केक से लेकर सूअर तक के लिए हो चुकी है दो देशों में जंग
दुनियाभर में कई ऐसे बड़े युद्ध हुए, जिन्होंने कई देशों का भूगोल बदल दिया. इनमें से कुछ युद्ध सीमा विवाद की वजह से तो कुछ खुद को दूसरे देशों से ताकतवर दिखाने की होड़ के कारण हुए
दुनियाभर में कई ऐसे बड़े युद्ध हुए, जिन्होंने कई देशों का भूगोल बदल दिया. इनमें से कुछ युद्ध सीमा विवाद की वजह से तो कुछ खुद को दूसरे देशों से ताकतवर दिखाने की होड़ के कारण हुए. लेकिन इतिहास में हुआ हर युद्ध सिर्फ पैसे या जमीन के लिए ही नहीं, बल्कि बहुत सी ऐसी छोटी चीजों के लिए भी हुए जिनके बारे में सोचने पर वे शायद बेवकूफीभरे और बेवजह लगेंगे. यह युद्ध कुछ ऐसी चीजों के लिए हुए जिसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे या शायद हसेंगे. आज हम ऐसी ही कुछ बेवकूफियों की चर्चा करेंगे, जिसने युद्धों की शक्ल ले ली.
... सन् 1821 में स्पेन से आजादी पाने के बाद से ही मेक्सिको राजनीतिक रूप से अस्थिर रहा. ऐसे में अस्थिरता बढ़ने की वजह से कई बार सेना और विद्रोहियों के बीच लड़ाई हुई, जिसकी आग राजधानी मेक्सिको सिटी तक भी पहुंची. उस दौरान शहर में मौजूद एक फ्रेंच पेस्ट्री की दुकान पूरी तरह बर्बाद हो गई. घटना के बाद फ्रेंच पेस्ट्री का मालिक बहुत नाराज हुआ और उसने मैक्सिकन सरकार से अपनी बर्बाद दुकान की भरपाई करने की मांग की. चूकि देश गृहयुद्ध की वजह से झुलस रहा था, ऐसे में सरकार ने बेकर की मांग को नजरअंदाज कर दिया. ऐसे में बावरची ने सीधे फ्रेंच के राजा से मदद की गुहार लगाई. मदद की सूचना मिलने के बाद फ्रांस के राजा ने मेक्सिकन सरकार को पेस्ट्री ऑनर के नुकसान का भुगतान करने का आदेश दिया, जिसे सरकार ने देने से इनकार कर दिया. इसके बाद वर्ष 1838 में ही फ्रांस नौसेना ने अमेरिका से मदद में मिले जहाजों से मैक्सिको की खाड़ी में नाकाबंदी करना शुरू कर दिया. जब नाकेबंदी से कोई ठोस परिणाम नहीं निकले तो फ्रांस ने मैक्सिको पर बमबारी शुरू कर दी. बेहतर तरीके से संगठित होने की वजह से कुछ दिनों के भीतर फ्रांस ने मैक्सिको की नौसेना पर कब्जा कर लिया, लेकिन जमीन पर मैक्सिको की सेना मजबूती से अड़ी रही. 4 महीनों तक चले इस युद्ध में जब मैक्सिकन सरकार ने फ्रेंच पेस्ट्री के ऑनर को मुआवजा देने को राजी हो गया तब फ्रांस कि सेना वापस लौट गई.
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सन जुआन टापू को अमेरिका और ब्रिटेन दोनों अपना हिस्सा बताते थे. वहां दोनों देशों के लोग रहते थे और उनका क्षेत्र निर्धारित था. लेकिन 1859 में चीजें तब बदल गईं जब टापू के अंग्रेज़ों के इलाकों से निकलकर एक अनजान सूअर अमेरिकी इलाकों में दाखिल हो गया और अमेरिकी किसानों के खेत में घुसकर आलू खाने लगा. फसल की बर्बादी देख खेत के अमेरिकी मालिक ने गुस्से में सूअर को गोली मार दी. ऐसे में ब्रिटिश अधिकारियों ने अमेरिकी किसान से सूअर मालिक को 10 डॉलर (लगभग 795 रुपए) मुआवजा देने को कहा. हालांकि, सूअर का मालिक इससे खुश नहीं हुआ और उसने ब्रिटिश ऑथोरिटी के सामने अमेरिकी किसान पर 'हत्या' का मामला दर्ज करवा दिया, जिसके बाद अमेरिकी किसान पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी. ऐसे में अमेरिकी किसान ने यूएस मिलिट्री से अपनी सुरक्षा की मांग की, जिसके बाद अमेरिका की 9वीं इंफैंट्री बटालियन टापू के पास पहुंच गई, जिसके जवाब में ब्रिटेन ने भी अपनी 3 युद्धपोत को इलाके की तरफ भेजा. ब्रिटिश सरकार ने अपने फौजियों को अमेरिकी सेना से युद्ध का आदेश दे दिया, लेकिन एडमिरल रॉबर्ट बायन्स (Admiral Robert Baynes) ने ऑर्डर मानने से इनकार कर दिया और कहा कि एक सूअर की वजह से वे दो महान देशों को लड़ने नहीं दे सकते.
