नई दिल्ली: लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बुधवार को बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस और उसकी पिछली सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला। गृह मंत्री ने कहा कि जनता के बीच सरकार के प्रति कोई अविश्वास नहीं है। अब तक लोकसभा में 27 अविश्वास और 11 विश्वास प्रस्ताव आ चुके हैं। पीएम मोदी और मंत्रिमंडल के प्रति किसी को अविश्वास नहीं है। इसका उद्देश्य सिर्फ जनता में भ्रम फैलाना है। सरकार अल्पमत में होने का मतलब ही नहीं है। यह अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ भ्रांति पैदा करने के लिए लाया गया है। इस दौरान उन्होंने सदन में कांग्रेस की पिछली सरकारों के दौरान हुए भ्रष्टाचार को भी गिनवाया।
अमित शाह ने अपने भाषण के कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकारों के दौरान भारतीय राजनीति में तीन नासूर थे – भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण। अमित शाह ने तीन अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि यूपीए का चरित्र सत्ता बचाने से जुड़ा है। हमारा चरित्र लोकतंत्र बचाने वाला है। अमित शाह ने किसानों की कर्ज माफी के लिए अपनी सरकार की कामकाज को गिनवाया। इसी बीच शाह ने मणिपुर हिंसा पर प्रदेश के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का बचाव किया। अमित शाह ने इस दौरान सदन को ये भी बताया कि आखिर केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगाया और क्यों राज्य के सीएम एन बीरेन सिंह को नहीं हटाया गया। अमित शाह ने कहा कि जब राज्य का मुख्यमंत्री सहयोग नहीं कर रहा होता है, तब उसे बदलने की जरूरत होती है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सीएम ने केंद्र के साथ सहयोग किया है। शाह ने मैतेई और कुकी दोनों समुदायों से हिंसा में शामिल न होने की अपील करते हुए कहा कि जिस तनाव के कारण लगभग 152 लोगों की जान चली गई है, उसे बातचीत के जरिए ही हल किया जा सकता है। शाह ने मणिपुर हिंसा मुद्दे पर अपना संबोधन इस घटना को शर्मनाक कहकर शुरू किया और कहा कि इस पर राजनीति और भी शर्मनाक है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की उल्लेख करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह नेहरू की भूल थी, जिसे मोदी ने ठीक किया। कश्मीर के अंदर से दो झंडे, दो संविधान खत्म हुए और भारत के साथ इसका पूरा जुड़ाव हुआ। जो लोग कहते थे कि अनुच्छेद 370 हटा तो खून की नदियां बह जाएंगी, वे एक कंकड़ नहीं चला पाए।
नाम लिए बिना राहुल गांधी पर कसा तंज
अमित शाह ने राहुल का नाम लिए बिना उन पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि इस सदन में एक नेता हैं जो 13 बार लॉन्च किए गए और हर बार उनकी लॉन्चिंग फेल हुई। वह बुंदेलखंड की बहन कलावती के घर भोजन करने गए थे और उनकी गरीबी का दारुण जिक्र इसी संदन में हुआ था। उनकी सरकार 6 साल चली, उस कलावती को क्या घर, बिजली और अनाज क्या कांग्रेस ने दिया? हमारी सरकारी ने कलावती को घर, बिजली और अनाज दिया।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी पर ली चुटकी
चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी बार-बार कुछ बोलने के लिए खड़े हो जा रहे थे, तो अमित शाह ने उन पर चुटकी ली और कहा कि नहीं अभी आप नहीं बोल सकते हो, नियम आपको मालूम है। नियम पढ़ लीजिए। आपकी पार्टी ने आपका नाम और नंबर ही बोलने वालों की लिस्ट में नहीं रखा है तो क्यों खड़े हो-होकर बोलंते हैं। अब बैठ जाइए। इसके थोड़ी देर बात अधीर रंजन फिर कुछ बोलने के लिए खड़े हो गए तो गृह मंत्री ने कहा कि आपकी पार्टी ने टाइम नहीं दिया है तो हमारे कोटे से ले लीजिए। उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री प्रह्ललाद जोशी से कहा कि आपको आपत्ति नहीं हो तो हमारे समय में से 30 मिनट अधीर जी को दे दीजिए।
संसद टीवी पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
करीब 16 मिनट बोले राहुल गांधी, पर सिर्फ चार मिनट दिखाए
कांग्रेस आरोप लगाया है कि संसद टीवी ने अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में दिए गए भाषण के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मणिपुर पर बोलते हुए सिर्फ चार मिनट ही दिखाया गया है, जबकि उन्होंने करीब 16 मिनट तक इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। कांग्रेस ने इसे सरकार का डर तथा तानाशाही करार दिया और कहा कि तानाशाह कितना डरपोक है…समझिए। राहुल गांधी सदन में मणिपुर पर 15 मिनट 42 सेकंड बोले। इस दौरान संसद टीवी पर 11 मिनट 08 सेकंड तक स्पीकर ओम बिरला जी को दिखाया गया। राहुल गांधी को सिर्फ चार मिनट दिखाया गया। पार्टी ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी हिंदुस्तान की आवा•ा नहीं सुनते हैं, बल्कि ‘इनकी’ आवा•ा सुनते हैं। यह कहते हुए राहुल जी ने सदन में एक तस्वीर दिखाई, लेकिन तब संसद टीवी का कैमरा स्पीकर ओम बिरला जी पर टिका रहा। पूरा देश जानता है ऐसा क्यों हुआ-‘दोस्ती बनी रहे’। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने श्री गांधी के भाषण पर कहा कि राहुल गांधी का अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में जो भाषण दिया वह जोरदार रहा। स्मृति ईरानी ने श्री गांधी के भाषण को लेकर सदन में जो कुछ कहा वह पूरी तरह से पुरानी बातों पर केंद्रित रहा। उनके भाषण का यह तर्क परोक्ष रूप से सरकार की विफलताओं को लेकर विपक्ष के आरोपों का ही समर्थन करती है।