तुर्कमेनिस्तान में है आग का गड्ढा, जिसे कहा जाता है नरक का दरवाजा, जानें इसके बारे में

वैज्ञानिकों द्वारा आग लगाने का दावा

Update: 2021-06-27 06:03 GMT

दुनिया में एक जगह है, जिसे 'गेट्स ऑफ हेल' (Gates of Hell) यानी 'नरक का दरवाजा' कहा जाता है. ये जगह पहले सोवियत संघ में शामिल रहे तुर्कमेनिस्तान के उत्तर में स्थित है. तुर्कमेनिस्तान (Turkmenistan) का एक बड़ा हिस्सा रेगिस्तान (Desert) है, जिसका नाम काराकुम है. काराकुम रेगिस्तान 3.5 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसके उत्तर में एक बहुत गड्ढा है, जिसे 'नर्क का दरवाजा' कहा जाता है.




बीबीसी से बात करते हुए कनाडाई एक्सप्लोरर जॉर्ज कोरोनिस ने कहा कि जब मैंने पहली बार इस जगह को देखा और यहां कदम रखा तो गर्म हवा सीधे मेरे चेहरे से टकराई. मुझे लगा मानो खुद शैतान हाथों में हथियार लेकर इस गड्ढे से निकला हो. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस गड्ढे की चौड़ाई 69 मीटर और गहराई 30 मीटर है. कई दशकों से ये आग से भरा गड्ढा इसी तरह धधक रहा है जिसके पीछे का कारण है इससे निकलने वाली मीथेन गैस है.

वैज्ञानिकों द्वारा आग लगाने का दावा


जॉर्ज कोरोनिस नेशनल जियोग्राफिक चैनल की टीम के सदस्य थे जो 2013 में तुर्कमेनिस्तान के इस गड्ढे के पास पहुंची थी. टीम यह पता लगाने गई थी कि आखिर ये आग कब से जल रही है. इसके पीछे एक बेहद प्रचलित कहानी है, जिसके मुताबिक 1971 में सोवियत संघ के भूवैज्ञानिक इस रेगिस्तान में कच्चे तेल के भंडार की खोज कर रहे थे.


वैज्ञानिक एक स्थान पर प्राकृतिक गैसों का भंडार मिला. खोज के दौरान जमीन नीचे धंस गई और तीन बड़े-बड़े गड्ढे बन गए. कहा जाता है कि वैज्ञानिकों को इन गड्ढों के निकलने वाली मीथेन के पर्यावरण में घुलने का डर था इसीलिए उन्होंने इनमें आग लगा दी ताकि कुछ ही हफ्तों में मीथेन खत्म हो जाए और आग बुझ जाए. हालांकि इस कहानी की पुष्टि करने के लिए किसी तरह के दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं.


नहीं उपलब्ध कोई जानकारी

जॉर्ज ने बताया कि 2013 तक स्थानीय लोगों को इस गड्ढे के बारे में नहीं पता था इसीलिए इस गड्ढे के बारे अधिक जानकारी जुटाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि इसके बारे में किसी तरह की आधिकारिक रिपोर्ट और दस्तावेज नहीं मिले. हालांकि अखबारों में इस घटना का जिक्र था लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं मिली.

उन्होंने कहा कि आग लगने के पीछे कई विवाद नहीं हैं. कुछ लोग कहते हैं आग जानबूझकर लगाई गई थी तो कुछ लोग इसे दुर्घटना मानते हैं. वहीं कुछ लोग इसके पीछे बिजली गिरने की घटना को जिम्मेदार बताते हैं. तुर्कमेस्तान की सरकार ने इस आग को बुझाने पर विचार किया था लेकिन ये आग देश के पर्यटन को बढ़ावा दे रही है. हर साल करीब छह हजार सैलानी इसे देखने आते हैं.


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