आखिर क्यों फटा था Tonga Volcano, पूरी धरती को हिलाने वाले ज्वालामुखी विस्फोट की पता चली वजह
पूरी धरती को हिलाने वाले ज्वालामुखी विस्फोट की पता चली वजह
पूरी धरती को हिला देने वाले इस ज्वालामुखी का नाम है टोंगा (Tonga Volcano). यह न्यूजीलैंड के पास दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित है. यह जब फटा तब इसकी आवाज 2300 किलोमीटर दूर तक स्पष्ट सुनाई दी थी. यानी दिल्ली में धमाका हो तो चेन्नई तक आवाज चली जाए. पहले यह समझते हैं कि आखिर इस ज्वालामुखी के विस्फोट से क्या-क्या घटनाएं हुईं?
Tonga ज्वालामुखी फटा तो क्या हुआ?
ज्वालामुखी विस्फोट के बाद 58 किलोमीटर ऊपर तक राख और धुएं का गुबार गया. विस्फोट के बाद मशरूम जैसी आकृति बनी. धरती के चारों तरफ दो बार शॉकवेव दौड़ी. 4 फीट ऊंची लहरों की सुनामी आई. तत्काल इसका असर 250 किलोमीटर तक दिखाई दिया. समुद्र में एक बड़ा गड्ढा बन गया जिससे सुनामी को ताकत मिली. विस्फोट और उसकी लहर अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे सैटेलाइट्स ने भी कैद किया. विस्फोट के बाद ज्वालामुखी का समुद्र के ऊपर निकला हुआ ज्यादातर हिस्सा पानी में समा गया.
क्यों फट पड़ा Tonga Volcano?
असल में जिस दिन इसमें भयानक विस्फोट हुआ. उससे एक दिन पहले इसके अंदर छोटे-छोटे विस्फोट हो रहे थे. जैसे किसी बम की सुतली में आग लगा दो...तो वह धीरे-धीरे सुलगती रहती है. और फिर बम अचानक से फट पड़ता है. इन छोटे-छोटे विस्फोटों की वजह से ज्वालामुखी का मुख्य वेंट बंद हो गया. समुद्र के अंदर गर्म लावा और गैस का गुबार पनप रहा था. दबाव बन रहा था. एक महीने से चल रही इस प्रक्रिया से दबाव बढ़ता जा रहा था. मैग्मा का तापमान 1000 डिग्री सेल्सिय पहुंच गया था. जैसे ही वह 20 डिग्री सेल्सियस वाले समुद्री पानी से मिला, ज्वालामुखी को दबाव रिलीज करने की जगह मिल गई और विस्फोट हो गया.
उस समय क्या हो रहा था समुद्र और वायुमंडल में
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की वॉल्कैनोलॉजिस्ट मेलिसा स्क्रग्स ने कहा कि समुद्र के अंदर तेजी से गर्म पिघले पत्थर पानी से मिल रहे थे. भाप बन रहा था. इसकी वजह से दबाव तेज बनता जा रहा था. भाप में बदलते समुद्री पानी ने लावा को राख में बदलने में मदद किया. राख जब उड़ती हुई 58 किलोमीटर गई तो उसमें मौजूद आइस क्रिस्टल्स ने बादलों को चार्ज कर दिया. बस यहीं शुरु हुई कड़कड़ाती हुई बिजलियों की बारिश. इस समय 80 फीसदी ज्यादा बिजलियां आसमान से ज्वालमुखी के ऊपर गिर रही थीं.
क्या-क्या निकला इस ज्वालामुखी विस्फोट से
मेलिसा स्क्रग्स ने बताया कि ज्वालामुखी विस्फोट के बाद 290 करोड़ मीट्रिक टन गर्म पदार्थ ज्वालामुखी से निकला. इसमें से आधे तो अंतरिक्ष में चले गए. जिसकी वजह से धरती के चारों तरफ तेज शॉकवेव महसूस किया गया. वह भी दो बार. शुरुआती दो घंटे काफी ज्यादा भयावह थे. यह फिलिपीन्स के माउंट पिनाटुबो में साल 1991 में हुए विस्फोट के बाद सबसे भयावह विस्फोट था.
