दिल्ली नगर निगम प्रशासन के सामने होगी बड़ी चुनौतियां: निगम के साख को स्थापित करना ज़रूरी होगा
दिल्ली न्यूज़: तीन निगम से एक बनी दिल्ली नगर निगम प्रशासन के सामने कई बड़ी चुनौती है। इन चुनौतियों में नए स्वरुप वाले नगर निगम के समक्ष निगम कर्मचारियों को हर माह समय से वेतन व सेवानिवृत कर्मचारियों को पेंशन देने का प्रबन्ध करना, राजस्व वसूली की स्थिति को सुधारना, प्रदूषण की कारक दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइटस भलस्वा, ओखला व गाजीपुर की आसमान छूती ऊंचाई पर नियंत्रण के साथ कूड़े-कचरे का निष्पादन, स्वच्छता, अवैद्य निर्माण पर कार्रवाई, भ्रष्टाचार पर अंकुश आदि के साथ दिल्ली नगर निगम की छवि को सुधार कर उसकी साख को स्थापित करना शामिल है। इन चुनौतियों पर खड़े उतरने के बाद ही सही मायने में दिल्ली नगर निगम को उसको सही पहचान मिल पाएगा। इसके अलावा निगम में विकास की गाड़ी तभी पटरी पर आयेगी जब केंद्र सरकार द्वारा समुचित आर्थिक पैकेजे मिले। गौरतलब है कि दिल्ली के तीनों उत्तरी, दक्षिणी व पूर्वी निगम के एकीरण के विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही केंद्र सरकार ने एक दिल्ली नगर निगम की अधिसूचना जारी कर दी है। निगम एक हो गई है तथा अन्य प्रशासनिक गतिविधियां तेज हो गई है। भाजपा शासित निगम के भंग होने के बाद अब निगम की सत्ता पूरी तरह से नौकरशाहों की हाथ में हैं। जल्द ही निगम के संचालन के लिए केंद्र सरकार एक विशेष अधिकारी और एक निगम आयुक्त के नामों की घोषणा कर सकती है ताकि निगम का संचालन प्रणााली सुचारू हो सके।
शहरी मामलों के विशेषज्ञ एवं एकीकृत दिल्ली नगर निगम की निर्माण समिति के अध्यक्ष रहे जगदीश ममगांई का कहना है कि दिल्ली नगर निगम का एकीकरण हो जाने से न केवल निगम का गौरव पुर्नस्थापित होगा बल्कि इसकी कार्यक्षमता व दक्षता में वृद्धि होगी तथा यह वेतन, भत्ते व प्रबन्धन पर तीन गुणा पदों के कारण होने वाले आर्थिक दबाब को कम करने में सहायक होगा। हालांकि 11,000 करोड़ से अधिक का घाटा व लगभग 3600 करोड़ का दिल्ली सरकार के कर्ज के चलते पैसे की किल्लत बनी रहेगी, केन्द्र सरकार को निगम की नई शुरुआत करने के लिए आर्थिक पैकेज देने से ही विकास की गति तेज हो सकेगी।