अजीबोगरीब: आंखों का रंग एक दुर्लभ रोग का हैं वजह

नीली आंखों का जिक्र हमेशा अनोखी सुंदरता के तौर पर किया जाता है। लेकिन इंडोनेशिया जैसे देश में नीली आंखों वाले लोगों का मिलना कोई आसान बात नहीं है।

Update: 2020-10-13 06:07 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नीली आंखों का जिक्र हमेशा अनोखी सुंदरता के तौर पर किया जाता है। लेकिन इंडोनेशिया जैसे देश में नीली आंखों वाले लोगों का मिलना कोई आसान बात नहीं है। इस देश की बहुसंख्यक आबादी के काले बाल और काली आंखें हैं। हालांकि, इंडोनेशिया की एक स्थानीय जनजाति के कुछ सदस्यों की आंखें नीली रंग की चमकती हुई है। लेकिन उनकी ये आंखे सुंदरता की जगह दर्द का सबब है। क्योंकि उनके आंखों का रंग एक दुर्लभ रोग के वजह से बदल गया है।

वॉर्डनबर्ग सिंड्रोम' एक ऐसा रोग है, जिसके वजह से सुनने की क्षमता में कमी आ जाती है और विशिष्ट शारीरिक अंगों के रंग में भी कमी हो जाती है। हालांकि, यह रोग बहुत ही दुर्लभ है। ऐसा माना जाता है कि यह रोग लगभग 42,000 लोगों में से एक व्यक्ति को होता है। यह रोग कई जीनों में बदलाव के कारण होता है, जो भ्रूण के विकास में तंत्रिका शिखा कोशिकाओं के संचालन को प्रभावित करता है। वॉर्डनबर्ग सिंड्रोम होने पर दोनों आंखें या फिर केवल एक चमकदार नीली रंग की हो सकती है।

वॉर्डनबर्ग सिंड्रोम का प्रभाव विशेष रूप से जातीय समूहों में देखा जा सकता है, जिनमें नीली आंखें जैसी विशेषता बहुत दुर्लभ है। इंडोनेशियाई भूविज्ञानी और शौकिया फोटोग्राफी करने वाले कोरचनोई पसारीबू के द्वारा ली गई बूटन जनजाति के सदस्यों की तस्वीरों में आप इनके आंखों के रंगों में आए बदलाव को देख सकते हैं।

Full View

बूटन जनजाति के लोगों का घर इंडोनेशिया के सुलावेसी क्षेत्र में बूटन द्वीप पर स्थित है। इस जनजाति समुह में से कुछ लोग वॉर्डनबर्ग सिंड्रोम से पीड़ित हैं और इनकी  एक या दोनों आंखें बेहद चमकीले नीले रंग की हो चुकी हैं।

कोरचनोई पसारीबू ने पिछले महीने बूटन द्वीप का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से चमकीली नीली आंखों पर फोकस करते हुए जनजातीय लोगों की कुछ तस्वीरें लीं। ये तस्वीरें उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट की हैं, अब ये तस्वीरें वायरल हो रही हैं। बूटन जनजाति के लोगों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी बड़े पैमाने पर साझा हो रही हैं।

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