विस्फोट से वैज्ञानिक क्यों थे परेशान?
स्मिथसोनियन ग्लोबल वॉल्कैनिज्म प्रोग्राम की ज्वालामुखी एक्सपर्ट जैनिन क्रिपनर ने कहा कि जब ज्वालामुखी का वेंट यानी धरती से अंदर से जुड़ी हुई नली पानी के अंदर होती है तो उसके बारे में समझ पाना मुश्किल होता है. उस समय वैज्ञानिकों के पास काफी कम जानकारी थी. जिसकी वजह से ज्यादा सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती थी. यह स्थिति बेहद डरावनी होती है. क्योंकि शॉकवेव सिर्फ जमीन या समुद्र में नहीं थी. इसका असर वायुमंडल में भी था. यह शॉक वेव आवाज की गति से पूरी धरती पर फैली थी.
ज्वालामुखी फटा, 3 घंटे में 4 लाख बार बिजली गिरी
अमेरिकी मौसम विज्ञानी क्रिस वागास्काई ने ज्वालामुखी विस्फोट से पहले, दौरान और बाद में बिजली गिरने (Lightning Strike) की घटनाओं की गणना की. आम दिनों की तुलना में विस्फोट से पहले ही Tonga ज्वालामुखी के आसपास 30 हजार ज्याद बिजलियां गिरीं. विस्फोट के बाद अगले तीन घंटे तक यहां पर 4 लाख से ज्यादा बार बिजली गिरी. जो बाद में कम होकर 100 बिजली प्रति सेकेंड हो गई. इससे पहले इतनी ज्यादा बिजली गिरने की घटना जावा के अनक क्राकाटाउ ज्वालामुखी में देखी गई थी. वहां पर हर घंटे 8000 बार बिजली गिर रही थी.
किस सैटेलाइट ने देखा Tonga विस्फोट?
टोंगा ज्वालामुखी (Tonga Volcano) हुंगा टोंगा-हुंगा हापाई द्वीप पर स्थित है. जिसे सबसे पहले GOES वेस्ट अर्थ ऑब्जर्विंग सैटेलाइट ने देखा. इस सैटेलाइट को अमेरिका का नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) संचालित करता है. सैटेलाइट ने देखा कि विस्फोट के बाद राख और धुएं का तेज गुबार आसमान की ओर उछला.
कहां है Tonga ज्वालामुखी?
हुंगा टोंगा-हुंगा हापाई द्वीप के आसपास 170 द्वीप है. जो दक्षिण प्रशांत महासागर में टोंगा द्वीपों का एक साम्राज्य बनाता है. इस विस्फोट की वजह से टोंगा की राजधानी नुकुआलोफा में 4 फीट ऊंची सुनामी आ गई. जो इस ज्वालामुखी से करीब 65 किलोमीटर दूर है. पूरे प्रशांत महासागर में एक सोनिक बूम सुनाई दिया. यह आवाज अलास्का तक पहुंची.
पहले भी हो चुका है विस्फोट
यह विस्फोट 15 जनवरी 2022 को हुआ था. इसके पहले 13 जनवरी 2022 और 20 दिसंबर 2021 को विस्फोट हुआ था. इनकी तस्वीरें भी GOES सैटेलाइट ने ली थीं. इस बार जो विस्फोट हुआ वो दिसंबर वाले विस्फोट से सात गुना ज्यादा ताकतवर था. इसका धुआं सीधे धरती के वायुमंडल में पहुंच गया. न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डेन ने समाचार एजेंसी एपी को बताया कि उनके साइंटिस्ट इसका अध्ययन कर रहे हैं. उनकी मिलिट्री सर्विलां