जरा हटके: ईस्टर्न स्टेट पेनिटेंटरी को दुनिया की सबसे पहली जेल कहा जाता है. अब इसे बनाया गया तब यह एक आदर्श जेल थी. यह बिल्कुल वैसी ही थी जैसी खूंखार कैदियों के लिए जेल होनी चाहिए. यह जेल कई जेलों के निर्माण के लिए एक मॉडल थी. इसकी विरासत खूंखार कैदियों के लिए ‘पृथ्वी पर नर्क’ कही जाने वाली जगह के रूप में है. कभी इस जेल में दुनिया के सबसे खूंखार कैदी कैद थे लेकिन अब कहा जाता है कि उसमें कई भूतों का ढेरा है.
डेलीस्टार की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राज्य पेंसिल्वेनिया के फिलाडेल्फिया शहर में यह जेल 1829 में खोली गई और 1971 तक चालू रही. यह जेल ने वहां कैद कुख्यात कैदियों के साथ-साथ उन बद से बदत्तर हालातों के लिए फेमस हुई, जिनसे उन्हें गुजरना पड़ा था. शुरुआत में इस जेल को 250 कैदियों के लिए ही बनाया गया था. लेकिन पांच दशकों में यह संख्या बढ़कर 1000 से अधिक हो गई.
जेल में कैसे रखे जाते थे कैदी?
कैदियों के लिए यह जेल नरक से कम नहीं बताई जाती है. एक छोटी सी कोठरी में दो कैदियों को बंद किया जाता था. ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) जैसी संक्रामक बीमारियों के बढ़ने के कारण 1900 के दशक की शुरुआत में इस जेल में बड़े पैमाने पर कैदी की मौतें हुईं. सर्दियों के दौरान तापमान नेगेटिव हो जाता था और खून जमाने वाली ठंड पड़ती थी. इस कारण जेल अधिकारियों को और अधिक कोठरियां बनाने के लिए मजबूर होना, जिनमें से कई को अंडरग्राउंड बनाया गया.
गैंगस्टर अल कैपोन भी रहा कैद
ईस्टर्न स्टेट पेनिटेंटरी से जुड़ी एक उल्लेखनीय घटना 1961 में घटित हुई. जब 800 से अधिक कैदियों ने गार्डों पर उन्हें यातना देने का आरोप लगाने के बाद उन पर हमला कर दिया. बड़ी संख्या में कैदियों के बीच, कुछ कुख्यात अपराधी भी कैद थे, उनमें शिकागो का गैंगस्टर अल कैपोन भी शामिल था. उसने इस जेल में एक साल से भी कम समय बिताया था.
1971 में बंद हो गई यह जेल
ईस्टर्न स्टेट 1971 में बंद हो गया और लगभग 20 सालों तक खाली पड़ा रहा, जीर्ण-शीर्ण हो गया और यहां तक कि ढहती कोठरियों के बीच रहने वाली आवारा बिल्लियों ने भी उस पर कब्जा कर लिया.
हालांकि, 1994 में इस जेल को इतिहास पर्यटन के लिए जनता के लिए फिर से खोल दिया गया. अब इस जेल को अमेरिका के सबसे भूतिया स्थानों में से एक करार दिया गया है. एक टीवी शो ने जेल में पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन की है और अजीब घटनाओं के साथ-साथ डरावनी आवाजें और छायादार आकृतियां पाई हैं, जिन्हें वे समझाने में असमर्थ थे.