इस घाटी में रहने वाले लोग 150 साल तक रहते हैं जिंदा, जानें पूरा रहस्य

दुनिया में कई रहस्य छिपे हुए हैं

Update: 2021-10-07 11:56 GMT

दुनिया में कई रहस्य छिपे हुए हैं। वैज्ञानिक इन रहस्यों के बारे में लगातार जानने की कोशिश कर रहे हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान की एक घाटी भी रहस्यों से भरी हुई है। नॉर्थ पाकिस्तान की हुंजा वैली में लोग 120 साल से लेकर 150 साल तक जिंदा रह सकते हैं, तो वहीं पाकिस्तान में लोगों की औसत आयु सिर्फ 67 साल है। यहां पर हुंजा समुदाय के लोग रहते हैं।

हुंजा वैली में रहने वाले लोगों की सेहत का राज क्या है? यह अभी दुनिया के ज्यादातर हिस्सों तक नहीं पहुंच पाया है। हुंजा समुदाय के लोगों की आयु बहस का विषय भी रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां रहने वाले लोग दुनिया से दूर एक प्रकार के आइसोलेशन में रहते हैं और वह अपनी कुछ खास आदतों की वजह से अधिक सेहतमंद हैं। आखिर पाकिस्तान की इस घाटी के लोग इतने सालों तक कैसे जिंदा रहते हैं यह अभी रहस्य है।
माना जाता है कि इस घाटी में रहने वाले हुंजा समुदाय के लोग ज्यादा उम्र तक बच्चे पैदा कर सकते हैं जो कि असाधारण है। यहां पर न तो लोग कभी बीमार होते हैं और न ही उन्हें कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुताबिक हुंजा समुदाय की महिलाएं 60 से 90 वर्ष की आयु तक गर्भधारण कर सकती हैं। इस दावे पर शायद किसी साधारण व्यक्ति को यकीन हो।
उत्तर पाकिस्तान के बिल्कुल सूनसान इलाके में हुंजा घाटी स्थित है। यहां रहन वाले लोग किसी भी प्रकार का प्रोसेस्ड फूड नहीं खाते हैं। वह सब्जियां, दूध, अनाज और फल खासतौर पर खूबानी को खाते हैं। ग्लेशियर का पानी पीने के साथ-साथ उनके नहाने के काम भी आता है।
लोगों की नहीं होती हैं जानलेवा बीमारियां
हुंजा समुदाय के लोग खूबानी फल को बहुत शौक से खाते हैं। माना जाता है कि इस फल के जूस को पीकर वहां के लोग कई महीनों तक जिंदा रह सकते हैं। खूबानी के बीज में एमीग्डालिन पाया जाता है जो विटामिन बी-17 का सोर्स होता है। इसकी वजह से लोगों को कैंसेर जैसी घातक बीमारियां भी नहीं होती हैं। यह लोग अपने खाने-पीने में कच्चे फल और सब्जियों को प्रमुखता देते हैं। यह लोग मीट कम खाते हैं। यह स्थान बाकी दुनिया से कटा हुआ है और इस वजह से लोगों को साफ हवा भी आसानी से मिलती है।
बताया जाता है कि हुंजा समुदाय के लोग हर दिन नियमित रूप से योगा करते हैं जिसमें सांस लेने की टेक्निक और ध्यान भी शामिल होता है। यहां के लोग एनर्जी मैनेजमेंट और रिलैक्सेशन पर भरोसा करते हैं। लगातार काम करने के बीच यहां के लोग आराम करने को प्राथमिकता देते हैं और इमोशनल स्ट्रेस को बढ़ाने वाली चीजों से दूर रहते हैं।
हाॅलीवुड फिल्म में हुआ है घाटी जिक्र
साल 1930 में हाॅलीवुड फिल्म लॉस्ट होराइजन रिलजी हुई थी जिसमें हुंजा समुदाय का जिक्र था। फिल्म जेम्स हिल्टन के एक नॉवेल पर बनी थी और इसमें शांगरी-ला को पहली बार दिखाया गया था। फिल्म में अंग्रेजी सेना का काफिला चीन से आते समय हिमालय के क्षेत्र में आकर रुक जाता है। फिल्म में स्थानीय लोगों की मुलाकात उस क्रू से होती है और बर्फीले तूफान की वजह से उन्होंने हुंजा में शरण ली।
रहस्यों से भरा है समुदाय
यह समुदाय रहस्यों से भरा हुआ है। माना जाता है कि आज तक यहां पर परियां हैं। लोगों का मानना है कि हुंजा वैली के आसपास आज भी परियां रहती हैं और यह स्थानीय लोगों की बाहरी खतरों से रक्षा करती हैं। भेड़, बकरियां चराने वाले चरवाहों के मुताबिक, ऊंचाई वाली जगहों पर जाने पर परियों की आवाज उन्हें सुनाई देती है। यहां के एक व्यक्ति ने एक इंटरव्यू में बताया था कि परियां इंसानों जैसी ही दिखती हैं और सुनहरे बाल और हरे रंग के कपड़ों में रहती हैं।


Tags:    

Similar News

-->