अशांति किंगडम, जो फिलहाल मॉडर्न घाना का हिस्सा है, कभी ब्रिटिश सम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था. 1896 में जब वहां के राजा प्रेमपेह (King Prempeh) ने अंग्रेजों के अधिन काम करने से इनकार कर दिया तो ब्रिटिश ने बलपूर्वक उनके सम्राज्य को अपने संरक्षण में ले लिया. हालांकि, अशांति सम्राज्य के लोग आसानी से हार नहीं मानने वाले थे और लगातार अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते रहे. उस दौरान अशांति सम्राज्य में एक गोल्डेन स्टूल हुआ करता था, जिसे सत्ता का प्रतीक माना गया. ऐसा माना गया कि अशांतियों के पहले राजा के चरणों में यह स्टूल आसमान से गिरा, जिसे अशांति राष्ट्र की आत्मा कहा गया. इस पर बैठने का अधिकार किसी को नहीं था. लेकिन सन् 1900 में गोल्ड कोस्ट के ब्रिटिश गवर्नर सर फ्रेडरिक हॉगसन (Frederick Hodgson) ने इस पर बैठने का फैसला किया. इसके बाद अशांति लोगों और ब्रिटश सेना में जंग शुरू हो गई, जिसमें 2000 अशांति लोग और 1000 ब्रिटिश सेना के लोग मारे गए. यह युद्ध 6 महीने तक चला था. ऐसे में क्वीन मदर और गेट कीपर या असांतेवा ने कुर्सी को अपने कब्जे में लेकर छुपा दिया. इसके बाद इस स्टूल का कुछ पता नहीं चला. हालांकि, सालों बाद इसे सेरेमोनियल होम में संग्रहित कर दिया गया.
साल 1325 में इटली दो भागों में बंटा हुआ था. एक भाग रोम के राजा को सर्वोपरि मानता था तो एक हिस्सा पोप को समर्पित था. दोनों ही पक्षों के बीच पिछले 200 सालों से विवाद चल रहा था, जिसके चलते दोनों के बीच अक्सर छोटी-छोटी बातों पर हिंसा शुरू हो जाता था. आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि 1325 में हुई भिड़ंत, जिसमें हज़ारों लोगों की जान चली गई थी वह विवाद एक लकड़ी की बाल्टी को लेकर शुरू हुआ था. पास के दो कस्बों मोडेना (राजा समर्थित) और बोलोग्ना (पादरी समर्थित) के लोग भी राजा और पादरी के पक्षों में बंट गए. राज्य में विवाद बढ़ता देख नाराज मोडेना के शासक ने बोलोग्ना पर हमला बोल दिया. विवाद में दोनों ही पक्षों ने एक-दूसरे के इलाकों को तहस-नहस कर दिया. इस बीच मोडेना के सैनिकों को बोलोग्ना क्षेत्र में कुएं पर एक बाल्टी मिली, जिसे वे अपने साथ लेकर चले गए. इसके बाद बाल्टी वापस पाने के लिए पोप समर्थित बोलोग्ना ने मोडेना के खिलाफ युद्ध घोषित कर दिया. पोप ने बोलोग्ना के समर्थन में युद्ध के लिए 30,000 सैनिक और 2000 घुड़सवार सैनिकों की टुकड़ी भेजी, जिसके जवाब में राजा ने भी युद्ध के लिए 5000 सैनिक और 2000 घुड़सवार भेजे. काफी महीनों तक चली इस लड़ाई में 2000 से ज्यादा सैनिकों की जान चली गई और मोडेना की आखिरकार जीत हुई.
हर 4 वर्षों के बाद सॉकर के प्रशंसकों के बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़ जाती है, लेकिन कई बार यह कुछ ज्यादा ही गंभीर रूप ले लेती है. वर्ष 1969 में कुछ ऐसा ही वाकया हुआ, जब 1970 में होनेवाले फुटबॉल विश्व कप में क्वालिफाई करने के लिए हॉन्ड्यूरस और एल-सेल्वाडॉर एक दूसरे के खिलाफ खेल रहे थे. पहले चरण में हॉन्ड्यूरस ने एल-सेल्वाडॉर को 1-0 से हरा दिया, लेकिन दूसरे चरण में एल सेल्वाडोर ने हॉन्ड्यूरस को उनके घर में 3-0 से हराकर हिसाब बराबर कर लिया. इस हार की वजह से हॉन्ड्यूरस के लोगों ने अपने आस-पास रह रहे एल-सेल्वाडॉर के लोगों को पीटना शुरू कर दिया. एल-सेल्वाडॉर सरकार ने हॉन्ड्यूरस सरकार से इस मामले में कड़े कदम उठाने की मांग की, लेकिन उचित कार्रवाई नहीं होने की वजह से एल-सेल्वाडोर के एयर फोर्स ने हॉन्ड्यूरस पर बमबारी शुरू कर दी. हालांकि, 4 दिन की लड़ाई के बाद एल-सेल्वाडोर ने सैनिकों को वापस लेने का फैसला किया. घटना में दोनों ही देशों के तकरीबन 2000 लोग मारे गए और हॉन्ड्यूरस में रहने वाले तकरीबन 3,00,000 सेल्वाडोरियंस को उनके घरों से बेघर कर दिया गया.