रिय विषय है. उनके विनाश से पहले वे जूरासिक युग में किस तरह से रहा करते थे इस पर भी बहुत अध्ययन होते रहे हैं, लेकिन उनका आगमन किन हालात में हुआ था इस पर बहुत ज्यादा शोध नहीं हुआ है. नए अध्ययन ने खुलासा किया है कि डायनासोर के आगमन (ascendancy of dinosaurs) में अंतरप्रजातीय प्रतिस्पर्धा नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन का ज्यादा योगदान था.
करंट बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दलील दी है कि ट्रियासिक- जूरासिक महाविनाश (Triassic-Jurassic mass extinction) का संबंध वैश्विक जलवायु (Global Climate) में बदलावों से था जिससे बहुत ही जमीनी रीढ़धारी जानवर जैसे आर्माडिलो आदि का सफाया हो गया था. इसी का फायदा शुरुआती डायनासोर (Early dinosaurs) को पनपने में मिल सका था.
मिसाल के तौर पर सॉरोपॉड (Sauropods) जैसे डायनासोर (Dinosaurs), जो बाद में, उत्तर जूरासिक काल में विशाल शाकाहारी प्रजाति (Herbivores) में विकसित हो गए थे, इसी दौर में पनप और पृथ्वी के दूसरे इलाकों में फैल सके थे. इसकी वजह यही थी कि 21 करोड़ साल पहले महाविनाश के बाद पृथ्वी पर्याप्त रूप से गर्म हो गई थी.
शोधकर्ताओं ने तापमान और बारिश जैसे प्रागैतिहासिक वैश्विक जलवायु (Global Climate) हालातों के कम्प्यूटर प्रतिमानों की तुलना अलग-अलग स्थानों के डायनासोर के आंकड़ों से की. इससे वैज्ञानिकों ने इससे दर्शाया कि कैसे सॉरोपॉड (Sauropods) और उनसे संबंधित जीव उद्भव काल (Evolution) के उथलपुथल वाले समय में सफलता की कहानी लिख सके थे.
फ्रेडरिक-एलेक्जेंडर यूनिवर्सिटी एरलैन्जन-न्यूर्नबर्ग (एफएयू) में पेलियेएंटोलॉजी विशेषज्ञ और इस अध्ययन की प्रमुख लेखक ऐमा ड्यून ने बताया कि उन्होंने जो आंकड़ों में देखा उससे पता चलता है कि डायनासोर (Dinosaurs) की कभी दूसरे विशाल रीढ़धारी जानवरों (Vertebrate) से प्रतिद्वंदिता नहीं थी. सामान्य तौर पर प्रतिद्वंदता ही किसी प्रजाति के पनपने और विलुप्त (Extinct) होने की कारण होती है.
डायनासोर (Dinosaurs) के मामले में जलवायु हालात में विविधता के कारण ही उनकी विविधता रुकी हुई थी. लेकिन एक बार ट्रियासिक –जूरासिक काल (Triassic-Jurassic Era) की सीमा के बाद जब हालात बदलने शुरु हुए तब डायनासोर पनपना शुरू हो सके. यह नतीजे कुछ चौंकाने वाले थे क्योंकि बाद में सॉरोपॉड (Sauropods) गर्म इलाकों में रहने और पनपने लगे थे. इसके साथ ही ध्रुवीय क्षेत्रों में रहने से बचने भी लगे थे.
यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम में रीढधारी जीवाश्मविज्ञान के प्रोफेसर और अध्ययन के सहलेखक रिचर्ड बटलर ने बताया कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) वास्तव में शुरुआती डायनासोर (Dinosaurs) के विकास में एक अहम कारक था. अब शोधकर्ता डायनासोर की कहानी के अगले 12 करोड़ सालों में जलवायु (Climate) की भूमिका को समझना चाहते हैं. इसके लिए वह उसी तकनीक का उपयोग करेंगे जो उन्होंने इस अध्ययन में किया था.