राजस्थान में गायों के गोबर से बनाए गए 33 लाख दीये, जिसे हवन सामग्रियों से किया गया है तैयार

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के आह्वान पर इस अभियान के तहत यह दीपक लोगों के लिए उपलब्ध कराए गए हैं

Update: 2020-11-12 15:11 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  राजस्थान में बीकानेर संभाग मुख्यालय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत आह्वान का असर इस दीपावली पर ऐसा नजर आ रहा है कि इस बार बाजारों में चीन में बने सामान दिखाई नहीं दे रहे हैं। आमजन का स्वदेशी वस्तुओं के प्रति काफी रूझान देखने को मिल रहा है। इस बार गाय के गोबर से बने दीपकों के प्रति भी लोगों का काफी रुझान नजर आ रहा है। बीकानेर गोशाला संघ के अध्यक्ष सूरजमालसिंह नीमराना ने आज बताया कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के आह्वान पर इस अभियान के तहत प्रदेश के 33 जिलों में 33 लाख गायों के गोबर से बने दीपक लोगों के लिए उपलब्ध कराए गए हैं। इस बार दीपावली पर गौमय दीपक जलाए जाएंगे। बीकानेर में अब तक 15 हजार से ज्यादा दीपक लोग स्वेच्छा से अपने घर ले जा चुके हैं और लगातार इन दीपकों के ऑर्डर भी आ रहे हैं।


उन्होंने बताया कि यह दीपक दो प्रकार के हैं। एक दीपक जो तेल से जला कर सामान्य दीपक की तरह उसे घर में सजाया जाएगा, दूसरा दीपक घर के वातावरण को शुद्ध करने के लिए हवन सामग्री के साथ बना है, उस दीपक को देसी घी से जलाया जाएगा, उससे घर का वातावरण शुद्ध होगा। इस दीपक के जलने से घर में हवन की खुशबू महकेगी। जिससे घर के वातावरण को पटाखों की गैस को कम करने में सहायक होगी। नीमराणा के अनुसार देसी गाय के गोबर से बने दीपक में गोबर के साथ गोंद का उपयोग किया गया है। इसमें 4० प्रतिशत ताजा गोबर और 6० प्रतिशत सूखा गोबर गोंद के साथ मिलाकर यह दीपक बनाए जा रहे हैं। गोबर के साधारण दीपक की कीमत 2 रुपए व हवन सामग्री मिलाकर बनाए गए गोबर के दीपक की कीमत 5 रुपए है। गोबर के दीपक के साथ-साथ गोबर से लक्ष्मी-गणेशजी की प्रतिमा भी बनाई गई है। लक्ष्मी-गणेश प्रतिमा की कीमत 31 रुपए रखी गई है।     

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