इस जानवर को एक पत्ती को पचाने में लग जाते हैं महीने... जानें उसके बारे में
दुनिया में विचित्र-विचित्र प्रकार के जानवर (Bizarre Animals) होते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दुनिया में विचित्र-विचित्र प्रकार के जानवर होते हैं. कुछ बहुत तेज होते हैं तो कोई जानवर काफी सुस्त होता है. आज हम आपको एक ऐसे जानवर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे सबसे आलसी जानवर कहा जाता है. इसके आलस का आलम यह है कि यह जिंदगीभर बस एक ही जगह उल्टा लटका रहता है.
इस जानवर का नाम स्लोथ (Sloth) है. यह अपनी जिंदगी का 90 फीसदी हिस्सा उल्टा लटककर गुजार देता है. यहां तक कि यह ज्यादा हिलता-डुलता भी नहीं है. ये उल्टा लटककर ही खाना भी खा लेते हैं. इनके आलसपन की वजह से प्रकृति ने इनकी गर्दन में 10 नेक वेरटेबर दे दिया है. इससे ये अपनी गर्दन 270 डिग्री तक घुमा सकते हैं.स्लोथ का पाचन तंत्र बहुत ज्यादा सुस्त होता है. इतना सुस्त कि यह एक पत्ती खाकर सारा दिन लटका रहता है. एक पत्ती को पचाने में इनके पाचन तंत्र को महीने भर लग जाते हैं. वहीं इनके पेट में एक तिहाई खाना लंबे समय तक बिना पचे ही पड़ा रहता है.
यह जानवर इतना ज्यादा सुस्त है कि अगर कोई खूंखार जानवर इसपर हमला कर दे और अगर इसे जान बचाकर भागना पड़े तो इसकी स्पीड 3 किलोमीटर प्रति घंटा भी नहीं होती है. यह एक मिनट में सिर्फ साढ़े छह फीट ही खिसक पाता है. अगर यह कभी हिलता भी है तो बहुत ही धीरे-धीरे हिलता है.यह इतना ज्यादा सोते हैं कि इनकी मांसपेशियां तनकर स्थिर हो जाती हैं. फिर ये तभी ढीली होती हैं, जब स्लोथ इन्हें जागकर ढीला करता है. इस जानवर के पैर की अंगुलियां अलग-अलग नहीं मुड़ती हैं. वह एक साथ ही मुड़ती और खुलती हैं.
स्लोथ दक्षिण-मध्य अमेरिका में पाया जाता है. यह एक शाकाहारी स्तनधारी जानवर है. इसकी 6 तरह की प्रजातियां धरती पर मौजूद हैं. ये 6 प्रजातियां दो जीववैज्ञानिक कुलों में बंटी हुई हैं. इसमें से एक हैं 2 अंगुली वाले मेगालोनिकिडाए (Megalonychidae) तथा दूसरे हैं 3 अंगुली वाले ब्रैडिपोडिडाए (Bradypodidae).
आमतौर पर स्लोथ जंगलों में पेड़ों पर ही उल्टे लटके रहते हैं, लेकिन माना जाता है कि स्लोथ कभी समुद्र में तैरते रहे होंगे. हालांकि इनकी वह प्रजाति हजारों-लाखों साल पहले विलुप्त हो चुकी है. इनके आलस का आलम ये है कि स्लोथ इसी स्थिति में मादा से संबंध बनाते हैं और ऐसे ही उल्टे लटके हुए मादा बच्चे पैदा करती है.