कम ऑक्सीजन में जीने की खासियत बढ़ा देती है मगरमच्छ की उम्र

पौराणिक काल में कई लोग तपस्या के जरिये अमरता की चाह रखते थे. ये लोग कई तरह के उपाय कर हमेशा के लिए जिंदा रहना चाहते थे

Update: 2022-08-27 09:23 GMT

पौराणिक काल में कई लोग तपस्या के जरिये अमरता की चाह रखते थे. ये लोग कई तरह के उपाय कर हमेशा के लिए जिंदा रहना चाहते थे. लेकिन भगवान ने इंसान को ऐसा कोई वरदान नहीं दिया है. जिस तरह बच्चे का जन्म होता है, उसी तरह एक उम्र के बाद बुढ़ापे को काटने के साथ ही इंसान की मौत हो जाती है. लेकिन शायद अब जो दावा किया जा रहा है, उससे इंसान अमर होने के तरीके ढूंढ सकता है. इस तरीके की चाभी मगरमच्छ के पास है.

पहले के समय में इंसान छोटी-छोटी बीमारियों की वजह से मारा जाता था. कई तरह के इन्फेक्शन भी जाते थे. लेकिन समय ने इन बीमारियों के इलाज एक साथ ही इंसान की इम्युनिटी बढ़ाने के रास्ते भी ढूंढ निकाले. आज ऐसी कई दवाइयां है, जो इंसान के लंबे उम्र की छह को पूरी कर सकती है. अगर बात लुक्स को मेंटेन करने की हो, तो उसके लिए भी कई तरह की सर्जरी है. लेकिन अभी तक अमरता की कोई दवा नहीं मिल पाई है. हालांकि, इस दिशा में कई रिसर्च किये जा रहे हैं. शायद अब इस बात की उम्मीद जागी है कि इंसान अमर हो सकता है.
मगरमच्छ से मिली उम्मीद
एक नए दावे में ये कहा गया है कि आज तक किसी मगरमच्छ की मौत बुढ़ापे के कारण नहीं हुई है. ये मगरमच्छ अगर मरते हैं तो सिर्फ भूख या किसी बीमारी की वजह से. इस दावे के बाद कई लोगों के अमरता की दवा के रिसर्च को लेकर उम्मीदें जागी हैं. दावे के अनुसार मगरमच्छों की मौत ज्यादातर भूख, एक्सीडेंट्स या किसी बीमारी के कारण होती है. इसी की वजह से उनकी उम्र कम होती है. दावे में कई और जानवरों का भी जिक्र किया गया है. इसमें 255 साल के कछुए और 400 साल के शार्क का उदाहरण भी दिया गया है.
नहीं मिल पाई है मगरमच्छों की उम्रसीमा
अमेरिका के फिजिसिस्ट डॉ मिछिओ काकू के अनुसार अभी तक मगरमच्छों की लाइफस्पैन का पता नहीं चल पाया है. जिस तरह से इंसानों और कई अन्य जानवरों की एक एवरेज ऐज होती है, उस तरह इन मगरमच्छों की कोई लाइफ स्पैन नहीं होती. डॉक्टर काकू के मुताबिक़, चिड़ियाघरों में मगरमच्छ की उम्र 70 साल की तय की गई है क्यूंकि उसके केयरटेकर की मौत इतने उम्र में हो जाती है. लेकिन ये मगरमच्छ जिंदा रहते हैं. दावे के मुताबिक़, मगरमच्छ कई कई घंटे बिना ऑक्सीजन के रह लेते हैं. ये पानी में घुले ऑक्सीजन का इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से भविष्य में वो तब भी सर्वाइव कर लेंगे जब पर्यावरण में ऑक्सीजन कम हो जाएगा. फिलहाल इस दावे को लोग अमरता के लिए बनाई जा सकने वाली दवा में इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं. देखना है कि ये रिसर्च कितना कामयाब होगा.सोर्स न्यूज़ 18 


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