मानव बलि के लिए मासूम का अपहरण करने वाली महिला गिरफ्तार, बच्चा सुरक्षित

Update: 2022-11-12 15:58 GMT
नई दिल्ली, (आईएएनएस)| दिल्ली पुलिस ने 25 वर्षीय एक महिला को गिरफ्तार किया है, जिसने अपने मृत पिता को 'जीवित' करने के लिए मानव बलि देने के लिए दो महीने के बच्चे का अपहरण किया था। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। आरोपी की पहचान कोटला मुबारकपुर निवासी श्वेता के रूप में हुई है। पुलिस उपायुक्त (दक्षिणपूर्व) ईशा पांडेय के मुताबिक, गुरुवार को शाम करीब चार बजे अमर कॉलोनी थाने में सूचना मिली कि एक अज्ञात महिला द्वारा एक नवजात का अपहरण कर लिया गया है।
पुलिस उपायुक्त ने बताया, जांच के दौरान पाया गया कि शिशु के परिवार के सदस्यों ने सफदरजंग अस्पताल में एक महिला से मुलाकात की थी, जिसने खुद को बच्चे की देखभाल के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन की सदस्य के रूप में पेश किया था।
अधिकारी ने कहा, "उसने मां और बच्चे के लिए मुफ्त दवा और परामर्श देने का वादा किया। वह शिशु की जांच के बहाने उनके घर भी गई। गुरुवार को महिला दूसरी बार उनके घर आई और बच्चे की मां से पूछा कि क्या वह बच्चे को कुछ देर के लिए बाहर ले जा सकती है। शिशु की मां ने अपनी 21 वर्षीय भतीजी रितु को महिला के साथ जाने के लिए कहा।"
अधिकारी ने कहा, महिला फिर बच्चे और रितु को अपनी कार में घुमाने के लिए ले गई। कुछ देर बाद, महिला ने रितु को कोल्ड ड्रिंक पिलाई, जिसे पीने के बाद वह बेहोश हो गई। इसके बाद महिला ने रितु को गाजियाबाद में छोड़ दिया, जिसने होश में आने के बाद अपने परिवार को बताया कि बच्चे का अपहरण कर लिया गया है। इसके बाद पीसीआर कॉल की गई।
पांडेय ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद अपहर्ता की गाड़ी का पता लगा लिया गया और उसका पता तथा अन्य जानकारियां हासिल की गईं। इसके बाद पुलिस ने उस स्थान पर छापेमारी की, लेकिन वहां महिला नहीं मिली।
डीसीपी ने कहा, जानकारी मिली थी कि वह कोटला मुबारकपुर में आर्य समाज मंदिर के पास आएगी, जिसके बाद एक पुलिस टीम ने उस स्थान पर छापा मारा और श्वेता को पकड़ लिया। शिशु को सुरक्षित बरामद कर लिया गया।
पूछताछ में श्वेता ने खुलासा किया कि उनके पिता की पिछले महीने मौत हो गई थी। अधिकारी ने कहा कि उसका अंतिम संस्कार करते समय उसे पता चला कि एक ही लिंग के शिशु का मानव बलिदान उसके पिता को पुनर्जीवित कर सकता है और उसे वापस जीवन में ला सकता है।
डीसीपी ने कहा, इस अंधविश्वास को अंजाम देने के लिए उसने इलाके में एक नवजात लड़के की तलाश शुरू की। इसके लिए वह सफदरजंग अस्पताल के प्रसूता वार्ड में गई और खुद को बच्चे की देखभाल के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन की सदस्य के रूप में पेश किया।
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