केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ स्टे ऑर्डर के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे : केजरीवाल
नई दिल्ली (आईएएनएस)| दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ समाजवादी पार्टी भी राज्यसभा में आम आदमी पार्टी का समर्थन करेगी। केजरीवाल का कहना है कि 19 मई की रात 10 बजे केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, अगर वो दो दिन पहले अध्यादेश पारित करते तो हम सुप्रीम कोर्ट में जाकर उस पर स्टे ऑर्डर ले आते, लेकिन अभी सुप्रीम कोर्ट बंद है। अभी हमें महीने भर इंतजार करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट खुलेगा तो हम उसके पास जरूर जाएंगे। बुधवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात कर उनसे समर्थन मांगा। केजरीवाल के मुताबिक केंद्र के अध्यादेश पर लंबी चर्चा के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपना पूरा समर्थन देने का ऐलान किया है। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों को अपना अधिकार पाने में 8 साल लग गए, लेकिन केंद्र को हमारे अधिकार छीनने में केवल 8 दिन लगे। अगर सभी गैर-भाजपा दल एकजुट हो जाते हैं तो इस बिल को राज्यसभा में गिराया जा सकता है।
वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्र के अध्यादेश को लोकतंत्र विरोधी सोच का परिणाम बताया और कहा, "हम राज्यसभा में इस बिल का विरोध करेंगे।" इस दौरान पंजाब के सीएम सरदार भगवंत मान, राज्यसभा सदस्य संजय सिंह व दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी के अलावा सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
बैठक के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोग वोट डालकर अपनी सरकार चुनते हैं और उम्मीद करते हैं कि सरकार उनके सपनों और जरूरतों को पूरा करेगी। हमारा संविधान भी यही कहता है और यही भारतीय जनतंत्र भी है। दिल्ली में फरवरी 2015 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी। इसके मात्र तीन महीने बाद मई में मोदी सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर हमारी सारी शक्तियां छीन लीं।
उन्होंने कहा, "चुनी हुई सरकार के पास ट्रांसफर-पोस्टिंग, अफसरों के काम न करने या भ्रष्टाचार करने पर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने या नई रिक्तियां बनाने का जो अधिकार था, उसे छीन लिया गया। इसके बावजूद हमने बहुत काम किया। हमने इतना अच्छा काम किया कि हम एक बार फिर भारी बहुमत से जीते और हमें 70 में से 62 सीटें मिलीं।"
केजरीवाल ने कहा कि आठ साल तक कोर्ट में अपने अधिकार की लड़ाई लड़ने के बाद 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने पांच-शून्य से फैसला सुनाया कि सारी शक्तियां चुनी हुई सरकार के पास होनी चाहिए। अगर चुनी हुई सरकार के पास अफसरशाही को नियंत्रित करने की शक्तियां नहीं होंगी तो वो सरकार काम नहीं कर सकती। यह संविधान के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही स्पष्ट और बड़ा आदेश दिया था। दिल्ली के लोगों को अपना अधिकार पाने में आठ साल लग गए, लेकिन केंद्र सरकार को हमारे अधिकार छीनने में मात्र आठ दिन लगे। 11 मई को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया और 19 मई को केंद्र ने अध्यादेश पारित कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया। चूंकि 19 मई की शाम पांच बजे के बाद सुप्रीम कोर्ट में गर्मी की छुट्टियां शुरू हो गईं।
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