एक साथ 1 फ्रेम में फिट हो गई 5 पीढियां, 4 जेनेरेशन्स वाले परिवारों ने दिए ऐसे रिएक्शन
1 फ्रेम में फिट हो गई 5 पीढियां
जिस दौर में किसी परिवार में अपने दादा-बाबा तक को देखना नसीब नहीं हो पाता ऐसे में कई पीढियों का साथ होना नसीब की ही बात मानी जाएगी. अपने नाती-पोतों के साथ खेलना कौन नहीं चाहता मगर सोचिए उनकी खुशी कितनी होगी जो अपने पोते के पोते को भी गोद में खेला ले.
सोशल साइट ट्विटर पर ऐसा ही वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक साथ एक खानदान की 5 पीढियां नज़र आईं. वो भी पूरी तरह टकाटक हालत में. ये वीडियो अपने ट्विटर पर शेयर किया फेमस बिज़नेस आनंद महिन्द्रा ने. वीडियो पर कैप्शन भी दिया जिसकी कुछ बाते ये थी की 5 पीढी का एक साथ होना नसीब की बात है. वीडियो तेज़ी से वायरल हुआ और एक दिन में ही करीब 2 लाख से ज्यादा व्यूज़ के साथ 15 हज़ार के ऊपर कमेंट्स मिले हैं.
पोता-पापा, दादा-परदादा ही नहीं परदादा के पापा भी साथ
5 जेनेरेशन वाले वीडियो को देखने के बाद कई और लोगों ने अपने-अपने परिवार की तस्वीरें साझा कि जहां 4 या 5 पीढ़ियां अभी ज़िंदा हैं. दरअसल ऑनंद महिंद्रा ने वीडियो के साथ लिखा था कि काश उन्हें भारत में भी ऐसी तस्वीर या वीडियो नसीब होता जहां एक साथ इतनी पीढ़िया ज़िंदा हों. इसी के जवाब में यूज़र्स कूद पड़े और 4 और 5 जेनेरेशन वाले परिवार के लोगों ने तस्वीरें साझा करना और ब्योरा देना शुरु कर दिया. साथ ही सबने ये भी बताया कि 4 पीढ़ियों का एक साथ एक ही परिवार में ज़िंदा होना इतना भी दुर्लभ नहीं है जितना महिंद्रा साहब बताने की कोशिश कर रहे हैं.
जवाब में 4 जेनेरेशन्स वाले परिवारों ने दिए ऐसे रिएक्शन
आनंद महिद्रा ने जो वीडियो शेयर किया था भारत का नहीं था. इसीलिए उन्होंने भारत में ऐसी तस्वीर देखने की प्रबल इच्छा जताई थी. जिस पर लोगों की प्रतिक्रिया देखकर तो लगता है कि अब उनकी ये इच्छा पूरी हो गई होगी. आपको बता दें कि कई पीढियों का होना. या दादा परदादा का ज़िंदा होने के पीछे एक और फैक्टर है देश की अर्थव्यवस्था. माना जाता है कि विकसित देशों में बुज़ुर्गों की संख्या ज्यादा होती है. वहां एज रेशियो विकासशील और अर्धविकसित देशों की तुलना में ज्यादा होता है. वजह है विकसित देशों की सुविधाएं और मेडिकल ग्रोथ जिसके चलते गंभीर बीमारियों के बाद भी इंसान को बचा पाना आसान है. आर्थिक तौर पर मजबूती महंगे इलाज का भार सहन करने में सक्षम बनाती है. साथ ही जनसंख्या कम होने से वहां पर्यावरण भी अपेक्षाकृत साफ होता है, जो लॉन्ग लाइफ देता है. भारत को युवाओं का देश कहा जाता है. कुछ प्रतिशत को छोड़ दें तो वाकई यहां 10 में से 1 या 2 परिवार ही ऐसे होंगे जहां 3-4 पीढियां नज़र आ जाएं.