नई दिल्ली, (आईएएनएस)| मिल्रिटी इंजीनियर सर्विसेज (एमईएस) के प्रशिक्षु अधिकारी ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने कहा कि निर्माण क्षेत्र बहुत गतिशील है और प्रौद्योगिकियां बहुत तेजी से बदल रही हैं। यह क्षेत्र आर्थिक वृद्धि और विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि एमईएस अधिकारी परियोजना प्रबंधन के आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर बुनियादी ढांचे के विकास में अत्यधिक योगदान दे सकते हैं।
उन्होंने उनसे अपने भविष्य की परियोजनाओं में अत्याधुनिक तकनीकों जैसे मशीन लनिर्ंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे अधिक कुशल डिजाइन में मदद मिलेगी और निर्माण के लिए समय सीमा कम हो जाएगी।
अधिकारी प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वे ऐसे समय में सेवाओं में शामिल हुए हैं, जब भारत ने अभी-अभी 'अमृत काल' में प्रवेश किया है और जी20 की अध्यक्षता भी ग्रहण की है। यह वह समय है जब दुनिया नए नवाचारों और समाधानों के लिए भारत की ओर देख रही है। मिल्रिटी इंजीनियर सर्विसेज के अधिकारियों के रूप में वे सभी रक्षा हथियारों, यानी सेना, वायु सेना, नौसेना, तटरक्षक और अन्य संगठनों को रियर लाइन इंजीनियरिंग सहायता प्रदान करने में सहायक होंगे। समर्पित इंजीनियरिंग सहायता, जो वे सशस्त्र बलों को प्रदान करते हैं, उनके समग्र प्रदर्शन को बढ़ाता है और उन्हें किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रखता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि निर्माण के क्षेत्र में युवा अधिकारियों के रूप में एमईएस अधिकारियों का मुख्य कर्तव्य पर्यावरण की देखभाल करना भी है।
उन्होंने कहा, हमें सतत विकास के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग की ओर बढ़ना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि एमईएस बड़ी संख्या में सौर फोटोवोल्टिक परियोजनाओं को पूरा करके राष्ट्रीय कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में बहुत योगदान दे रहा है।
--आईएएनएस