DU के आईपी कॉलेज की छात्रा ने आजादी के आंदोलन में बढ़-चढ़कर लिया था हिस्सा, लाहौर जेल पर फहराया था तिरंगा

दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वुमन की छात्राओं ने आजादी के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

Update: 2022-08-11 01:52 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वुमन की छात्राओं ने आजादी के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। यहां की छात्रा रूप सेठ ने लाहौर जेल में अंग्रेजों की कैद में बंद रहने के दौरान तिरंगा झंडा फहरा दिया था।

स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली यहां की छात्रा रूप सेठ के कार्यों को लेकर कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. बबली मोइत्र सर्राफ ने एक नाटक भी लिखा है। कॉलेज बनने से पहले यह इंद्रप्रस्थ कन्या हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट कॉलेज जामा मस्जिद के पीछे चलता था। इंद्रप्रस्थ कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय का एकमात्र ऐसा कॉलेज है जिसने आजादी के आंदोलन में कॉलेज के इतिहास को एक संग्रहालय में समेटा है और छात्राओं के लिए यह धरोहर सहेज कर रखी है।
छात्राओं की आजादी की लड़ाई में बढ़ती भूमिका के कारण अंग्रेजी हुकूमत ने इनके छात्रावास के गेहूं की आपूर्ति में 1942 में कटौती कर दी थी। 1930 में यहां की एक छात्रा ने अपने प्रिंसिपल से केवल इसलिए छुट्टी मांगी थी क्योंकि उसे आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेना था।
2024 में 100वां स्थापना वर्ष मनेगा
कॉलेज ने आजादी के आंदोलन में कॉलेज के इतिहास से जुड़े पत्र, अखबार की कतरनें संभाल कर रखी हैं। कॉलेज के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसकी स्थापना के 25वें वर्ष पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, 50वें वर्ष पर इंदिरा गांधी और 75वें वर्ष पर अटल बिहारी वाजपेयी आए थे। 2024 में कॉलेज अपनी स्थापना का 100वां वर्ष मनाएगा।
जुर्माना राशि देने से कर दिया था इनकार
रूप सेठ बताती हैं कि 9 सितंबर 1942 को, आईपी कॉलेज की पांच छात्राओं ने ब्रिटिश अधिकारियों से मिलने की अनुमति मांगी ताकि हम उनकी कलाई पर राखी बांध सकें और उनको भारतीयों के साथ काम करने के लिए मना सकें। दुर्भाग्य से, हम सभी को गिरफ्तार कर दिल्ली जेल भेज दिया गया। हमारे ऊपर 200 रुपये जुर्माना लगाया गया। लेकिन, मैंने सैद्धांतिक रूप से यह जुर्माना देने से इनकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप मेरा लाहौर जेल में स्थानांतरण हो गया। लाहौर जेल में मैं दूसरे कैदी की मदद से जेल की दीवारों पर चढ़ गई और अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
कोपभाजन का शिकार बनना पड़ा
आईपी कॉलेज की छात्राएं आजादी की लड़ाई में इस तरह से शामिल हुईं कि कई बार कॉलेज की गवर्निंग बॉडी ने कॉलेज की प्रिंसिपल लियोनारा गमाइनर को इस बाबत पत्र तक लिखा। यहां छात्राओं ने 1930 में कॉलेज परिसर में ही तिरंगा फहराया था और उनको अंग्रेज सरकार के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा था। यहीं की पढ़ने वाली एक छात्रा रूप सेठ ने कॉलेज की स्थापना के वर्ष 1924 से लेकर 1999 तक के बीच के काल खंड को लेकर निकाली गई पुस्तिका में अपने समय के हालात बयां किए हैं। तब 17 वर्ष की थीं। उन्होंने 1941 में कॉलेज में प्रवेश लिया था।
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