ऑटोरिक्शा को एम्बुलेंस में किया कन्वर्ट, कोरोना महामारी में मसीहा बना यह ड्राइवर

ऑटोरिक्शा को एम्बुलेंस में किया कन्वर्ट

Update: 2021-05-24 07:49 GMT

देश में चल रहे कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर में हमें बहुत से अच्छे लोग देखने को मिले हैं जो लगातार अपनी जान को जोखिम में डालकर दूसरों की मदद कर रहे हैं. ऐसा ही कुछ केरल के वेल्लूर में रहने वाले प्रेमाचंद्रन ने किया है. उन्होने अपने ऑटोरिक्शा को मिनि एम्बुलेंस में कन्वर्ट कर दिया और अब तक कोरोना के लक्षण वाले 500 से ज्यादा लोगों की मदद कर चुके हैं.

प्रेमचंद्रन हॉस्पिटल पर लोगों को पहुंचाने के बाद अपने रिक्शा को अच्छे से सेनेटाइज करते हैं. उन्होने अपने ऑटो को प्लेक्सिग्लास बैरियर्स से तीनो साइड से कवर कर रखा है जिससे अगर कोई उस ऑटोरिक्शा के करीब आए तो वो कोरोना से प्रभावित न हो. इसके अलावा यह शीट उन्हें भी वायरस के टच में आने से बचाती है.

यहां से हुई लोगों की मदद करने की शुरुआत
जहां इस दौर में लोग किसी को हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं वहीं प्रेमाचंद्रन इस बात की पुष्टि करते हैं वो लोगों को उनके जगह पर समय पर पहुंचा सकें. उनका कहना है कि इस सब की शुरुआत तब हुई जब वे Covid-19 से पीड़ित एक प्रेग्नेंट महिला और एक खाड़ी देशों से आए व्यक्ति को लेकर जा रहे थे.
इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और लोकल लोगों ने उनसे लॉकडाउन में परेशान लोगों कों हॉस्पिटल पहुंचाने की मदद मांगी. ANI की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि, "COVID-19 के लक्षण वाले खाड़ी देश से आने वाले व्यक्ति को राइड देने के बाद और लोगों ने भी मुझे कॉल करना शुरू कर दिया. आशा वर्कर्स और लोकल अथॉरिटी के लोगों ने मुझे उन लोगों के ट्रिप्स दिलवाए जिन्हें लॉकडाउन के दौरान अस्पताल जाने की जरूरत थी. ज्यादातर लोगों के COVID-19 के लक्षण थे इसलिए लोग उन्हें ले जानें से मना कर रहे थे.
30 साल से रिक्शा चला रहे है प्रेमाचंद्रन
प्रेमाचंद्रन 30 साल से ऑटोरिक्शा चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मुश्किल की घड़ी में ये ट्रिप्स उनके लिए लोगों की सेवा करने का मौका है. इसके साथ उन्हें इस बात पर भी गर्व है कि उनका परिवार उनका साथ दे रहा है.
बता दें कि हाल ही में एक ऐसा ही मामला भोपाल से भी सामने आया था जहां जावेद खान नाम के एक ऑटो ड्राइवर ने अपने ऑटो को मिनि एम्बुलेंस में कन्वर्ट कर दिया था और वो लॉकडाउन के दौरान उन लोगों की मदद कर रहे थे जिन्हें हॉस्पिटल पहुंचने में दिक्कत हो रही थी.
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