वेव ग्रुप को लगा बड़ा झटका, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने याचिका की खारिज

Update: 2022-06-07 05:04 GMT

नॉएडा: वेव ग्रुप को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने बड़ा झटका दिया है। वह वेव ग्रुप दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए एनसीएलटी गया था। जिस पर ट्रिब्यूनल ने सुनवाई की। ट्रिब्यूनल ने सुनवाई के दौरान कहा कि वेव ग्रुप फ्लैट खरीदारों को धोखा देने के लिए यहां आया है। एनसीएलटी में अर्जी दाखिल करने का मकसद घर खरीददारों को धोखा देना है। लिहाजा, अर्जी खारिज की जा रही है। साथ ही एक करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया जा रहा है। दिवालिया प्रक्रिया के लिए दायर अर्जी खारिज होने से दो हजार बायर्स ने राहत की सांस ली है। जिन्होंने वेव ग्रुप में फ्लैट बुक करा रखे है और अधिकांश ने 90 प्रतिशत तक रकम भी जमा कर रखी है।

मालूम हो कि नोएडा प्राधिकरण ने वेव ग्रुप से प्राधिकरण का 2519 करोड़ 33 लाख रुपये बकाया होने पर सिटी सेंटर प्रोजेक्ट छीन लिया है। जिसके बाद वेव ग्रुप ने खुद को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। कंपनी की ओर से करीब 3 महीने पहले नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की गई थी। जिस पर एनसीएलटी की बेंच ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा, हमारे यहां याचिका दाखिल करने का उद्देश्य विभिन्न घर खरीददारों को धोखा देना है। घर खरीदारों ने यह साबित कर दिया है कि बिल्डर ने कैश में पैसा लिया था। कंपनी ने फ्लैट और दूसरी प्रॉपर्टी खरीदने वालों से हासिल किए फंड में बड़ी हेराफेरी की है। ऐसे में कंपनी की ओर से दाखिल की गई दिवालिया प्रक्रिया याचिका को स्वीकार करना संभव नहीं है। यह पूरी तरह कानून और कानून की भावना के साथ धोखा होगा। लिहाजा, वेव समूह की याचिका को खारिज किया जा रहा है। अदालत को धोखा देने, वक्त बर्बाद करने और फ्लैट खरीदारों को मानसिक रूप से परेशान करने के लिए कंपनी पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। याचिका खारिज होने के बाद वेव ग्रुप की अधिकारिक प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया लेकिन ग्रुप के जिम्मेदार अधिकारियों ने फोन रिसीव नहीं किया।

प्राधिकरण ने मार्च में आवंटन किया था रद्द: 10 मार्च 2021 को, नोएडा प्राधिकरण द्वारा 1.08 लाख वर्ग मीटर अधिग्रहण जमीन के आवंटन को निरस्त करके वापस ले लिया। साथ ही दो टावरों को सील कर दिया गया। हालांकि अभी भी करीब 56 हजार वर्गमीटर जमीन कंपनी के पास है। जिस जमीन का आवंटन रद्य किया गया उसे रिस्टोर कराने के लिए ग्रुप को करीब 2700 करोड़ रुपए की रकम प्राधिकरण को देनी होगी। इस मामले में करीब 15 हजार बायर्स है। जिनको फायदा होगा और समय से उनको दुकानो और आवास का आवंटन होगा।

सीरियस फ्राड इंवेस्टीगेशन आफिस (एसएफआईओ) करेगा जांच: वेव ग्रुप ने सेक्टर 32 और 25 में आवासीय-सह-वाणिज्यिक परियोजना में 3,800 करोड़ रुपये का निवेश किया है। जिसमें इसके प्रमोटर्स और उनके सहयोगियों द्वारा 2,213 करोड़ रुपये का निवेश शामिल हैं। इसके अलावा बैंक लोन के रूप में 200 करोड़ की राशि ली गई है। खरीदारों से करीब 1400 करोड़ रुपये की राशि ली गई है। इसमें से 2000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान विभिन्न सरकारी एजेंसियों को किया गया है। एनसीएलटी ने यह माना की बायर्स ने बिल्डर को पैसा दिया। लेकिन इन पैसों का हेरफेर किया गया। जोकि एक सीरियस फ्रॉड है। जिससे बायर्स को नुकसान हो रहा है। ऐसे में सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन आफिस इसकी जांच करेगा।

लीज होल्ड के आधार पर 6.18 लाख वर्ग मीटर भूमि का आवंटन: नोएडा के सेक्टर-25 और 32 के बीच स्थित वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने 2011 में लीज होल्ड के आधार पर 6.18 लाख वर्ग मीटर भूमि का आवंटन लगभग 1.07 लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 6,622 करोड़ रुपये में कराया था। मूल योजना के हिसाब से पुनर्भुगतान की अवधि पहले दो साल मोरेटोरियम के बाद 16 अद्र्धवार्षिक किस्तों में थी। दिसंबर 2016 में खरीदारों को समय पर यूनिट की डिलीवरी देने तथा किस्तों पर बकाया राशि की वसूली के लिए नोएडा प्राधिकरण प्रोजेक्ट सेटलमेंट पॉलिसी (पीएसपी) लेकर आया। पीएसपी के तहत प्राधिकरण ने डब्ल्यूएमसीसी की काफी जमीन वापस ले लीं। इसमें ग्रुप की ओर से जमा की गई रकम को ब्याज की राशि मान ली गई।

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