हिजाब बैन पर सुनवाई करने वाले जस्टिस हेमंत गुप्ता ने ऐसा क्यों कहा?

Update: 2022-10-15 04:03 GMT

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट को अलविदा कहते हुए कहा कि कि जजों की भूमिका लोगों को खुश करने की नहीं बल्कि कानून के अनुसार मामलों का फैसला करने की होती है। जस्टिस हेमंत गुप्ता जो 16 अक्टूबर को रिटायर होने वाले हैं। शुक्रवार 14 अक्टूबर को जस्टिस हेमंत गुप्ता के कार्यकाल का आखिरी दिन था। अपने अंतिम वर्किंग डे पर न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कहा कि एक न्यायाधीश लोगों को खुश नहीं कर सकता क्योंकि यह उन्हें सौंपी गई जिम्मेदारी नहीं है।

हमारा काम कानून के तहत फैसला करना है। जस्टिम हेमंत गुप्ता, सुप्रीम कोर्ट के उन दो जजों में शामिल थे, जिन्होंने हाल ही में कर्नाटक हिजाब बैन मामले पर सुनवाई की और फैसला दिया। हालांकि दोनों जजों की अलग-अलग राय होने की वजह से हिजाब बैन मामले बड़ी बेंच को भेजा गया है। हेमंत गुप्ता ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब बैन को उचित ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट में लगभग चार साल के कार्यकाल के बाद न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता 16 अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में अपना विदाई भाषण देते हुए हेमंत गुप्ता ने कहा, '''एक जज लोगों को खुश नहीं कर सकता है...क्योंकि यह उसे सौंपी गई भूमिका नहीं है। लोगों को खुश करना हमारी जिम्मेदारी नहीं है। ये भूमिका सार्वजनिक जीवन में अन्य लोगों को सौंपी जाती है।''

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