Black Hawk ने की कामयाब लैंडिंग, हेलीकॉप्टर बिना पायलट के ही उड़ा, जानिए इसकी और भी खासियत
Black Hawk ने की कामयाब लैंडिंग
दुनिया में तकनीक और युद्ध शस्त्रों के मामले में कोई भी अमेरिका का मुकाबला नहीं कर सकता. इस बात को एक बार फिर साबित कर दिया है अमेरिकन हेलीकॉप्टर Black Hawk ने, जिसने बिना पायलट के ही आसमान में कामयाब उड़ान (Helicopter Flies Without Pilot ) भरी है. इस ऐतिहासिक उड़ान के साथ ही ऑटोमेशन और वॉरफेयर के क्षेत्र में अमेरिका ने नया अध्याय रच दिया है.
ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर (Black Hawk helicopter ) को अमेरिका के केंटुकी शहर में उड़ाया गया. ये हेलीकॉप्टर 5 फरवरी को लगभग 4000 फीट की ऊंचाई पर उड़ा और इसकी रफ्तार 115 से 125 मील प्रति घंटा थी. इस एक्सपेरिमेंट फ्लाइट को कम्प्यूटर सिमुलेशन के ज़रिये एक वर्चुअल सिटी बनाकर उड़ाया गया. इसमें कुछ बिल्डिंग्स और बाधाएं बनाई गई थीं, जिन्हें ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर (Black Hawk helicopter ) ने बेहद कुशलता से पार करते हुए अपनी उड़ान पूरी कर ली.
Black Hawk ने की कामयाब लैंडिंग
हेलीकॉप्टर की पायलट लेस उड़ान के लिए खास तौर पर कुछ इमेजनरी चीज़ें बनाई गई थीं. इन सभी बाधाओं और रुकावटों को पार करते हुए ब्लैक हॉक ने पायलट रहित टेस्ट को सफलता से पूरा किया और कामयाब लैंडिंग की. डिफेंस सेक्टर में अमेरिका को मिली ये सबसे बड़ी कामयाबी है. पहले भी युद्ध में अमेरिका के ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर्स अहम भूमिका निभाते रहे हैं, जिनकी तेज़ रफ्तार रडार के ज़रिये भी इंटरसेप्ट नहीं हो पाती. अब इनका पायलट रहित हो जाना युद्ध में और भी ज्यादा फायदेमंद साबित होगा. ऐसे में प्रतिद्वंदी देश रूस और चीन का इस कामयाबी पर रश्क करना और परेशान होना तय है.
इसकी और भी खासियत जानिए
तेज़ रफ्तार हेलीकॉप्टर्स में शुमार ब्लैक हॉक 357 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ान भर सकता है. इसकी ऑपरेशनल रेंज 583 किलोमीटर है. इसमें जनरल इलेक्ट्रिक का T-700-GE-701C/D टर्बोशॉफ्ट इंजन है और ये अपने साथ 9979 किलोग्राम वजन के साथ उड़ान भर सकता है. ये दो पायलट के साथ उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन अब अमेरिका इसे बिना पायलट उड़ा चुका है. इस एक हेलीकॉप्टर की कीमत 21300000 डॉलर है. ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर दुनिया में कई देशों के पास है. दिलचस्प बात ये है कि अफगानिस्तान में तैनात 2 ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर तालिबान के पास भी हैं, जिन्हें उन्होंने अफगानी इंजीनियर्स की मदद से चलने लायक बना लिया है.