जब सिर्फ 1 तरबूज के लिए हुआ था युद्ध, हजारों सैनिकों ने गंवाई थी जान

युद्ध में हजारों सैनिकों ने गंवाई थी जान

Update: 2022-03-31 09:29 GMT
युद्ध कभी किसी का भला नहीं करता. युद्ध में जानें जाती हैं और लोग सिर्फ अपनों को खोते हैं. अभी तक के इतिहास में जितने भी युद्ध हुए हैं, सभी में पावर और दौलत ही वजह दिखाई दी है. लेकिन इतिहास में एक ऐसा युद्ध लड़ा गया था, जो ना ताकत के लिए था ना उसमें पैसा वजह था. इस युद्ध के पीछे वजह था सिर्फ एक तरबूज. जी हां, हिस्ट्री में इस युद्ध को मतीरे की राड़ (Mateere ki Rad) के नाम से जाना जाता है.
मतीरा यानी तरबूज. भारत में हर इलाके में कई फलों के अलग-अलग नाम है. उसी में से राजस्थान में मतीरे का मतलब तरबूज होता है. वहीँ राड़ मतलब लड़ाई. यानी वो लड़ाई जो तरबूज के लिए हुई थी. एक तरबूज के लिए उस समय दो रियासतों के बीच भीषण युद्ध हुआ था, जिसमें हजारों सैनिकों ने अपनी जान गंवाई थी. युद्ध बीकानेर रियासत के सिल्वा गांव और नागौर रियासत के जखनियां गांव के बीच हुई थी.
ये थी वजह
बताया जाता है कि बीकानेर की रियासत में एक तरबूज की बेल थी. इस बेल में एक फल नागौर रियासत की जमीन पर उगा था. यही तरबूज युद्ध की वजह बन गया. बीकानेर रियासत का कहना था कि ये फल उसका है क्यूंकि इसकी बेल की जड़ें उसके रियासत से जाती है. जबकि नागौर का कहना था कि फल उसकी सीमा में ऊगा है. ऐसे में फल पर उसका अधिकार है. इसी बात पर युद्ध छिड़ गया था.
गांववालों ने ही लड़ ली जंग
ये युद्ध दो रियासतों के नाम पर हुई लेकिन सबसे मजेदार बात ये है कि युद्ध के बारे में दोनों ही रियासतों के राजाओं को जानकारी नहीं थी. गांव वालों ने ही आपस में युद्ध लड़ी थी. जब ये युद्ध हो रहा था तब दोनों रियासतें मुग़ल साम्राज्य के अधीन हो चुकी थी. हालांकि, जब तक राजाओं को पता चलता बीकानेर ने जीत हासिल कर ली थी. हालांकि, इस युद्ध में कई हजार सैनिकों ने जान गंवाई थी.
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